मॉनसून सत्र : मणिपुर हिंसा पर पीएम मोदी 10 अगस्त को देंगे जवाब, अविश्वास प्रस्ताव पर 8 से चर्चा

Manipur Violence
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मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) को देखते हुए INDIA (इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस) के लाए अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion) पर 8 से 10 अगस्त तक सदन में चर्चा होगी. जबकि 10 अगस्त को पीएम मोदी (PM Modi) अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देंगे. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि आज यानी मंगलवार को जैसे ही संसद की कार्यवाही (Monsoon session) शुरू हुई, मणिपुर मुद्दे को लेकर विपक्षी पार्टियों ने दोनों सदनों में नारेबाजी के साथ हंगामा करना शुरू कर दिया.

जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला अगले सप्ताह NDA सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर सहमत हो गए. ओम बिरला ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक में यह फैसला किया. सूत्रों के मुताबिक विपक्षी नेता बीएसी की बैठक शुरू होने के कुछ देर बाद ही बाहर चले गए क्योंकि वे चाहते थे कि सरकार अपने लेजिसलेटिव एजेंडे के बजाय पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करे.

सदन में विपक्ष का हंगामा

विपक्ष मॉनसून सत्र की शुरुआत से ही मणिपुर हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री से सदन में बयान देने का दबाव बना रहा है. इसी मांग को लेकर पिछले नौ दिनों से दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित है. सरकार मणिपुर मुद्दे को लेकर नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा चाहती थी.

जबकि विपक्ष नियम 267 के तहत मणिपुर की स्थिति पर लंबी अवधि की चर्चा की मांग कर रहा है. इससे पहले सरकार की तरफ से बयान जारी करते हुए कहा गया था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर मुद्दे पर सदन में एक बयान जारी करेंगे. लेकिन विपक्ष ने इसपर आपत्ति जताई.

संसद में आरोप प्रत्यारोप का दौर

20 जुलाई को मॉनसून सत्र शुरू हुआ था. पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय झड़पें और महिलाओं के साथ हुए उत्पीड़न को लेकर सरकार और विपक्षी दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा था. विपक्ष का आरोप था कि मोदी सरकार इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा से भाग रही है.

अगर पीएम मोदी सदन के बाहर बोल सकते हैं तो सदन के अंदर क्यों नहीं? जिसके बाद पिछले हफ्ते, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया था, जिसे भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अलावा INDIA के सभी घटकों ने समर्थन दिया है, जिसके कुल 144 सांसद हैं. विश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए सदन के कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन होना जरूरी है.

बाद में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए कहा था कि वह सभी दलों के सदन के नेताओं के साथ चर्चा करेंगे और चर्चा के लिए उचित समय तय करेंगे.

पीएम का विस्तृत बयान चाहता है विपक्ष

बता दें कि 20 जुलाई को पीएम मोदी ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले सदन के बाहर ही मीडिया को संबोधित करते हुए मणिपुर हिंसा को लेकर चिंता ज़ाहिर की थी और कड़ी कार्रवाई की बात की थी. हालांकि इस दौरान उन्होंने राजस्थान में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध का मुद्दा भी उठाया था. पीएम मोदी का संबोधन तकरीबन दो मिनट का था जिसमें से उन्होंने केवल 36 सेंकड मणिपुर पर बात की. जिसको लेकर विपक्ष ने सड़क से लेकर संसद तक प्रधानमंत्री को घेरा.

विपक्ष मणिपुर हिंसा पर पीएम का विस्तृत बयान चाहता है. वहीं केंद्र सरकार का आरोप था कि विपक्ष मणिपुर मुद्दे को लेकर राजनीति कर रहा है. सरकार बहस के लिए तैयार है लेकिन विपक्ष ही भाग रहा है.

हालांकि इस अविश्वास प्रस्ताव से भाजपा नेतृत्व वाली NDA सरकार को कोई खतरा नहीं है. कुल 543 सदस्यीय लोकसभा में NDA सांसदों की सामूहिक सीट 331 है. इतना ही नहीं NDA को YSRCP और BJD का भी समर्थन प्राप्त है. फिर सवाल उठता है कि INDIA अविश्वास प्रस्ताव लाई ही क्यों? क्योंकि सरकार तो सुरक्षित है. क्या सदन का समय बर्बाद किया जा रहा है?

संसद के अंदर बोलने से क्यों हिचकिचा रहे हैं पीएम

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने रविवार को इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘मणिपुर 84 दिनों से जल रहा है और वहां के हालात काफी खराब हो गये हैं, इसलिए मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत महसूस हुई है. इंडिया गठबंधन नियम 198 के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया है और इस पर चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देना चाहिए. क्योंकि कई सवालों के जवाब केवल सरकार का शीर्ष नेतृत्व ही दे सकता है.’
उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री संसद के बाहर वक्तव्य दे सकते हैं तो वे संसद के अंदर बोलने से क्यों हिचकिचा रहे हैं.

Last Updated on August 1, 2023 3:07 pm

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