इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताकर सुप्रीम कोर्ट ने किया बैन, चंदे के देना होगा हिसाब….

इलेक्टोरल बॉन्ड असंवैधानिक
इलेक्टोरल बॉन्ड असंवैधानिक

चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सर्वोच्च अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. वोटर को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का पूरा हक है.

इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले पांच सालों में राजनीतिक दलों के चंदे का हिसाब-किताब भी मांगा है. यानी कि अब निर्वाचन को बताना होगा कि पिछले पांच साल में किस पार्टी को किसने कितना चंदा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निर्वाचन आयोग SBI से पूरी जानकारी जुटाकर इसे अपनी वेबसाइट पर साझा करे.

5 सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनाया फैसला

बता दें कि 5 सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी. जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने किया. इसमें सीजेआई के साथ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं. संविधान पीठ ने 31 अक्टूबर से 2 नवंबर तक पक्ष और विपक्ष दोनों ही ओर से दी गई दलीलों को सुना था. तीन दिन की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 2 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था.

 

Last Updated on February 15, 2024 6:05 am

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