धीरेंद्र शास्त्री: क्या सचमुच हिंदू हित की लड़ाई, या निजी ब्रांड का विस्तार?

धार्मिक पीड़ा का नैरेटिव उन्हें “आक्रोशित संत” के रूप में स्थापित करता है, जिससे आम हिंदू जनता की सहानुभूति मिलती है. लेकिन जब इसके साथ ही डोनेशन में इज़ाफा, सोशल मीडिया ग्रोथ, और राजनीतिक मंचों पर जगह मिलती है—तो यह सवाल उठना लाज़मी है: क्या यह संघर्ष का फल है, या संघर्ष की कहानी बनाकर ब्रांडिंग का तरीका?

धीरेंद्र शास्त्री सिर्फ हिंदुओं का सोचते हैं?
धीरेंद्र शास्त्री सिर्फ हिंदुओं का सोचते हैं?

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri), जिन्हें ‘बागेश्वर धाम सरकार’ के नाम से जाना जाता है, इन दिनों हिंदू राष्ट्रवाद और धार्मिक विमर्श के केंद्र में हैं. धीरेंद्र शास्त्री ने कई मंचों से कहा है कि उन्हें हिंदू हित की बात करने पर जान से मारने की धमकियां मिलती हैं. उन्होंने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा, “अगर हिंदू राष्ट्र होता तो मेरी मां पर पत्थर नहीं फेंके जाते, मुझे धमकियां नहीं मिलतीं.”

उनका यह दावा भावनात्मक रूप से अपील करता है, लेकिन क्या यह सचमुच एक पीड़ित साधु की आवाज़ है या फिर एक ब्रांड बिल्डिंग का हिस्सा?

1. ‘धमकी’ और ‘नुकसान’ का दावा:
धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) अक्सर दावा करते हैं कि हिंदू समाज के लिए आवाज़ उठाने की वजह से उन्हें धमकियां मिल रही हैं. 2023 में बागेश्वर धाम की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस रिकार्ड के अनुसार अभी तक किसी बड़ी कानूनी कार्रवाई या प्राथमिकी की जानकारी सामने नहीं आई है. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और बयान अक्सर जनभावनाओं को भड़काने वाले होते हैं, लेकिन इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि बहुत कम होती है.

उदाहरण:
NDTV Hindi (जनवरी 2024): “धीरेंद्र शास्त्री को नहीं मिली कोई जानलेवा धमकी, पुलिस ने कहा- रूटीन सतर्कता है।”
Dainik Bhaskar रिपोर्ट के मुताबिक, उनके कार्यक्रमों के दौरान पुलिस बल की मौजूदगी आम बात है, जिससे आयोजनों की सुरक्षा पुख्ता रहती है.

ये भी पढ़ें- मुर्शिदाबाद में बवाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश मिलकर फैला रहे हैं आग?

2. डोनेशन और सोशल मीडिया प्रभाव:

यूट्यूब और सोशल मीडिया: बागेश्वर धाम के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर 3 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं. औसतन हर वीडियो को लाखों व्यूज़ मिलते हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, बागेश्वर धाम में प्रतिदिन लाखों रुपये का दान आता है. कई राजनेताओं और प्रभावशाली हस्तियों ने मंच साझा किया है, जिससे राजनीतिक संरक्षण का संकेत मिलता है.
स्रोत:

The Print (मार्च 2023): “Bageshwar Dham: ₹1.25 करोड़ का दान हर महीने, और सोशल मीडिया से करोड़ों की ब्रांड वैल्यू”

Social Blade आंकड़ों के अनुसार, उनके यूट्यूब चैनल की अनुमानित मासिक कमाई ₹8-10 लाख के बीच है.

उनके लाखों फॉलोअर्स, ब्रांडेड प्रवचन, और मीडिया कवरेज एक ‘धार्मिक उद्यम’ की तस्वीर पेश करते हैं, जो आम धार्मिक गुरु से कहीं अधिक संगठित और व्यावसायिक नजर आता है. इन तथ्यों के आधार पर यह कहना कठिन नहीं कि शास्त्री जी को किसी “नुकसान” से ज्यादा फायदा हुआ है — चाहे वह आर्थिक हो, सोशल मीडिया ब्रांडिंग हो या राजनीतिक कनेक्शन.

ये भी पढ़ें- “रेपिस्ट का एनकाउंटर संविधान के हिसाब से ग़लत लेकिन लड़की ने क्या झेला होगा?”

3. ‘हिंदू राष्ट्र’ की बात: भावनात्मक एजेंडा या राजनीतिक सामर्थ्य?
धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) अक्सर मंचों से हिंदू राष्ट्र की मांग करते हैं.
ABP News (अप्रैल 2024) ने रिपोर्ट किया:
“धीरेंद्र शास्त्री बोले—हिंदू राष्ट्र बनाना ही मेरा लक्ष्य है.”
ये बयान धार्मिक सीमाओं को पार करके सीधा राजनीतिक विमर्श में प्रवेश करते हैं. जबकि इस कार्यक्रम में वह कह रहे हैं कि वह राजनीति पर नहीं बोलते. विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयानबाज़ी उन्हें एक खास वर्ग का हीरो तो बनाती है, लेकिन यह भारत के संविधान की धर्मनिरपेक्षता की भावना के विपरीत है.

4. किसे हो रहा असल में फायदा?
धार्मिक पीड़ा का नैरेटिव उन्हें “आक्रोशित संत” के रूप में स्थापित करता है, जिससे आम हिंदू जनता की सहानुभूति मिलती है. लेकिन जब इसके साथ ही डोनेशन में इज़ाफा, सोशल मीडिया ग्रोथ, और राजनीतिक मंचों पर जगह मिलती है—तो यह सवाल उठना लाज़मी है: क्या यह संघर्ष का फल है, या संघर्ष की कहानी बनाकर ब्रांडिंग का तरीका?

निष्कर्ष: बेचारे नहीं, रणनीतिक वक्ता?
धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) की छवि एक साधु की कम और एक पब्लिक ब्रांड की ज्यादा बनती जा रही है. भले ही वे खुद को ‘नुकसान उठाने वाला’ बताएं, लेकिन उपलब्ध आंकड़ों और रिपोर्ट्स से यह स्पष्ट है कि उनका प्रभाव, संसाधन और पहुंच किसी कारोबारी या राजनीतिक हस्ती से कम नहीं.

ये भी पढ़ें- दमोह में 7 मौत के बाद Fake Doctor John Camm की खुलने लगी पोल, पढ़ें पूरी डिटेल

धार्मिक विश्वास रखने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन जब धार्मिक आस्था के नाम पर व्यक्तिगत लाभ लिए जा रहे हों, तो सवाल पूछना जरूरी है.

Last Updated on April 14, 2025 12:30 pm

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *