मंदी के लिए हो जाएं तैयार… सबसे बड़े अमेरिकी बैंक की चेतावनी

Recession warning
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Recession Warnings: तो क्या पूरा विश्व एक बार फिर से मंदी (Worldwide Recession) के कगार पर खड़ा है? भारत जैसा देश, जहां पहले ही महंगाई (Inflation) और बेरोजगारी (Unemployment) रिकॉर्ड्स तोड़ रहे हैं, के लिए मंदी (Worldwide Recession) कितना घातक साबित हो सकता है और इसके क्या कारण हैं? जेपी मॉर्गन चेज के CEO जेमी डिमन (Jamie Dimon) ने एक टिप्पणी में कहा है कि उन्हें लगता है कि मंदी आ रही है. उन्होंने कहा कि बढ़ती ब्याज दरें, मुद्रास्फीति और वैश्विक अनिश्चितताएं अर्थव्यवस्था (Economy) के लिए एक खतरा पैदा कर रही हैं. ऐसा लगता है कि मंदी 2023 के अंत में या 2024 की शुरुआत में आ सकती है. विश्व की सभी बड़ी कंपनियों को मंदी से निपटने की योजना के साथ तैयार रहना चाहिए.

जेपी मॉर्गन चेज एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय वित्तीय सेवा कंपनी है, जो दुनिया की सबसे बड़ी बैंकिंग कंपनियों (संपत्ति के हिसाब से सबसे बड़ा अमेरिकी बैंक) में से एक है.

डिमन की चेतावनी ऐसे समय में आई है जब दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं चुनौतियों का सामना कर रही हैं. बढ़ती ब्याज दरें और मुद्रास्फीति कई देशों के केंद्रीय बैंकों को मौद्रिक नीति में सख्ती करने के लिए मजबूर कर रही हैं. इससे आर्थिक विकास धीमा होने का खतरा बढ़ गया है.

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अमेरिका में, मुद्रास्फीति 40 साल के उच्च स्तर पर है. फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में वृद्धि शुरू कर दी है और यह और भी अधिक वृद्धि करने की योजना बना रहा है. इससे आर्थिक विकास धीमा होने का खतरा बढ़ गया है. यूरोप में, रूस-यूक्रेन युद्ध ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है. इससे ऊर्जा की कीमतें बढ़ गई हैं और मुद्रास्फीति बढ़ गई है. यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने भी ब्याज दरों में वृद्धि शुरू कर दी है.

दरअसल चीन में, बढ़ती कोविड-19 की रोकथाम के उपायों ने आर्थिक विकास को प्रभावित किया है, इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाधाएं आई हैं. इतना ही नहीं चीन में एक और रहस्यमयी बीमारी मुंह बाये खड़ी है, जो दूसरे देशों के लिए भी चुनौती बन सकती है. यह रहस्यमयी बीमारी बच्चों को परेशान कर रही है. तो क्या यह कोरोना महामारी जैसा दहशत विश्व में पैदा कर सकती है? फ़िलहाल कहना मुश्किल है. आने वाले वक़्त में ही इसका जवाब मिल सकता है. लेकिन इस बीमारी ने भविष्य को लेकर डर तो पैदा कर ही दिया है.

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डिमन के मुताबिक, वैश्विक अर्थव्यवथा के लिए मॉनेटरी पॉलिसीज में सख्ती और जियोपॉलिटिकल मुद्दे सबसे बड़ा ख़तरा है. फिलहाल इकोनॉमिक की बजाय, जियोपॉलिटिकल तनाव ज्यादा खतरनाक है. रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास संघर्ष के चलते वैश्विक स्तर पर फूड सप्लाई, व्यापार और जियोपॉलिटिकल संबंध काफी प्रभावित हुए हैं. इसके अलावा मानवता के लिए खतरा बन चुके कुछ फैक्टर्स पर बात करते हुए डिमन ने परमाणु प्रसार, जलवायु परिवर्तन एवं एक और महामारी की संभावना के बारे में चिंता व्यक्त की.

डिमन की चेतावनी के बाद, कई अन्य अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों ने भी मंदी की संभावना जताई है. कुछ का मानना ​​है कि मंदी पहले ही शुरू हो चुकी है, जबकि अन्य का मानना ​​है कि यह अभी भी कुछ महीने या वर्ष दूर है.

क्या है मंदी? (What is Recession)
मंदी एक आर्थिक मंदी है जिसमें आर्थिक गतिविधि में महत्वपूर्ण गिरावट आती है. मंदी आमतौर पर नकारात्मक आर्थिक विकास, बढ़ती बेरोजगारी और गिरती आय के साथ होती है.

मंदी के संभावित कारण (Recession Causes)

बढ़ती ब्याज दरें: ब्याज दरों में वृद्धि से खपत और निवेश में कमी आ सकती है, जिससे आर्थिक विकास धीमा हो सकता है.

मुद्रास्फीति: उच्च मुद्रास्फीति से लागत में वृद्धि हो सकती है, जिससे उपभोक्ता खर्च और निवेश में कमी आ सकती है.

वैश्विक अनिश्चितताएं: राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताएं निवेश और व्यापार को कम कर सकती हैं, जिससे आर्थिक विकास धीमा हो सकता है.

मंदी का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. मंदी से बेरोजगारी बढ़ सकती है, आय घट सकती है और आर्थिक असमानता बढ़ सकती है.

Last Updated on December 3, 2023 4:03 pm

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