Bageshwar Dham Sarkar: धीरेंद्र शास्त्री के एक्शन पर बवाल… जान लीजिए ज्ञान और कमाई

Bageshwar Dham Sarkar at Patna Hanuman Mandir
Bageshwar Dham Sarkar at Patna Hanuman Mandir

पिछले कुछ दिनों से बागेश्वर धाम सरकार (Bageshwar Dham Sarkar) यानी कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Nath Shashtri) बिहार की राजधानी पटना (Patna) में थे. राजनीतिक कारणों को लेकर तो वह चर्चा में थे ही लेकिन बुधवार को एक तस्वीर की वजह से वह सोशल मीडिया पर भी ट्रोल होने लगे. यह तस्वीर पटना हनुमान मंदिर (Patna Hanuman Mandir) की है, जहां धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के दर्शन के लिए पहुँचे थे. तस्वीर में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, हाथों में फूल लिए दिखाई दे रहे है. पटना महावीर मंदिर न्यास समिति प्रमुख आचार्य किशोर कुणाल (Kishore Kunal) उनके सामने खड़े हैं. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अंगरक्षकों ने बाहों का घेरा बनाकर किशोर कुणाल को रोका हुआ है. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सब कुछ अपने सामने होता हुआ देख रहे हैं.

इसी तस्वीर को लेकर सोशल मीडिया पर तूफ़ान मचा हुआ है. कई लोगों ने तो पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हुए पूछा है कि बागेश्वर धाम से कितने लोगों का कल्याण हो रहा है? जबकि आचार्य किशोर कुणाल , महावीर मंदिर न्यास बनाकर लोक कल्याणकारी कार्य कर रहे हैं, जिसका रोजाना हजारों लोगों लाभ भी ले रहे हैं.

दरअसल आचार्य किशोर कुणाल महावीर न्यास समिति के प्रमुख हैं. मंदिर की आय से महावीर कैंसर संस्थान, महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर नेत्रालय, महावीर वात्सल्य अस्पताल चलाए जा रहे हैं. यहां न्यूनतम शुल्क पर लोगों का इलाज होता है. इसके अलावा इसी आमदनी से उत्तर बिहार में दो अन्य अस्पताल बनाए जा रहे हैं. फ़िलहाल दोनों निर्माणाधीन हैं.

इतना ही नहीं युवाओं को मां-बाप की सेवा के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से न्यास समिति प्रति वर्ष श्रवण कुमार अवार्ड का भी आयोजन करता है. इसके तहत विजेताओं को एक लाख रुपये तक का इनाम दिया जाता है. इतना ही नहीं यह समिति बिहार के ग्रामीण इलाकों में अनाथालय का संचालन भी करती है.

यही वजह है कि उम्र, ज्ञान और कर्म में श्रेष्ठ आचार्य किशोर कुणाल के सामने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के व्यवहार को लोग हज़म नहीं कर पा रहे हैं.

पुष्य मित्र नाम के एक वरिष्ठ पत्रकार इस तस्वीर पर टिप्पणी करते हुए लिखते हैं- कौवा मोती खायेगा और हंस कौवे के लिए चंवर डुलाएगा… मैं धार्मिक आदमी नहीं हूं. मंदिरों में मेरी कोई आस्था भी नहीं है. ना ही आचार्य कुणाल किशोर के किसी ऐतिहासिक शोध में. मगर महावीर मंदिर के चढ़ावे को लेकर जो उन्होंने अस्पताल खोले हैं और दूसरे जनोपयोगी काम किए हैं. उस मॉडल का मैं मुरीद हूं.

दलित पुजारियों को बिहार के मंदिरों में नियुक्त करने का उनका अभियान भी मुझे ठीक लगा. मैं मानता हूं कि वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनमें हिंदुओं की धार्मिक आस्था को सकारात्मक दिशा देने की बुद्धि और क्षमता है. मगर जहां तक इस नौसिखुआ लड़के का सवाल है, इस तस्वीर में जिसके पास जाने को वे आतुर नजर आते हैं और सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोक रखा है वह तो इनकी उपलब्धियों के आगे शून्य है.

धीरेंद्र शास्त्री की क्या उपलब्धियां हैं? वह एक ऐसा कथा वाचक है जो हिंदुओं की धर्मांध भीड़ को अंधविश्वास की दलदल में धकेले जा रहा है. अपने जीवन की विषमताओं और अधिक से अधिक हासिल करने की लालसा में फंसे लोग उसके करतब पर भरोसा करते हैं. उन्हें लगता है कि यह व्यक्ति उन्हें उनके कष्टों से छुटकारा दिला सकता है.

सच तो यह है कि लोगों को उनके कष्टों से छुटकारा दिलाने की किसी में क्षमता है तो वह खुद आचार्य किशोर कुणाल में हैं. उनके द्वारा स्थापित कैंसर अस्पताल और दूसरे कई अस्पताल रोज लोगों को उनके कष्टों से उबारते हैं. मगर इस तस्वीर में यह साफ नजर आ रहा है कि कुणाल जी का आत्मविश्वास इस फरेबी जादू टोना वाले के आगे नतमस्तक है.

इंसान जब खुद के कार्यों पर भरोसा करना छोड़ दे तो ऐसा ही होता है. हिंदुओं की बड़ी आबादी धर्मांध और अंधविश्वास से भरी है, इस बात का अहसास इन दिनों बखूबी हो रहा है. इस दीवानी भीड़ को कुणाल जैसे लोग सही दिशा दे सकते थे. मगर इन दिनों उनकी दिशा खुद भटकी हुई है. लिहाजा यह सब हमलोग देख रहे हैं.

वहीं डॉ. उज्ज्वल कुमार नाम के एक वरिष्ठ पत्रकार ने लिखा है- महावीर मंदिर पटना जंक्शन के न्यासी सचिव और पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल जी को धकियाया जाना कहीं से भी सही नहीं है. बागेश्वरधाम के पीठाधीश धीरेंद्र शास्त्री जी, आपके सामने कुणाल जी के साथ जिस तरह से उन्हें सुरक्षा बलों ने दबाया, आपको हस्तक्षेप करना चाहिए था. आपने ऐसा न करके चूक की है. आचार्य जी ने हनुमान जी की ना केवल पूजा की है, बल्कि इनका चमत्कार हजारों लोग हर दिन महसूस कर रहे हैं.

इसी हनुमान मंदिर द्वारा संचालित अस्पताल में हर जाति, धर्म और संप्रदाय के बीमार लोग आकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. आपके चमत्कार को एक बड़ा समूह अब भी शक के नजरिए से ही देखता है. कुछ आचरण भी संदेह पैदा करता है. धीरेंद्र शास्त्री जी आपको आचार्य किशोर कुणाल जी से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए.

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की एक और तस्वीर वायरल हो रही है. जिसमें वह अख़बार देख रहे हैं. उनके ठीक सामने नीचे बैठकर अधेड़ उम्र के दो व्यक्ति धीरेंद्र शास्त्री के दोनों पैर दबा रहे हैं.

कौन हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री?
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, बागेश्वर धाम सरकार या महाराज के नाम से जाने वाले एक भारतीय कथावाचक हैं. शास्त्री मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से ताल्लुक़ रखते हैं. टीवी पर दिए इंटरव्यू के अनुसार एक समय में उनके घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. उनके घर में खाने का अभाव था. उनके पास रहने के लिए एक कच्चा मकान था. घर बरसात के दिनों में टपकता था.

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पढ़ाई और कमाई

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार धीरेंद्र कृष्ण ने हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी की पढ़ाई गंज गांव से की है. इसके बाद उन्होंने बीए की डिग्री हासिल की. एक इंटरव्यू में धीरेंद्र शास्त्री ने खुद भी इस बात की पुष्टि की थी. हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि वे पढ़ाई को नहीं मानते, क्योंकि उन्होंने पढ़ाई ठीक से नहीं की थी.

वहीं कुछ लोग मानते हैं कि उन्होंने आठवीं तक ही पढ़ाई की है. धीरेंद्र शास्त्री के मुताबिक़ उनके दादा ही गुरु हैं. वे नौ साल की उम्र से ही दादा जी के साथ मंदिर जाने लगे. यहीं पर उन्होंने रामकथा कहना सीखा. रिपोर्ट के मुताबिक उनकी हर महीने की कमाई 3.5 लाख रुपये है.

यानी कई IIT, MBBS और UPSC पास बच्चे की शुरुआती कमाई से भी ज़्यादा.

धीरेंद्र शास्त्री के कथा से कितने लोगों का भला हुआ यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन उनके दर्शन और दिव्य दरबार के आयोजन से करोड़ों रुपये का व्यापार हुआ. सुदूर जिले और पड़ोसी प्रदेश से भारी संख्या में लोग पांच दिनों तक हनुमंत कथा में शामिल होने पहुँचे. नारियल, चंदन, खानपान और परिवहन क्षेत्र में लोगों को करोड़ों रुपये कमाई का अवसर मिला. स्थानीय मिठाई, पकवान, धोती, साड़ी, गमछा से लेकर रेडीमेड कपड़े की ज़बरदस्त बिक्री हुई.

पटना, बनारस, कानपुर, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों से कारोबारी यहां पहुँचे. गांधी मैदान के निकट जिस होटल में पंडित ठहरे थे, वहां भी उनके दर्शन के लिए लोगों ने कमरा लिया था. राजधानी के आवासीय होटलों में भी भारी संख्या में लोगों ने कमरा बुक कराया. टैक्सी, ऑटो, बस और अन्य सवारी वाहनों को भी भरपूर कमाई का मौका मिला.

Last Updated on May 18, 2023 7:29 am

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