Election Result 2023: मध्य प्रदेश (MP), राजस्थान (Rajasthan) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में बीजेपी (BJP) को मिली बंपर जीत के बाद सोशल मीडिया पर लड़ाई चल रही है. जहां बीजेपी समर्थक इस जीत को पीएम मोदी (PM Modi) का करिश्मा बता रहे हैं तो वहीं कई कांग्रेस (Congress) समर्थक इसे सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे उभरते नेताओं को दरकिनार करने का नतीजा बता रहे हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सोशल मीडिया पर पूछ रहे हैं- 19 लाख ईवीएम गायब हैं, कांग्रेस ने कोई खैर-खबर ली? गायब ईवीएम का मुद्दा राजनीतिक दलों के बीच भी विवाद का विषय है. विपक्षी दल चुनाव आयोग को इस मामले में जवाबदेह ठहरा चुके हैं. वे मानते हैं कि गायब ईवीएम का इस्तेमाल 2024 के लोकसभा चुनावों में धांधली के लिए किया जा सकता है.
क्या है मामला?
असल में 2016 से 2018 के बीच, भारत में 19 लाख ईवीएम गायब हो गई थी. इनमें से 9.6 लाख ईवीएम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और 9.3 लाख ईवीएम इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) ने बनाई थीं. पिछले साल कर्नाटक हाईकोर्ट में ईवीएम गायब होने का मुद्दा उठा था. कांग्रेस विधायक ने आरटीआई के हवाले से सदन में कहा था कि 2016 से 2018 तक देश में 19 लाख ईवीएम गायब हुई हैं.
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शशि थरूर ने उठाया था सवाल
वहीं मार्च-2022 में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ईवीएम अनियमितताओं से जुड़ी शिकायतों पर टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए चुनाव आयोग से जवाब मांगा था. शशि थरूर ने कहा, आम तौर पर मैं साजिशों से सावधान रहता हूं. लेकिन ईवीएम के संचालन में अनियमितताओं के बारे में बढ़ती चिंताओं पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया की जरूरत है. लापता ईवीएम की आधिकारिक पुष्टि सवाल उठाती है कि आखिर ये किसके पास हैं और इनका क्या हो रहा है?
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर क्या थी?
कर्नाटक में कांग्रेस विधायक एचके पाटिल ने आरटीआई का हवाला देते हुए विधानसभा में बताया कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा सप्लाई की गईं 9.6 लाख ईवीएम और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा सप्लाई की गईं 9.3 लाख ईवीएम 2016 से 2018 के बीच में गायब हो गईं. लेकिन इस मामले में चुनाव आयोग द्वारा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया. कर्नाटक विधानसभा में स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने कहा कि वे इस मामले में चुनाव आयोग से उनका पक्ष जानने की कोशिश करेंगे.
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चुनाव आयोग ने क्या कहा?
हालांकि सितंबर महीने में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए कहा था कि EVM को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. इससे पहले याचिकाकर्ता ADR की ओर से प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था, तीन रिकॉर्ड हैं- ईवीएम, VVPAT और रजिस्टर, जिसमें लोगों को हस्ताक्षर करना होता है. सभी तीन का मिलान होना चाहिए. लेकिन, यह पाया गया है कि रजिस्टर और ईवीएम के बीच भारी विसंगति है. हजारों विसंगतियां होती हैं. यह विचार सही नहीं है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है, लेकिन ऐसे तीन तरीके हैं जिनसे यह सही गिनती का संकेत नहीं देता है.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में वकील अमित शर्मा के माध्यम से हलफनामे में कहा, यह याचिका अस्पष्ट और आधारहीन आधारों पर है. साथ ही ईवीएम की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करने का एक और प्रयास है. भारत निर्वाचन आयोग (ECI) का अनुमान है कि ईवीएम/वीवीपीएटी प्रणाली पर संदेह जताने वाली वर्तमान याचिका 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ऐसी आखिरी याचिका नहीं होगी. मतदाता को वीवीपैट के माध्यम से यह सत्यापित करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है कि उनका वोट डाला गया है और दर्ज के रूप में गिना गया है. चुनाव नियमों के संचालन के प्रावधान किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करते हैं. ये कई बार न्यायिक जांच से गुजर चुके हैं, इसकी संवैधानिकता को बार-बार बरकरार रखा गया है.
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वहीं जस्टिस संजीव खन्ना ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से कहा, ‘हम कभी-कभी ज्यादा संदिग्ध नहीं हो जाते? आप भी जरूरत से ज्यादा संदिग्ध हो रहे हैं. होता यह है कि रजिस्टर में व्यक्ति का नाम होता है लेकिन वे ठीक से नहीं दबाते. जिन मतदान केंद्रों पर मशीनें रखी गई हैं उनकी संख्या एक नहीं बल्कि कई हैं. गिनती करते समय उन्हें जनशक्ति और अन्य चीजों को भी देखना होगा.’
गायब ईवीएम के संभावित कारण
गायब ईवीएम के कारणों के बारे में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. कुछ संभावित कारण इस प्रकार हैं:
1. चोरी: ईवीएम को चोरी करने के कई तरीके हैं. ईवीएम को चुनाव के बाद नष्ट किए जाने के बजाय चोरी किया जा सकता है. ईवीएम को चुनाव के दौरान भी चुराया जा सकता है.
2. गलती से नष्ट करना: ईवीएम को गलती से नष्ट करने के कई तरीके हैं. ईवीएम को चुनाव के बाद किसी दुर्घटना में नष्ट किया जा सकता है. ईवीएम को चुनाव के दौरान किसी दुर्घटना में भी नष्ट किया जा सकता है.
3. धांधली: ईवीएम को धांधली के लिए इस्तेमाल करने के लिए गायब किया जा सकता है. गायब ईवीएम को किसी दल के समर्थकों को देकर या किसी को रिश्वत देकर धांधली की जा सकती है.
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गायब ईवीएम के संभावित प्रभाव
गायब ईवीएम का भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर कई तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं. कुछ संभावित प्रभाव इस प्रकार हैं:
1. चुनावों में अविश्वास: गायब ईवीएम से लोगों में चुनावों में अविश्वास पैदा हो सकता है. लोग यह सोच सकते हैं कि चुनावों में धांधली हो रही है.
2. राजनीतिक अस्थिरता: गायब ईवीएम से राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है. लोग सत्तारूढ़ दल पर धांधली का आरोप लगा सकते हैं.
3. अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान: गायब ईवीएम से भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है. अन्य देश भारत की चुनाव प्रणाली पर सवाल उठा सकते हैं.
Last Updated on December 3, 2023 4:03 pm