Lok sabha 2024: नवीन पटनायक सर्वश्रेष्ठ राजनीति कर रहे हैं, जनता जिलों के कैपिटल क्यों पूछेगी?

lok sabha 2024 naveen patnaik
lok sabha 2024 naveen patnaik

नवीन पटनायक बेहद सफल मुख्यमंत्री हैं. यह सफलता चुनाव जीतने की वजह से नही गिनी जाती. नवीन, आधुनिक उड़ीसा के नेहरू हैं. यह कहना, आपको इग्ज़ैजरेशन लगेगा. मगर सच्चाई महसूस करनी है, तो कालाहांडी से शुरू कीजिए. वृष्टि छाया में पड़ने वाला यह अकाल ग्रस्त इलाका, आज नहरों से परिपूर्ण है. अब ये इलाका, धान का कटोरा है. जीवन स्तर, पोषण स्तर, प्रति व्यक्ति आय काफी ऊंची हो गयी है. लोगो का आत्मविश्वास बढा है. सेन्स ऑफ प्राइड बढा है.

90 के दशक तक यह राज्य बीमारू हुआ करता था. बीजू पटनायक और जानकी वल्लभ पटनायक हर 5 साल में कुर्सी बदल लेते थे. काम तब भी होता था. जी हां, अच्छी सड़कें थी, खेती थी, हैंडीक्राफ्ट था. अम्मा पापाजी के साथ 1989 मे पहली बार पूरी गया था. उड़ीसा प्रवेश के साथ सड़को की चिकनाई बता देती थी कि हम दूसरे प्रदेश में है.

लेकिन यह डेवलपमेंट, सीमित क्षेत्रो में था. हीराकुंड का इलाका, कटक, कोस्टल उड़ीसा, भुवनेश्वर, जो चंडीगढ़ के साथ बनी देश की दूसरी प्लांड सिटी थी. यहां अलग ओड़िसा था. लेकिन बॉर्डर और भीतर के बड़े इलाके वंचित थे. इस वक्त बीजू की मृत्यु होती है, नवीन आते हैं.

ये भी पढ़ें- AstraZeneca ने कोरोना काल में आपदा को अवसर बनाते हुए बिना अनुभव बनाई वैक्सीन!

नवीन पटनायक, पिता के घोषित उत्तराधिकारी नहीं थे. पहले अमेरिका में रहे. राइटर रहे और एकेडमिक काम किया. फिर दिल्ली में ही रहते. पिता की मृत्यु के बाद ही उड़ीसा आये. पार्टी में विरोध, विद्रोह के बावजूद एंट्री की. अपने व्यक्तित्व और नरमाई की वजह से जनप्रिय बने. चुनाव जीते. लगातार जीत रहे हैं.

नवीन का वक्त, 90 के बाद का दशक है. जब लिबरलाइजेशन के फल पकने लगे थे. इस दौर में राज्यो का बजट तिगुना हो गया. सेंट्रल की अनगिनत वेलफेयर स्कीम्स आई. सर्व शिक्षा अभियान, नेशनल रूरल हेल्थ मिशन, राइट टू फ़ूड, राइट टू एजुकेशन, मनरेगा, तमाम स्कीम्स.

अब मुख्यमंत्रियों के पास, पहले के 40 सालों की तुलना में, पैसे – अवसर ज्यादा उपलब्ध थे. रमन सिंह, शिवराज, गहलोत, वसुंधरा, वाइएसआर सफल मुख्यमंत्री थे, तो इसके पीछे खर्च करने के लिए धन की ज्यादा उपलब्धता थी. लेकिन नवीन के पास क्लियर विजन था.

ये भी पढ़ें- कोविशील्ड के गुनाह को किसने की छिपाने की कोशिश, ICMR या भारत सरकार?

तब जीएसटी नहीं था, तो स्टेट अपने कर खुद लगाता, वसूलता, खर्च करता. अपने राज के पहले हाफ में, उन्होंने रोड रास्तों की चमक की जगह, लोगों का पेट भरने पर फोकस किया.

शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बिजली, जो केंद्र से मिला उसमें स्टेट फंड मिलाकर, बेहतर इम्पलीमेंट किया. आज उड़ीसा, सस्ती और क्वालिटी शिक्षा का गढ़ है. सामान्य सरकारी अस्पताल भी ड्यूटीफुली सेवा देते हैं.

उड़ीसा के लोग स्वभाव से नम्र, एफिशिएंट, समझदार, कर्तव्यनिष्ठ और प्रोग्रेसिव होते हैं. नवीन ने इस जन संसाधन का बेहतर यूज किया और क्षेत्रीय विषमता पर पूरा ध्यान दिया.
पिछली सरकारों की तरह अपने वोटिंग एरिया को पकड़कर नही चले. जिसने वोट किया, वे उसके सीएम थे. जिसने नहीं किया, उसके भी सीएम बने.

ये भी पढ़ें- Electoral Bond: ’38 कॉर्पोरेट समूहों ने चंदा दिया और BJP सरकार से 179 कॉन्ट्रैक्ट्स लिए’

आज पूरे प्रदेश में हर जगह उनका उनका काम दिखता है. उनका मुकाबला कठिन है. बीजेपी को वे जब चाहे हरा, हटा सकते हैं. लेकिन उन्हें बदले हालात की समझ है. केंद्र की यह सरकार, मनमाफिक न होने पर राज्य को डिस्टर्ब करेगी. अब टैक्स, राज्यों के हाथ नहीं, जीएसटी के बाद केंद्र से क़िस्त का मुंह ताकना पड़ता है.

तो वे केंद्र को समर्थन देते रहते हैं, भाजपा को कुछ सीटें भी. नतीजा, जहां वसुंधरा, रमन, शिवराज जैसे पार्टी के भीतर की चुनौती बन सकने वाले नेताओं के राज्य धनाभाव से बिगड़े, और 2018 हारे..

वहीं नवीन के राज्य की धनापूर्ति बनी रही. आज तक बनी है. वे इसका बेहतर यूज करते हैं. अपने राज्य, अपने पिता की लेगेसी, अपने लोगो के लिए सर्वश्रेष्ठ राजनीति कर रहे हैं. प्रशासन कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- Electoral Bond: कॉर्पोरेट-राजनीतिक हितों की फूहड़ जुगलबंदी की कहानी!

ऐसे नेता से जनता, भला क्यो जिलों के कैपिटल का नाम पूछेगी?? क्या यह कोई ऑब्जेक्टिव सॉल्व करके इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला हो रहा है. क्या मोदी जी बता सकते हैं कि पाई का मान दशमलव के आठवें अंक तक क्या होता है.

क्या अच्छी हिंदी, या उड़िया, या संस्कृत बोलना ज्ञान का पैमाना है. फिर तो हिंदी के प्रोफेसरों, या UPSC कोचिंग में पढ़ाने वालो के बीच से ही सीएम पीएम चुन लो. श्लोक प्रतियोगिता कराकर मंत्री ही चुन लो..

ये भी पढ़ें- देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का! PM Modi, मनमोहन सिंह के नाम पर झूठ बोल रहे हैं?

राजनीति को ऐसे मूर्खतापूर्ण डिस्कोर्स तक ले जाना, केवल मजाक नहीं है. नॉन इशूज पर बात तभी की जाती है, जब इशूज पे बात करने का माद्दा न हो. उड़ीसा में नवीन को हराना मुमकिन नहीं, मोदी जानते हैं. जितनी सीट नवीन उन्हें सेटिंग में जितवा देंगे, वही उनका आधार रहेगा.

Manish Singh के X अकाउंट (@RebornManish) से…

डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए Newsmuni.in किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है.

Last Updated on May 13, 2024 10:30 am

Related Posts