China Missile Test: China ने इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में परीक्षण किया है. यह मिसाइल 5500 किलोमीटर तक वार कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने ख़ुद इस बात की पुष्टि की है. तो क्या यह परीक्षण अमेरिका और एशिया के लिए कोई संदेश है? क्या चीन यह बताने की कोशिश कर रहा है कि वह एक साथ कई मोर्चों पर लड़ सकता है?
यह परीक्षण इसलिए भी सवाल खड़े करता है क्योंकि मौजूदा समय में जापान, फिलीपींस और ताइवान के साथ चीन का तनाव बढ़ा हुआ है. तो क्या इसे चीन का अमेरिका के लिए कोई संदेश माना जाना चाहिए कि अगर ताइवान स्ट्रेट संघर्ष में दखल दी तो आपकी धरती भी अब हमारे रेंज में है?
चीन के इस क़दम से जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में काफी नाराज़गी है. जापान ने चिंता जताते हुए कहा है कि बिना किसी नोटिस के चीन द्वारा परीक्षण करना गंभीर चिंता की बात है. वहीं ऑस्ट्रेलिया ने चीन से जवाब मांगते हुए कहा है कि इस क़दम से क्षेत्र में अस्थिरता और ग़लत आकलन का जोखिम बढ़ा है. न्यूज़ीलैंड ने भी इसे चिंताजनक हरकत बताया है.
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चीन की न्यूक्लियर क्षमता बढ़ी है. वह लंबी दूरी तक हमला कर सकता है. इस चिंता से हिन्द प्रशांत क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है. यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि अमेरिका बीते साल भी चीन की परमाणु ताक़तों को लेकर आगाह कर चुका था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने 1980 के दौर में आख़िरी ICBM परीक्षण किया था. जो देश के अंदर ही शिंजियांग प्रांत के टकलामकान रेगिस्तान में किया गया था. एक बार फिर से मिसाइल लॉन्च करना चीन के रुख़ में बदलाव को दिखाता है.
चीन की सैन्य ताक़त भले ही अब भी रूस और अमेरिका से पांच गुना कम है. लेकिन सच्चाई यही है कि अब चीन की पहुंच अमेरिका के हवाई द्वीप इलाक़े तक है. चीन के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक़ यह परीक्षण सालाना ट्रेनिंग का हिस्सा था. ऐसा परीक्षण 25 सितंबर को सुबह 8.44 बजे किया गया. यह 40 सालों में पहली बार किया गया. मिसाइल के साथ एक नक़ली (डमी) वॉरहेड था जो माना जा रहा है कि दक्षिणी प्रशांत महासागर में गिरा होगा.
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चीनी मीडिया के मुताबिक सरकार ने इस बारे में सभी संबंधित देशों को जानकारी दे दी थी. हालांकि जापान किसी तरह की सूचना होने से इंकार कर रहा है. बीते महीने भी जापान ने चीन पर उसके क्षेत्र में जासूसी प्लेन घुसाने का आरोप लगाया था. इतना ही नहीं इसके बाद जापान के लड़ाकू विमान भी आसमान में दिखाई दिए थे.
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चीन और ताइवान के बीच भी तनाव जैसी स्थिति है. चीन आए दिन ताइवान के जल और हवाई क्षेत्र में अपने जहाज़ भेजता रहा है. वह इसे सामान्य बताते हुए ‘ग्रे ज़ोन वॉरफेयर’ कहता है.
Last Updated on September 26, 2024 8:33 pm