व्यंग्य: JDU be like- BJP साधन संपन्न है, पीएम मोदी हैं.. उफ्फ INDIA के उसूल, जिससे दो वक्त की रोटी तक…

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार (Photo: X/@NitishKumar)
नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार (Photo: X/@NitishKumar)

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार गिर गई, लेकिन नीतीश कुमार ने रविवार शाम एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राजनीति में रुची रखने वालों को तो यह बात समझ आ गई होगी. लेकिन जिनके पास इस तरह के राजनीतिक खेल के लिए समय नहीं है, उनको बता दूं- नीतीश कुमार रविवार सुबह तक लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ सरकार में थे. लेकिन रविवार रात से वे बीजेपी की नेतृत्व वाली NDA के साथ मिलकर सरकार में हैं.

लोगों के मन में सवाल उठ रहे होंगे, जब बिहार के सीएम वही हैं तो दल या गठबंधन बदलने का फ़ायदा क्या? आज की राजनीति में वैसे भी आम लोगों का कोई फ़ायदा नहीं होता. फ़ायदा सरकार के नाम पर राजनीतिक कंपनियां चलाने वालों का है. तो अगर आप किसी राजनीतिक कंपनी से जुड़े हैं तो आपको ख़ुशी या दुख हो सकता है.

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‘उफ़्फ ये अफ़सोस जिसको बेचकर…’

आम आदमी के तौर पर.. अरविंद केजरीवाल वाला नहीं, संविधान वाला आम आदमी… आप केवल राजनीतिक स्तर गिरने पर अफ़सोस कर सकते हैं. ‘उफ़्फ ये अफ़सोस जिसको बेचकर तुम दो वक़्त की रोटी तक नहीं खरीद सकते’ वाला अफ़सोस.

सोशल मीडिया पर कई लोग सवाल कर रहे हैं कि नीतीश जी की पार्टी तो ऐसे भी अंतिम पड़ाव पर है. क्योंकि वो सिर्फ अपने लिए जी रहे हैं और बिहार से बाहर जाकर मज़दूरी करने पर विवश बिहारी कौम के प्रतिनिधि यानी कि विधायक जी का इस्तेमाल अपनी रिटायरमेंट Extend करने के लिए कर रहे हैं.

अबकी बार 440 पार

लेकिन सितारों से भरी महफ़िल की उपस्थिति में राम मंदिर का उद्घाटन समारोह कर, मास्टर स्ट्रोक खेलने वाले बीजेपी की ऐसी क्या मजबूरी थी? क्या अब बीजेपी विपक्ष को ‘440 वोल्ट का झटका’ देने वाली है. ‘440 वोल्ट का झटका’ से मेरा मतलब है- क्या पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में 440 लोकसभा सीट जीतने जा रही है?

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शनिवार से ही विश्वगुरु भारत देश में सोशल मीडिया पर ‘गिरगिट ज़िहाद’ ट्रेंड कर रहा है. जो लोग अब तक कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे, वो भी नीतीश कुमार को पानी पी-पी कर कोस रहे हैं. कुछ तो नीतीश कुमार के सिर में गिरगिट का फोटो फिट कर दे रहे हैं. लेकिन यह इकतरफ़ा विरोध क्यों? मोहब्बत तो दोनों तरफ़ से हुई है, फिर जुल्म केवल ‘गर्लफ्रेंड’ पर क्यों? सच है इस देश में महिलाओं को टारगेट करना सबसे आसान है.

नीतीश कुमार Boyfriend बदलते हैं

नीतीश कुमार को मैं महिला नहीं कह रहा. लेकिन बकौल BJP राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय नीतीश कुमार अपना Boyfriend ही बदलते हैं. इसलिए ऐसा कहा. पुरुषवादी सोच वाले इस समाज में वाकई पुरुषों के खिलाफ़ कोई उंगली नहीं उठाता. अब तक Boyfriend की भूमिका में रह रहे तेजस्वी यादव ने भी कमजोर-मजरूह नीतीश जी को ही बदचलन और कुल्टा साबित किया है.

नीतीश कुमार जी तो सच में ‘लैला’ निकले. RJD के लिए बस यही कहते रहे- कोई पत्थर से ना मारे मेरे दिवाने को. ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि पिछले दो दिनों से कोप भवन में बंद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब रविवार शाम राजभवन से बाहर आए तो उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर आरजेडी पर हमला बोलने के बजाय कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहराया.

प्रेम विवाह में लड़का-लड़की खुद ही जिम्मेदार

मजबूरी भी है. क्योंकि जब 17 महीने पहले विवाह के लिए प्रेमी लड़के RJD, वल्द श्री महागठबंधन का चुनाव उन्होंने ख़ुद ही किया तो शिकायत करें भी तो किससे? 17 महीने की घर-गृहस्थी में राज्य की सत्ता ठीक ठाक ही चल रही थी. 2 लाख से ज्यादा नौकरियां बांटी, कभी कोई झगड़ा या बवाल नहीं हुआ, तो दोष दें भी तो किसे.

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तेजस्वी जी वाक़ई सच्चे प्रेमी निकले. रेचल गोडिन्हो यानी कि राजश्री यादव के सामने भी उन्होंने समाज की परवाह नहीं की और सरकार चलाने की मोहब्बत में गृह मंत्रालय और शासन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की भी तिलांजलि दे दी थी. नीतीश जी की मजबूरी भी यही थी. सरकारी मुहब्बत में सबकुछ गंवा चुके तेजस्वी यादव को वह कहते भी तो क्या?

राजनीति के ‘ज्योति मौर्य’ नीतीश

तो क्या सीएम नीतीश ‘ज्योति मौर्य’ निकले. जो प्रधानमंत्री बनने के लिए मतलब सोशल स्टेटस बढ़ाने के लिए महागठबंधन का सहारा लिया. केसी त्यागी के शब्दों में बीजेपी साधन संपन्न पार्टी है. प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता है और INDIA गठबंधन के पास इनसे लड़ने के लिए तामझाम नहीं है. कांग्रेस गठबंधन का नेतृत्व करना चाहती थी और TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ मिलकर INDIA की मीटिंग में खड़गे को PM पद का उम्मीदवार बनाने की साजिश रची.

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तो अब इसका क्या मतलब निकाला जाए, आप ही बताएं?

बीजेपी पर सवाल
हालांकि नीतीश कुमार के एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद सवाल पीएम मोदी पर भी उठ रहे हैं. @SureshC85120965 नाम के एक एक्स यूजर ने पीएम मोदी का पुरान वीडियो शेयर करते हुए पूछा है- नीतीश कुमार के सेक्स पर दिये बयान कलतक जिन्हें भद्दे लगते थे, और शान से माताओं-बहनों से साझा कर इंडिया गठबंधन पर थोप रहे थे. आज वही सेक्स बयान वाले नीतीश प्यारे लगने लगे हैं. अब इन दोनों नेताओं का क्या चरित्र बचा? ऐसे अवसर वादी कभी समाज के लिए आदर्श नहीं बन सकते हैं!

@JaikyYadav16 नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा है- नीतीश कुमार ने 3 महीने पहले विधान सभा में एक ज्ञानवर्धक भाषण दिया था हां वही, आपको तो याद होगा… उस भाषण को सुनकर भाजपा की MLC निवेदता सिंह रोने लगीं थी और उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार ने पूरे बिहार को शर्मसार किया है और महिलाओं का अपमान किया है तो अब हमें यह जानना है कि क्या निवेदिता सिंह अब नीतीश कुमार के BJP के साथ आने के बाद BJP से इस्तीफ़ा दे देंगी? क्योंकि उनके अनुसार तो नीतीश कुमार वह व्यक्ति हैं जिन्होंने बिहार को शर्मसार और महिलाओं का अपमान किया था.

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तो सवाल यही उठता है कि तीन राज्यों में भारी जीत के बाद लोकसभा चुनाव के लिए, ‘अगली बार 400 पार’ वाला नारा गढ़ने वाली बीजेपी ने ऐसा क़दम उठाया ही क्यों, कि लोग सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल करने लगें.

Last Updated on January 29, 2024 11:34 am

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