Loksabha Election 2024: योगी जी का असली गुरू कौन? मोदी जी.
कैसे? मोदी ने जो प्रयोग अटल-आडवाणी के साथ किया,योगी जी ने वही प्रयोग यूपी में दोहरा दिया. “भक्त” कहेंगे कि बात हाइपोथेटिकल है. लेकिन राजनीतिशास्त्र के हिसाब से बात बिल्कुल तर्कसंगत है. राजनीति के खेल में नंबर एक को हलाल किए बिना नंबर तीन,चार, पांच का नंबर नहीं लगता.
साल 2004
इंडिया शाइनिंग का शोर था. अटल बिहारी बाजपेयी जैसा लोकप्रिय नेता बीजेपी का चेहरा था. सरकारी तंत्र, मीडिया सब कुछ बीजेपी के पक्ष में था. सब कुछ स्क्रिप्ट के हिसाब से चल रहा था लेकिन जब परिणाम आए तो हर कोई हैरान रह गया.
बीजेपी को सीटें मिलीं 138. कांग्रेस को मिलीं 145. नतीजा यह हुआ कि बीजेपी अगले दस साल के लिए सत्ता से बाहर हो गई.
जानते हैं क्यों? श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी की वजह से जो कि उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे. अटल बिहारी के पराभव से अगर किसी को फायदा होना था तो वो आडवाणी-मोदी को होना था.
ये भी पढ़ें- व्यंग्य: 1982 के बाद फेमस हुए ‘गांधी’ से 1931 में मिलने को क्यों बेताब थे चार्ली चैप्लिन?
याद कीजिए 2004 का चुनाव, दंगो के बाद हुआ था. गुजरात में मोदी की लोकप्रियता चरम पर थी. लेकिन बीजेपी को 14 सीटें ही मिलीं. आज मोदी पीएम हैं इसलिए यह बात कहने से लोग डरते हैं लेकिन तब बहुत से बीजेपी वालों का भी मानना था कि मोदी की वजह से सत्ता बीजेपी से से दूर छिटक गई.
साल 2009
गुजरात में लगभग वही 2004 वाली कहानी दोहराई गई. बस किरदार बदल गए. इस बार बीजेपी का चेहरा मोदी के गुरू आडवाणी जी थे. बीजेपी को मिलीं 15 सीटें. कांग्रेस को 11.
हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस, बीजेपी से बहुत आगे थी (60-61 सीटों का फर्क था) लेकिन बीजेपी के लोगों का मानना था कि उस साल भी मोदी जी ने मन लगाकर अपनी पार्टी के लिए मेहनत नहीं की थी.
2009 तक मोदी जी ने गुजरात में अपना एक छत्र राज कायम कर लिया था. संघ, विहिप की जो समानंतर सत्ताएं थी, लोग थे, उनको समाप्त कर दिया था मोदी जी ने. जो करना था उन्हें ही करना. लेकिन उन्होंने नहीं किया, क्यों? जवाब बिल्कुल आसान है.
साल 2024
सवाल उठ रहे हैं कि क्या योगी जी मोदी के साथ यूपी में वही किया होगा जो मोदी ने अटल-आडवाणी के साथ गुजरात में किया था? सिर्फ “भक्तों” को छोड़कर इस हाइपोथिसिसि को कोई खारिज नहीं करेगा. अगर मोदी कमजोर नहीं होंगे तो योगी का नंबर नहीं लगेगा.
ये भी पढ़ें- Gambia Cough Syrup Deaths: भारतीय अथॉरिटी अफ्रीकी देश के 72 बच्चों की मौत को रोक सकता था?
राजनीतिक रूप से देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य का लोकप्रिय नेता को अगर प्रधानमंत्री बनना है तो उसे दूसरों को हराने से पहले अपनों को रास्ते से हटाना होगा.
वरिष्ठ पत्रकार विश्व दीपक के फेसबुक पेज से…
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए Newsmuni.in किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
Last Updated on May 30, 2024 7:38 am