सोशल मीडिया पर इन दिनों दो वीडियो खूब वायरल हो रहे हैं. एक वीडियो धर्म संसद में हिंदुत्व को लेकर साधु-संतों के विवादित भाषणों को लेकर है तो दूसरा AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन) सांसद असदुद्दीन ओवैसी (asaduddin owaisi) का एक मिनट का भाषण है. सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि साधू-संतों ने ग़लत बोला तो ओवैसी कौन सी शांति की बात कर रहे हैं. सबसे पहले जानते हैं कि दोनों भाषणों में क्या कहा गया है?
हरिद्वार में हेटस्पीच
हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर के बीच धर्म संसद का आयोजन किया गया था. सोशल मीडिया पर जो भाषण वायरल हो रहा है, उसमें वक्ता ‘धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, 2029 तक मुस्लिम प्रधानमंत्री न बनने देने, मुस्लिम आबादी न बढ़ने देने और हिंदू समाज को शस्त्र उठाने का आह्वान करने जैसी बातें करते नज़र आ रहे हैं.’
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हरिद्वार में आयोजित “धर्म-संसद” हिंसा भड़काने का आह्वान थी। ऐसे दर्जनों वीडियो कट्टर “धर्मी” “विधर्मियों” के विरुद्ध चला रहे हैं। लोकतंत्र में क़त्लेआम की ऐसी पुकार की आज़ादी कैसे और कौन देता है?
pic.twitter.com/0Cc1bOGDnd— Om Thanvi (@omthanvi) December 24, 2021
देश के असली हिंदू जागो और इन भगवा आतंकियों के खिलाफ #ArrestBhagwaTerrorists हैशटैग के साथ अभियान चलाइए।
अपने बच्चों , समाज , देश का भविष्य बचाने के लिए पूरे देश के हिंदुओं एक हो जाओ ..
लिखो , बोलो , ट्वीट करो , लगातार करो pic.twitter.com/etbiIjpzRi
— Vinod Kapri (@vinodkapri) December 23, 2021
इस मामले में अबतक उत्तर प्रदेश के शिया वक्फ़ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिज़वी, एक अन्य व्यक्ति और दूसरे अज्ञात व्यक्तियों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की गई है. जबकि वीडियो में दिख रहे कई अन्य लोगों का नाम नहीं डाला गया है. उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के मुताबिक जिस व्यक्ति ने प्राथमिकी दर्ज करवाई है उसने सिर्फ़ दो लोगों का नाम लिया और कहा कि बाक़ी लोगों के नाम वह नहीं जानता है. इसलिए अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ भी प्राथमिकी दर्ज की गयी है.
ओवैसी का बयान क्या है?
12 दिसंबर के एक वीडियो में ओवैसी, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ कानपुर में हुई अलग-अलग घटनाओं का जिक्र करते हुए कहते हैं कि यहां मुस्लिमों की हत्याएं और उत्पीड़न हुआ है. पुलिस को चेतवानी देते हुए ओवैसी ने कहा की ध्यान रखो कि हमेशा योगी सीएम नहीं रहेंगे, मोदी पीएम नहीं रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘हम मुसलमान वक्त से मजबूर जरूर हैं लेकिन कोई इसको भूलेगा नहीं. समय बदलेगा, तब तुमको (पुलिस) कौन बचाएगा. जब योगी मठ में चले जाएंगे, मोदी पहाड़ों में रहने जाएंगे तब तुम्हें कौन बचाएगा.’
बाद में ओवैसी ने अपना पूरा बयान ट्वीट करते हुए अपनी सफाई दी है. उन्होंने लिखा कि ऐसा हरिद्वार में धर्म संसद के दौरान दिए गए भकड़ाऊ भाषण से ध्यान हटाने के लिए किया जा रहा है. मैंने किसी को धमकी नहीं दी और ना ही हिंसा को बढ़ावा दिया. मैंने पुलिस अत्याचार पर बात की थी.
In order to distract from #HaridwarGenocidalMeet, a clipped 1 min video is being circulated from 45 min speech I gave in Kanpur. I’ll set the record straight:
1. I did not incite violence or give threats. I talked about POLICE ATROCITIES Here’s the full video in TWO PARTS [Cont] pic.twitter.com/buZWZmVNLa
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 24, 2021
अवौसी ने आगे लिखा कि मैंने कुछ मुद्दों को उठाया था. मैं पुलिस टॉर्चर की बात कर रहा था, जिसमें 80 साल के बुजुर्ग पर पुलिस ने अत्याचार किया. उस रिक्शा वाले की बात कर रहा था जिसको पुलिस ने उसकी बेटी के सामने मारा. उन पुलिस की बात कर रहा था जिन्होंने बच्चा लिए शख्स पर लाठियां चलाई थीं.
(दोनों वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. newsmuni.in किसी भी वीडियो के सही होने का दावा नहीं करता है.)
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि उत्तराखंड में अगले साल फरवरी-मार्च तक विधानसभा चुनाव होने हैं और यह सबकुछ चुनाव से पहले की रणनीति है.
क़ानून क्या कहता है?
साल 2020 में एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत अपराध की व्याख्या करते हुए कहा था, “भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए ‘सार्वजनिक शांति’ शब्द को सार्वजनिक आदेश और सुरक्षा के पर्याय के सीमित अर्थों में समझा जाना चाहिए, न कि सामान्य क़ानून और व्यवस्था के मुद्दों में.”
धारा 153ए के प्रावधान के तहत “धर्म, मूलवंश, भाषा, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, इत्यादि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और आपसी सौहार्द्र के माहौल पर प्रतिकूल प्रभाव डालने” वाले कामों को शामिल किया गया है.
इसका उल्लेख करते हुए ये भी स्पष्ट किया गया है कि बोले गए या लिखे गए शब्दों या संकेतों के द्वारा विभिन्न धार्मिक, भाषायी या जातियों और समुदायों के बीच सौहार्द्र बिगाड़ना या शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करना इस धारा के तहत अपराध की श्रेणी में आता है. इसमें तीन वर्ष तक के कारावास का प्रावधान किया गया है.
ओवैसी का बयान नफ़रती नहीं
ऐसे में यह समझना ज़रूरी है कि धर्म संसद में जो बोला गया वो नफ़रती भाषा है. एक धर्म के विरूद्ध लोगों को हिंसा के लिए उकसाया जा रहा है. हमारे क़ानून को ताक पर रखते हुए लोगों से हथियार उठाने को कहा जा रहा है. जबकि ओवैसी किसी को उकसाने की बात नहीं कर रहे. वह लोगों से पुलिस की बर्बरता और अत्याचार के ख़िलाफ़ जागरूक होने को कह रहे हैं. वह लोगों से क़ानून अपने हाथ में लेने को नहीं कह रहे हैं.
Last Updated on December 30, 2021 2:34 pm
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