Bilkis Bano case: बिलकिस के बलात्कारियों की रिहाई पर SC ने सरकार से मांगा जवाब

बिलकिस बानो (Bilkis Bano) के बलात्कारियों को रिहा करने का गुजरात सरकार (Gujarat government) का फैसला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. आज इस मामले पर देश की सबसे बड़ी अदालत में सुनवाई की गई.

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकीस के बलात्कारियों और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की रिहाई को लेकर केंद्र और गुजरात सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है.

दो हफ्ते बाद अगली सुनवाई

मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद की जाएगी. जस्टिस एन वी रमण की अगुवाई वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी. बता दें कि माफी नीति के तहत गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो के बलात्कारियों की सजा माफ करने का ऐलान किया था.

इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा के उप कारागार से रिहा कर दिया गया था.

विपक्ष सरकार पर हमलावर

इन 11 दोषियों के जेल से बाहर आने के बाद से इस मामले पर बहस छिड़ी हुई है. विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है. यही नहीं खुद बीजेपी के कई नेता सरकार के इस फैसले से नाखुश है.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल और कार्यकर्ता रूपरेखा रानी ने उच्चतम न्यायालय में यह याचिका दायर की थी.

साल 2002 का मामला

गौरतलब है कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस पर हमले और 59 यात्रियों, मुख्य रूप से ‘कार सेवकों’ को जलाकर मारने के बाद गुजरात में भड़की हिंसा के दौरान तीन मार्च, 2002 को दाहोद में भीड़ ने 14 लोगों की हत्या कर दी थी.

मरने वालों में बिल्कीस बानो की तीन साल की बेटी सालेहा भी शामिल थी. घटना के समय बिल्कीस बानो गर्भवती थी और वह सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई थी. इस मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी.

CBI अदालत ने सुनाया था फैसला

मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी 2008 को सभी 11 आरोपियों को बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या और उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी. बाद में इस फैसले को बंबई उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा था.

क्षमा नीति के तहत दोषियों को राहत

इन दोषियों को उच्चतम न्यायालय के निर्देश के तहत विचार करने के बाद रिहा किया गया. शीर्ष अदालत ने सरकार से वर्ष 1992 की क्षमा नीति के तहत दोषियों को राहत देने की अर्जी पर विचार करने को कहा था.

इन दोषियों ने 15 साल से अधिक कारावास की सजा काट ली थी जिसके बाद एक दोषी ने समयपूर्व रिहा करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. इस पर शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को मामले पर विचार करने का निर्देश दिया था.

Last Updated on August 25, 2022 12:33 pm

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