78th independence day: Kolkata के आर जी कर मेडिकल कॉलेज में एक डॉक्टर के बलात्कार एवं हत्या (Rape and Murder) की घटना से देश दहला हुआ था. तभी खबर आई कि बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में एक दलित बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गयी. इस बात को अभी थोड़ी वक्त बीता कि खबर आई कि उत्तराखंड के रुद्रपुर में नर्स की बलात्कार के बाद हत्या करने वाले को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
कोलकाता में डॉक्टर का बेहद क्रूर, बर्बर और वहशी तरीके से बलात्कार करके हत्या कर दी गयी. मीडिया में आई प्राथमिक ऑटोप्सी रिपोर्ट के अनुसार गुप्तांगों पर गहरे घाव थे और पूरे शरीर पर भी दस के करीब घाव थे.
कोलकाता शहर के बीचों- बीच स्थित मेडिकल कॉलेज में एक डॉक्टर के साथ हुई इस जघन्य वारदात के लिए आर जी कर मेडिकल कॉलेज, राज्य का स्वास्थ्य विभाग और पश्चिम बंगाल की सरकार जवाबदेही से बच नहीं सकते.
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तीसरे कार्यकाल में चल रही एक महिला मुख्यमंत्री के राज में यदि राजधानी में मेडिकल कॉलेज में कामकाजी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं तो फिर महिलाओं के सुरक्षित कार्यस्थल की गारंटी कहां होगी ?
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर की घटना भी बेहद भयावह है. मीडिया में आये लड़की की मां के बयानों के अनुसार नौवीं क्लास में पढ़ने वाली दलित बच्ची को आरोपी जबरन घर से उठा कर ले गए और फिर उसका शव ही मिला. बिहार में बहुत दिनों से सुशासन का विज्ञापन चल रहा है, लेकिन लगातार इस तरह की घटनाएं वहां कानून व्यवस्था की स्थिति खुद ही उजागर कर रही हैं.
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उत्तराखंड के रुद्रपुर में 31 जुलाई को एक 33 वर्षीय नर्स के गुमशुदा होने की रिपोर्ट उसकी बहन ने दर्ज करवाई. 08 अगस्त को उत्तर प्रदेश के बिलासपुर के डिबडिबा में उक्त नर्स का कंकाल मिला. यह इलाका रुद्रपुर का निकटवर्ती इलाका है. पोस्टमार्टम में बलात्कार और गला घोंट कर हत्या करने की पुष्टि हुई है. अब पुलिस ने इस मामले में धर्मेंद्र कुमार नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया है.
इन तीनों ही मामलों में युवतियों या बच्ची का क्या दोष था? कोलकाता और रुद्रपुर वाले मामले में दोनों कामकाजी युवतियां थीं. डॉक्टर/नर्स का काम करती थीं. कोलकाता वाले मामले में अपने कार्यस्थल पर ही और रुद्रपुर वाले मामले में कार्यस्थल से वापस लौटने के रास्ते में वहशी दरिंदों का शिकार हो गयीं.
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मुज़फ़्फ़रपुर वाले मामले में तो लड़की अपने घर में थी और दरिंदे उसे घर से उठा कर ले गए. जब देश आजादी के 78 वें साल में प्रवेश कर रहा है, तब यह सवाल हमारे सामने है कि महिलाओं के लिए कहीं भी, किसी भी समय बेरोकटोक, बेखटके आने-जाने की आजादी हम कब हासिल कर पाएंगे?
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Last Updated on August 16, 2024 3:15 am