महाराष्ट्र में पिछले साल जून-जुलाई महीने में सरकार बनाने के नाम पर जो कुछ हुआ, वह सरासर गलत था. राज्यपाल का फ्लोर टेस्ट का फ़ैसला गलत था. लेकिन शिंदे सरकार बनी रहेगी. क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया था. अगर उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया होता, तो उन्हें राहत दी जा सकती थी. इसलिए उद्धव ठाकरे की सरकार को बहाल नहीं किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे के एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि उद्धव सरकार को बहाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया था, और फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया था, इसलिए उनके इस्तीफे को रद्द नहीं कर सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता को लेकर कोई फ़ैसला नहीं सुनाया. हालांकि कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर से 16 बागी विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे का समयसीमा के भीतर निपटारा करने के लिए जरूर कहा है.
व्हिप नियुक्त किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्हिप केवल विधायी राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त किया जा सकता है. स्पीकर ने शिंदे के बयान को संज्ञान में लेते हुए व्हिप की पचान नहीं की, कि वो कौन है. जबकि क़ायदे से उन्हें इस, बात की जांच करनी चाहिए थी. गोगावाले को मुख्य सचेतक नियुक्त करने का निर्णय अवैध था. क्योंकि व्हिप केवल विधायी राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले को बड़ी बेंच को भेज दिया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 2016 का नबाम रेबिया मामले में कहा गया था कि स्पीकर को अयोग्य ठहराने की कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती है, जब उनके निष्कासन का प्रस्ताव लंबित है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में एक बड़ी पीठ के संदर्भ की जरूरत है.
इससे पहले उद्धव ठाकरे गुट ने याचिका दायर कर मांग की थी कि शिवसेना के 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द की जाए. एकनाथ शिंदे गुट के बागियों को किसी पार्टी में विलय करना चाहिए था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. ऐसे में बगावत करने वालों को अयोग्य घोषित किया जाए. इसके साथ ही राज्यपाल का जून 2022 का आदेश रद्द किया जाए, जिसमें उद्धव से सदन में बहुमत साबित करने को कहा गया था.
शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने कोर्ट के फैसले के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उनके नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार के गिरने के कारण उभरे राजनीतिक संकट पर उच्चतम न्यायालय के फैसले ने लोकतंत्र में भरोसा बहाल कर दिया है. उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि पिछले साल 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुलाना सही नहीं था.
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर अब सोशल साइट्स पर ढेरों प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. अजीत सिंह नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा है- ‘महाराष्ट्र में राज्यपाल ने गलत किया, स्पीकर ने गलत किया, विधायकों ने भी गलत किया और भी बहुत गलत हुआ. लेकिन शिंदे सरकार बनी रहेगी.’वहीं संजय कुमार नाम के एक अन्य ट्विटर यूजर लिखते हैं- ‘महाराष्ट्र सरकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जलेबी नहीं, इमरती बनाई है. राज्यपाल का फ़ैसला ग़लत है, विधानसभा का फैसला भी गलत है. पार्टी व्हीप पर फ़ैसला भी गलत है. लेकिन बनी रहेगी शिंदे की सरकार. और जब तक आख़िरी फ़ैसला आएगा, तब तक महाराष्ट्र में नए चुनाव का वक़्त आ जाएगा. लाजवाब फ़ैसला…’
वहीं वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे लिखती हैं- #सुप्रीमकोर्ट के फ़ैसले के अनुसार अगर शिंदे सरकार के बनने का आधार ही ग़ैरक़ानूनी था, तब इस सरकार का सत्ता में बने रहना भी सिरे से ग़ैरक़ानूनी ठहरता है. फ़ैसला क्लीयर है. बाक़ी सब बकवास!’
Last Updated on May 11, 2023 12:02 pm