“Israel-Palestine Water Sharing Conflict: साल 1993 के ओस्लो समझौते में तो जल प्रबंधन का सारा अधिकार इज़रायल को दे दिया गया. इसके चलते वेस्ट बैंक के जल भंडार के 80 प्रतिशत से अधिक पर उसका क़ब्ज़ा है.”
अक्सर ऐसी तस्वीरें आती रहती हैं, जिनमें इज़रायली ऑक्युपेशन मिलिटरी को पानी के स्रोतों और कुओं में कंक्रीट डालते देखा जा सकता है. फ़िलिस्तीनियों के जीवन के हर पक्ष पर इज़रायली नियंत्रण है. पानी के साथ भी ऐसा है. नवंबर 1967 में इज़रायल ने एक सैनिक आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया कि बिना इज़रायली सेना से परमिट लिए फ़िलिस्तीनी नया जल स्रोत नहीं बना सकते हैं और न ही कोई संबंधित इंफ़्रास्ट्रक्चर खड़ा कर सकते हैं.
साल 1993 के ओस्लो समझौते में तो जल प्रबंधन का सारा अधिकार इज़रायल को दे दिया गया. इसके चलते वेस्ट बैंक के जल भंडार के 80 प्रतिशत से अधिक पर उसका क़ब्ज़ा है.
उक्त आदेश के चलते आज 57 साल बाद भी फ़िलिस्तीनी न कुआं खोद पाते हैं, न पम्प लगा पाते हैं और न ही कुओं की गहराई बढ़ा सकते हैं. जॉर्डन नदी और स्रोतों से पानी लेने से भी उन्हें रोका जाता है. वर्षा जल के संग्रहण से भी इज़रायल को परेशानी होती है. उसके सैनिक रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टमों को अक्सर तोड़ देते हैं.
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वेस्ट बैंक के ग्रामीण इलाक़ों में लगभग 180 समुदायों की पहुंच रनिंग वाटर तक नहीं है. जो शहर और गांव पानी की पाइप से जुड़े हैं, वहां अक्सर पानी नहीं आता है.
दूसरी तरफ़, वेस्ट बैंक में इज़रायल ने अपना पानी इंफ़्रास्ट्रक्चर बनाया है, जिससे उसके लोगों को पानी मिलता है तथा अवैध सेटलर बस्तियों को पानी जाता है. ऐसे कई इंफ़्रास्ट्रक्चर फ़िलिस्तीनी स्रोतों के पास बने हैं, जो उनका पानी डायवर्ट कर देते हैं. इज़रायली सरकारी कंपनी मेकोरोट फ़िलिस्तीनियों को कुछ पानी बेचती है, पर उसकी मात्रा इज़रायल तय करता है.
ऐसे में फ़िलिस्तीनियों को बहुत महंगे दामों पर ट्रकों से पानी ख़रीदना पड़ता है. कुछ ग़रीब बस्तियों में पानी ख़रीदने में परिवार की आमदनी का आधा हिस्सा चला जाता है. फ़िलिस्तीनी बस्तियों से सटे सेटलरों को पानी की कोई दिक़्क़त नहीं होती. उनके खेत और स्विमिंग पुल पानी से लबालब रहते हैं.
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ग़ाज़ा में पानी सप्लाई का 90-95 फ़ीसदी हिस्सा संक्रमित है और वह मानवीय उपभोग के उपयुक्त नहीं है. यह आंकड़ा मौजूदा संघर्ष से पहले का है. इज़रायल वेस्ट बैंक से ग़ाज़ा पानी ले जाने की अनुमति नहीं देता. ग़ाज़ा में स्वच्छ जल का एकमात्र संसाधन पूरी आबादी को पानी देने में सक्षम नहीं है तथा अत्यधिक दोहन और गंदगी से संक्रमित भी है.
फ़िलिस्तीन के लोगों की तुलना में इज़रायली उपभोग कम से कम चार गुना अधिक है. फ़िलिस्तीनी औसतन प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 73 लीटर पानी का उपयोग करते हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सौ लीटर न्यूनतम की सलाह से बहुत कम है. चरवाहा समुदायों में तो यह उपभोग 20 लीटर के स्तर पर है.
वहीं, एक इज़रायली औसतन लगभग 300 लीटर पानी का उपभोग करता है. आंकड़े कुछ साल पहले के हैं. अब स्थिति और बिगड़ी है. पानी की कमी के कारण वेस्ट बैंक की जीडीपी में खेती का हिस्सा लगातार कम होता जा रहा है.
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पानी की समस्या आगामी वर्षों में और गंभीर होने की आशंका है. साल 2030 तक ग़ाज़ा और वेस्ट बैंक की आबादी 72 लाख होने का अनुमान है. अगर इज़रायल द्वारा पानी की लूट को नहीं रोका गया, तो उस समय तक वेस्ट बैंक को लगभग 92 और ग़ाज़ा को लगभग 79 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की सालाना कमी होगी.
इज़रायलियों ने 2020 में वेस्ट बैंक के फ़िलिस्तीनियों की तुलना में 10 गुना अधिक पानी का उपभोग किया था.
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(स्रोत: एमनेस्टी, मिडिल ईस्ट मॉनिटर, द हारेट्ज़, द इज़रायली इन्फ़ॉर्मेशन सेंटर फ़ॉर ह्यूमन राइट्स इन द ऑक्यूपाइड टेरिटोरीज़ आदि)
पत्रकार और समीक्षक Prakash K Ray के X अकाउंट (@pkray11) से…
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Last Updated on April 9, 2024 9:20 am