सूती साड़ी-हवाई चप्पल से जुड़ी रहीं ममता, केजरीवाल ने भी ली होती सीख तो…

ममता की जो सूती साड़ी और हवाई चप्पल संघर्ष के दिनों की पहचान थी. वो सत्ता में आने के बाद भी बनी रही. कम से कम दिखने में ऐसा नहीं आया कि सत्ता में आने के बाद ममता में कोई बदलाव आया.

केजरीवाल ने ममता से ली होती सबक तो नहीं हारते चुनाव...
केजरीवाल ने ममता से ली होती सबक तो नहीं हारते चुनाव...

केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और ममता (Mamata Banerjee) का फ़र्क़. अरविंद केजरीवाल के लिए एक सर्किल पूरा हुआ. 12 साल सत्ता सुख भोगने के बाद अब एक बार फिर वो इंडिया अगेंस्ट करप्शन वाले दिनों जैसे सड़क पर उतरे नज़र आएं तो कोई बड़ी बात नहीं.

केजरीवाल ने दिल्ली को बदलने से ज़्यादा खुद को बदला. सादगी का दम भरने वाले ने सत्ता से मिला हर सुख भोगा. आम आदमी के नाम पर सत्ता में आया शख़्स खुद ही आम आदमी न रहा. ये बात लोगों से छुपी नहीं रही. बीजेपी ने अपने राजमहल को छोड़ केजरीवाल के शीशमहल का शोर मचाया. लेकिन बीजेपी को ये मौका किसने दिया, ख़ुद केजरीवाल ने.

क़ाश केजरीवाल ने अपना सादगी का वादा छोड़ा न होता. मेरा तो मानना है केजरीवाल ने चुनावी राजनीति में ही कूद कर ग़लती की थी. अगर अराजनैतिक इंडिया अगेंस्ट करप्शन का प्रयोग बिना राजनीति में आए इस देश में चलता रहता तो हर सत्ताधारी दल (केंद्र हो या कोई राज्य) उससे ख़ौफ़ खाता. केजरीवाल ने सत्ता की ललक जल्दी दिखाई, नतीजा सामने है.

अब थोड़ी बात ममता बनर्जी की. ममता की जो सूती साड़ी और हवाई चप्पल संघर्ष के दिनों की पहचान थी. वो सत्ता में आने के बाद भी बनी रही. कम से कम दिखने में ऐसा नहीं आया कि सत्ता में आने के बाद ममता में कोई बदलाव आया.

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आख़िर कोई तो वजह होगी सत्ताधारी राजनीति के तथाकथित चाणक्य विपक्ष के तमाम किले भेदते जा रहे हैं लेकिन ममता के ‘मां, माटी और मानुस’ के आगे हर बार बौने साबित हो रहे हैं, वो भी साम-दाम-दंड-भेद के हर घोड़े खोलने के बाद.

केजरीवाल समेत विपक्ष के तमाम दिग्गजों को दीदी से क्लास लेने की ज़रूरत है, उन्हें अपना लीडर मानने के बाद.

वरिष्ठ पत्रकार खुशदीप सहगल के फ़ेसबुक पेज से…

डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए Newsmuni.in किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है.

Last Updated on February 9, 2025 9:24 am

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