Waqf board amendment bill पर केंद्र सरकार को क्यों हटना पड़ा पीछे?

Waqf board amendment bill
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Waqf board amendment bill: लोकसभा में पेश वक़्फ़ बोर्ड संशोधन विधेयक विपक्ष के ज़ोरदार विरोध के बाद JPC को सौंपे जाने का फैसला इसके ठंडे बस्ते में जाने का ऐलान है. नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्र सरकार की तीसरी पारी में यह पहली बड़ी हार कही जाएगी. विपक्ष ने जबरदस्त धारदार तरीके से अपनी ताक़त दिखाई और अपने तीखे हमलों से बोलती बंद कर दी. सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े.

सरकार ने 1995 वाले वक़्फ़ क़ानून में 40 संशोधन प्रस्तावित किये थे. जिसमें से दो पर सबसे ज्यादा बवाल हुआ.

एक तो गैर मुस्लिम लोगों को बोर्ड में शामिल करने पर और दूसरा वक़्फ़ की प्रॉपर्टी में डीएम यानी ज़िलाधिकारी के दख़ल पर.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिल के विरोध में अपनी टिप्पणी में जिलाधिकारियों को ज्यादा अधिकार दिये जाने के ख़तरों से आगाह करते हुए इशारों- इशारों में बिना नाम लिये अयोध्या के मामले का जिक्र भी कर दिया.

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विपक्ष यानी इंडिया गठबंधन के विरोध के साथ-साथ आंध्र प्रदेश की वाईएसआरसीपी (YSRCP) की आपत्तियों और सरकार की प्रमुख सहयोगी पार्टी तेलुगु देशम के सशर्त समर्थन वाली बात की भी बडी भूमिका रही.

मुस्लिम आरक्षण का समर्थन करने वाली तेलुगु देशम, वक़्फ़ संपत्तियों के मामले में ऐसा कोई रुख नहीं अपना सकती थी जिससे उनके मुस्लिम वोटर के नाराज़ होने का ख़तरा हो.

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हालांकि लोकसभा में बिल पेश करने, गरमागरमी और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर शाम की चर्चाओं के बाद सरकार भी अपने कट्टर हिंदू वोटर को संदेश देने में सफल कही जाएगी.

Amitaabh Srivastava के फेसबुक पेज से..

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए Newsmuni.in किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

Last Updated on August 9, 2024 6:30 am

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