हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अप्रैल 2015 में योग गुरु रामदेव (Yog Guru Ramdev) को राज्य कैबिनेट मंत्री का पद देने की पेशकश की थी. लेकिन उन्होंने इस पेशकश को ठुकरा दिया. उन्होंने कहा, “अब, पीएम हमारा है, पूरा कैबिनेट हमारा है, हरियाणा सीएम हमारा है और उनका कैबिनेट हमारा है, इसलिए बाबा (एक संन्यासी) को बाबा ही रहने दें”.
ज़ाहिर है पूरे देश में योग गुरु रामदेव की छवि साधारण जीवन जीने वाले धार्मिक विद्वान की है. जो भारतीय जनता पार्टी की राजनीति को सूट करती है. इसलिए रामदेव हरियाणा और पूरे देश में बीजेपी के लिए रिसोर्सफुल थे.
रामदेव के लिए सत्ता की चमक बहुत फ़ायदेमंद नहीं थी. बीजेपी और नरेंद्र मोदी को चुनावी समर्थन देकर उन्होंने पहले ही सत्ता से निकटता बना ली थी. नतीजा यह हुआ कि हरियाणा में बीजेपी शासित सरकार की नीतियों का लाभ सीधे- सीधे रामदेव और उनके पतंजलि समूह को हुआ. इसका सबूत हरियाणा में अरावली पर्वतमाला की वन भूमि में मिलता है.
द रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने इस ख़बर को लिखते हुए इससे जुड़ी पूरी रिपोर्ट छापी है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि न्यायिक रिकॉर्ड, नीतिगत पत्र और सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक हरियाणा सरकार ने इन संवेदनशील अरावली रेंज के कुछ हिस्सों को कोई सुरक्षा न मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस प्रयास किया.
राज्य ने 1996 और 2022 के सुप्रीम कोर्ट के दो महत्वपूर्ण आदेशों (राज्य वनों की कटाई कानून और केंद्र सरकार कानून जो दिल्ली में और उसके आसपास स्थित पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण भूमि की रक्षा करता है) को अनसुना कर दिया, जिसमें इन जंगलों को सुरक्षा देने की बात कही गई थी.
राज्य सरकार की टालमटोल ने अरावली की वन भूमि में फल-फूल रहे एक गुप्त रियल एस्टेट व्यवसाय की नींव रखने में मदद की. रामदेव का पतंजलि समूह (जो आयुर्वेद, सौंदर्य प्रसाधन, खाद्य पदार्थ और अन्य तेजी से आगे बढ़ने वाले उपभोक्ता उत्पादों को सामने से बेचता है) मुख्य लाभार्थियों में से एक था. अब तक यह अरावली में बड़े पैमाने पर भूमि को संदिग्ध संस्थाओं और शेल कंपनियों के माध्यम से खरीद और बेच रहा है.
द रिपोर्टर कलेक्टिव ने इससे संबंधित सभी दस्तावेजों के अध्ययन का दावा करते हुए लिखा है, ‘हमने कम से कम 14 कंपनियों और बाबा रामदेव के साम्राज्य के दो ट्रस्टों का पता लगाया है, जिन्होंने मंगर गांव की ज़मीन में पैसा लगाया है. हमें इन 14 कंपनियों में से कम से कम चार कंपनियों और दो ट्रस्टों द्वारा मंगर की ज़मीनों को बेचने के सबूत मिले हैं. हरियाणा राज्य सरकार के नवीनतम भूमि रिकॉर्ड के अनुसार इनमें से 12 कंपनियां और एक ट्रस्ट के पास अभी भी मंगर में कम से कम 123 एकड़ वन भूमि है.’
इससे पहले द बिजनेस स्टैंडर्ड ने एक रिपोर्ट छापते हुए दावा किया था कि रामदेव की कंपनियों के पास फरीदाबाद के गांव- कोट में ज़मीनें हैं. इसके अलावा हरियाणा सरकार की उन नीतियों पर भी सवाल खड़े किए गए थे जिससे सीधे-सीधे ज़मीन कब्ज़ा रखने वालों को फ़ायदा पहुंच रहा है. द रिपोर्टर कलेक्टिव की रिपोर्ट योग गुरु रामदेव के बनाए साम्राज्य और पैसा बनाने के तरीकों का ख़ुलासा किया है. साथ ही यह भी बताया है कि हरियाणा सरकार की नीतियों ने फ़रीदाबाद में रियल एस्टेट कंपनियों और पतंजली कंपनी को कैसे भारी फ़ायदा पहुंचाया है.
एक कंपनी को अपने एनुअल कॉर्पोरेट फाइलिंग में किसी विशेष प्लॉट को बेचकर किए गए मुनाफे को स्पष्ट रूप से बताने की आवश्यकता नहीं है. हालांकि, द रिपोर्टर कलेक्टिव ने एक मामले में रियल-एस्टेट फर्म के रिकॉर्ड के आधार पर क्रॉस-रेफरेंस करके गणना की, जिसने उस संपत्ति को बेचा था. यानी कि पतंजलि की शेल कंपनी कंकाल आयुर्वेद प्राइवेट लिमिटेड.
इससे पता चलता है कि बाबा रामदेव का साम्राज्य कितना मुनाफा कमा रहा था. सिर्फ एक भूमि सौदे में कांखल आयुर्वेद को 365% का मुनाफा होता दिखाई दे रहा है. जबकि यह एक शेल कंपनी है जिसने कभी कोई व्यवसाय किया ही नहीं है. इस कंपनी को आचार्य बालकृष्ण ने स्थापित किया है. रामदेव अब तक जितने भी व्यवसाय के बारे में सार्वजनिक रूप से बताते रहे हैं, वह इतना मुनाफ़ा देने में सक्षम नहीं है.
Last Updated on December 3, 2023 4:05 pm