Kerala: जितना बड़ा Breast, उतना ज्यादा Tax; जब विरोध में महिला ने काट लिया था स्तन

गरीब महिलाओं को अपने स्तन ढंकने के लिए राजा को कर चुकाना पड़ता था और अपने स्तन को ढंकने के अधिकार को पाने के लिए टैक्स देना होता था. जितने बड़े स्तन होते थे, टैक्स की रकम उतनी ज्यादा होती थी.

breast tax imposed on women (फिल्म से ली गई वीडियो ग्रेब)
breast tax imposed on women (फिल्म से ली गई वीडियो ग्रेब)

Breast Tax: केरल की एक क्रूर कुप्रथा की दर्दनाक कहानी जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. जिन्होंने समाज के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया वो भारत में गुमनाम है, और जिन्होंने कुछ नहीं किया जिनका कोई अस्तित्व नहीं उनकी पूजा की जाती है. 19वीं सदी की एक दलित महिला को काटना पड़ा था अपना स्तन.

केरल की नांगेली ने स्तन-कर के बर्बर कानून के खिलाफ़ आवाज उठाई थी और अपना जीवन कुर्बान कर दिया था. उसकी उम्र करीब तीस साल की थी. नांगेली खूबसूरत महिला थीं, मगर वह तब सामाजिक व्यवस्था में नीच माने जाने वाले तबके (एड़वा जाति) की थी. उस दौर में महिला दिवस की परंपरा या महिला सशक्तिकरण की आम चलन नहीं थी और नांगेली ने पूरी हिम्मत के साथ आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ी थी.

यह घटना वर्ष 1803 की केरल के तटवर्ती स्थान चेरथला की है. नांगेली के बलिदान के बाद ब्रेस्ट टैक्स (Breast Tax) का बर्बर कानून हटा लिया गया. केरल (त्रावणकोर) में सार्वजनिक तौर पर अपने स्तनों को ढककर रखने की इच्छा रखने वाली महिलाओं से मुलक्करम (स्तन-कर) वसूला जाता था. गरीब महिलाओं को अपने स्तन ढंकने के लिए राजा को कर चुकाना पड़ता था और अपने स्तन को ढंकने के अधिकार को पाने के लिए टैक्स देना होता था. जितने बड़े स्तन होते थे, टैक्स की रकम उतनी ज्यादा होती थी.

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स्थानीय कर अधिकारी (परवथियार) बकाया ब्रेस्ट टैक्स वसूलने के लिए बार-बार नांगेली के घर आ रहा था. नांगेली ने तय कर लिया था कि त्रावणकोर के राजा द्वारा लगाए जाना वाला यह अमानवीय टैक्स वह नहीं देगी. अंतिम बार घर पर आए परवथियार को उसने इंतजार करने को कहा. उसने केले का पत्ता सामने फर्श पर रखकर दीप जलाया और प्रार्थना पूरी करने के बाद धारदार हथियार से अपने दोनों स्तन काट डाले.

ज्यादा खून बह जाने के चलते उसकी मौत हो गई. नंगेली के दाह-संस्कार के दौरान उनके पति ने भी अग्नि में कूदकर अपनी जान दे दी.

ब्रेस्ट टैक्स (Breast Tax) का मक़सद जातिवाद के ढांचे को बनाए रखना था. यह एक तरह से एक औरत के निचली जाति से होने की कीमत थी. इस कर को बार-बार अदा कर पाना ग़रीब समुदाय के लिए मुमकिन नहीं था. नांगेली का केरल की स्थानीय भाषा में अर्थ है खूबसूरत. चेरथला में नांगेली ने जिस जगह पर यह बलिदान दिया था, उसे मुलाचिपा राम्बु (मलयालम में इसका अर्थ महिला के स्तन की भूमि) कहते हैं. इतिहास की किताबों में नंगेली के बारे में कम पड़ताल की गई है.

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चेरथला में नांगेली का घर (झोपड़ी) अभी भी वही पर है, जहां उन्होंने बलिदान दिया था. झोंपड़ी के पास एक तालाब है, जिसके एक किनारे पर दो बड़ी इमारतें बन गई हैं. नांगेली और उनके पति (चिरूकंदन) की कोई संतान नहीं थी. चेरथला में ही षष्ठम कवला के पास नेदुम्ब्रकाड में नांगेली की बहन की परपोती (लीला अम्मा) रहती हैं, जिनकी उम्र 70 साल करीब है. वहां से कुछ किलोमीटर की दूरी पर नंगेली के पड़पोते मणियन वेलू रहते हैं.

BSP कार्यकर्ता Amita Ambedkar के एक्स पेज (@amita_ambedkar) से.

डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए Newsmuni.in किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है.

Last Updated on September 29, 2024 7:36 pm

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