फ़र्ज़ी खबरों के ख़तरे में भारत नंबर वन… रिपोर्ट पर बोले लोग- हम विश्व गुरु हो गए!

भारत में फर्जी खबरों के खतरे (सांकेतिक फोटो)
भारत में फर्जी खबरों के खतरे (सांकेतिक फोटो)

2024 के चुनावी साल में पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा ख़तरा false information यानी कि फ़र्ज़ी खबरें होने वाली है. विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) की Global Risk Report 2024 के अनुसार फ़र्ज़ी खबरें पूरी दुनिया के लिए भविष्य की सबसे बड़ी चिंता है. फ़र्ज़ी खबरें फैलाने के मामले में भारत विश्व का नंबर वन देश बन सकता है. यहां दुष्प्रचार या फ़र्ज़ी खबरें का मतलब है, जहां लेखक या प्रकाशक जानबूझकर अपने दर्शकों को गुमराह करते हैं. भारत वह देश है जहां गलत सूचना और फ़र्ज़ी खबरों का जोखिम सबसे अधिक है. रिपोर्ट में साइबर सुरक्षा, प्रदूषण, बेरोजगारी, आतंकवादी हमले, संक्रामक रोग, अवैध आर्थिक गतिविधि, धन की असमानता और श्रम की कमी जैसे 34 अन्य चुनौतियों को सामने रखा गया है. लेकिन भ्रामक सूचनाओं को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया है. जिसका सबसे बड़ा ख़तरा भारत में दिख रहा है. अप्रैल और मई 2024 के बीच दक्षिण एशियाई राष्ट्र में आम चुनाव होने वाला है. तो क्या इस वजह से भारत को फ़र्ज़ी ख़बरों के ख़तरे में नंबर वन के पायदान पर रखा गया है?

@MANJULtoons एक्स हैंडल से एक शख्स ने इस रिपोर्ट को साझा करते हुए लिखा है- हम विश्व गुरु हो गए! दरअसल WEF की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान भी भारत में फर्जी खबरें व्याप्त थीं. पार्टियों ने “समर्थकों को आग लगाने वाले संदेश फैलाने के लिए व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों को हथियार बनाया था. इससे यह डर बन गया था कि ऑनलाइन ग़ुस्सा, असल दुनिया में हिंसा फैला सकता है. भारत में कोविड-19 महामारी के दौरान व्हाट्सएप के माध्यम से गलत सूचना फैलाना भी एक मुद्दा बना था.

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नीचे की ग्राफिक्स से पता चलता है कि अल सल्वाडोर, सऊदी अरब, पाकिस्तान, रोमानिया, आयरलैंड, चेकिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, सिएरा लियोन, फ्रांस और फिनलैंड जैसे देश भी फ़र्ज़ी खबरों के ख़तरे के मामले में चौथे से छठे नंबर पर है. फ़र्ज़ी खबरों के ख़तरे की रैंकिंग में यूनाइटेड किंगडम 11वें नंबर पर है.

WEF विश्लेषकों का मानना है कि “आगामी चुनावी प्रक्रियाओं में गलत सूचना और विघटन की उपस्थिति नव निर्वाचित सरकारों की वास्तविक और कथित वैधता को गंभीर रूप से अस्थिर कर सकती है. राजनीतिक अशांति, हिंसा और आतंकवाद को बढ़ाकर, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का दुरगामी नुकसान होगा.

यह डाटा शिक्षा, व्यवसाय, सरकार, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और नागरिक समाज में 1,490 विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. जिसमें एक सर्वेक्षण 4 सितंबर – 9 अक्टूबर, 2023 को किया गया है.

WEF 2024 की रिपोर्ट क्या कहती है?

WEF 2024 की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 2 वर्षों में विदेशी और घरेलू लोग, ग़लत सूचनाओं और फ़र्ज़ी खबरों के जरिए सामाजिक और राजनीतिक विभाजन करने में सफल हो सकते हैं. यह भी कहा गया है कि अगले 2 साल की अवधि में बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिको, पाकिस्तान, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका सहित कई देशों के करीब 3 अरब लोग चुनावी गतिविधियों में भाग लेंगे. इसलिए गलत सूचना का व्यापक उपयोग और दुष्प्रचार की वजह से नवनिर्वाचित सरकारों की वैधता कम हो सकती है.

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रिपोर्ट के अनुसार हाल में तकनीक ने जिस तरह से प्रगति की है. उससे सूचनाओं में हेरफेर के नए युग की शुरुआत हुई है. इससे काफी ज़्यादा मात्रा में झूठी जानकारी फैलाई जा रही है. तकनीक की वजह से इसे फैलने में भी काफी कम समय लगता है और ज्यादा लोगों तक इसे पहुंचाया जा सकता है. सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार कैंपेन इसका सटीक उदाहरण हैं. इन पर नजर रखना, कंट्रोल करना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है.

Last Updated on January 24, 2024 12:58 pm

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