कोविशील्ड के गुनाह को किसने की छिपाने की कोशिश, ICMR या भारत सरकार?

AstraZeneca
AstraZeneca

COVID vaccin बनाने वाली ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने माना कि इससे दिल का दौरा पड़ सकता है. भारत में इसी वैक्सीन को कोविशील्ड (Covishield )के नाम से तैयार किया गया. जिसे बनाया था ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ ने. ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ कुछ दिनों पहले भी सुर्खियों में था. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जब SBI ने Electoral Bond की जानकारी सार्वजनिक की तो पता चला कि सीरम ने BJP को 52 करोड़ का चंदा दिया था.

यानी चंदा के रुप में करोड़ों रुपये डकारने वाली BJP पार्टी के प्रमुख नेता प्रधानमंत्री मोदी जो गाहे-बगाहे कोविड वैक्सीन बनाने पर वाहवाही लूटते रहे, क्या हाल के दिनों में सैकड़ों लोगों की हार्ट अटैक से हुई अचानक मौत की ज़िम्मेदारी लेते हुए देश से दो शब्द कह सकते हैं?

MDH-Everest मसाले के नाम पर हमारा देश कीटनाशक खा रहा है. नेस्ले बेबी फूड्स में एक्स्ट्रा शुगर है. कोविशील्ड वैक्सीन हानिकारक है. पतंजलि के प्रोडक्ट बैन हो गए. कोरोना के दौर में जब लोग अपनी ज़िंदगी बचाने के लिए अपनी संपत्ति लुटाने को तैयार थे. तब योग गुरु रामदेव भगवा कपड़ा पहनकर कोरोनील के नाम पर झूठा प्रचार करते हुए लोगों को लूट रहे थे. जनता भगवा कपड़े पर विश्वास करती रही. क्योंकि हमारे देश में कपड़े देखकर लोगों की पहचान करने की नई परंपरा शुरु हुई है.

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Author, Novelist, Feminist सुजाता अपने एक्स हैंडल (@Sujata1978) पर लिखती हैं-

‘आपको पता है सबसे कमाल की बात क्या है? भारत हर ग़लत के छुपने की जगह बनता जा रहा है. वैक्सीन कंपनी ने बिटेन के कोर्ट में स्वीकार किया कि हां इस वैक्सीन से ख़ून के थक्के बन सकते हैं, हार्ट अटैक होने के चांस हैं. लेकिन भारत में सीरम इंस्टीट्यूट को, कोविशील्ड को बचा लिया जाता है.

विदेशों में भारतीय खाद्य पदार्थ, मसाले वग़ैरह टेस्ट फेल करते हैं, कैंसरकारी पाए जाते हैं, प्रतिबंधित होते हैं, लेकिन भारत में ऐसी ना जांच होती है, ना इन कंपनियों पर कोई नियंत्रण है.

भारत में पिछले दस साल से भ्रष्टाचारियों की मौज चल रही है और जनता की जान से खेला जा रहा है. यह अमृत काल नहीं. यहां सिर्फ़ मृत्यु है और काल है.

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Journalist/Reporter/writer विनय सुल्तान अपने एक्स हैंडल (@vinay_sultan) पर लिखते हैं-
“कोविड वैक्सीन और ICMR की लीपापोती..

एक ब्रिटिश नागरिक जेमी स्कॉट ने अप्रैल 2021 में ऑक्सफ़ोर्ड युनिवर्सिटी और ऐस्ट्रजेनेका फार्मा द्वारा विकसित कोविड वैक्सीन लगवाई थी. इसके कुछ समय बाद जेमी को ब्रेन हैमरेज हुआ. दो बच्चों के पिता जेमी काम करने के लायक नहीं रहे. उन्होंने ऐस्ट्रजेनेका के ख़िलाफ़ ब्रिटिश हाईकोर्ट में केस दायर कर दिया.

क़रीब डेढ़ साल चली क़ानूनी बहस के बाद आख़िरकार ऐस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में मान लिया कि उसकी वैक्सीन के चलते थम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम जैसे साइड इफेक्ट हो हो रहे हैं. सामान्य शब्दों में समझें तो वैक्सीन के चलते खून के थक्के जम रहे हैं और लोगों की हार्ट अटैक और ब्रेन हैमरेज के चलते मौत हो रही है.

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ऑक्सफ़ोर्ड और ऐस्ट्राजेनेका के ईजाद फ़ॉर्मूले पर ही सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने कोवीशील्ड नाम की वैक्सीन का मास प्रोडक्शन शुरू किया. हमारे देश में और तीसरी दुनिया के नामालूम कितने ही देशों में यह वैक्सीन लगाई गई.

दुनिया भर में लगभग पौने दो करोड़ मामले सामने आते हैं. इसमें से बीस फ़ीसदी मामले अकेले भारत के है.

साल 2022 में भारत में हार्ट अटैक के मामलों में अचानक से 25 से 30 फ़ीसदी का उछाल आ गया. आपको याद हो तो लोगों के अचानक से खड़े-खड़े ढेर हो जाने के वीडियो न्यूज़ चैनल से लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे. अब भी हो रहे हैं.

18 से 45 के बीच की उम्र के लोगों में तेज़ी से बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामलों पर काफ़ी हल्ला मचा. इसके बाद ICMR ने एक स्टडी शुरू की. दिसम्बर 2023 में ICMR ने अपनी स्टडी में बताया कि कोविड वैक्सीन का हार्ट अटैक से कोई लेना-देना नहीं है.

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ICMR की इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने मीडिया को बयान दिया और सारा मामला रफ़ा-दफा हो गया.

ICMR ने अक्तूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच 729 ऐसे केसों का अध्ययन किया जिनकी उम्र 18 से 45 के बीच थी और जिनकी अचानक से हार्ट अटैक से मौत हुई थी. इन केसों को 2000 से ज़्यादा सेम ऐज ग्रुप के लोगों के साथ तुलना की गई जिन्हें हार्ट अटैक आया लेकिन जान बच गई.

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इतने विस्तृत अध्ययन के बाद भी ICMR कोवीशील्ड और उसकी वजह से हो रहे थम्बोसिस के बीच सरल रेखा नहीं खींच पाया. अब ब्रिटिश अदालत में एस्ट्राजेनेका के इकबालिया बयान के बाद ICMR की स्टडी की विश्वसनीयता सवालों के दायरे में है. आपको याद दिला दूं कि यह देश की मेडिकल रिसर्च की सर्वोच्च संस्था है. करोड़ों लोगों की जान दांव पर है. अगर ऐसी संस्थाएं भी लोगों का भरोसा खो देंगी तो फिर इस देश का भगवान ही मालिक है.”

Last Updated on April 30, 2024 6:30 am

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