जुलाई 2023 में पाक आर्मी चीफ आसिफ मुनीर और प्रधानमंत्री शबाज़ शरीफ ने ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव को हरी झंडी दिखाई. इस इनिशिएटिव के तहत 783 मिलियन डॉलर की लागत से 176 किलोमीटर लम्बाई की छह नहर बनाई जानी हैं. इस कनाल सिस्टम के जरिए पाकिस्तान साउथ पंजाब के बहावलपुर से सटे चोलिस्तान डेजर्ट में सिंचाई का प्रबंध करने जा रहा है.
पाकिस्तान की फ़ौज के साथ एक ख़ास बात यह है कि वो डिफेंस के अलावा हर काम करने में माहिर हैं. सरकारे बनाने-गिराने में, चुनाव रिग करने में, प्रॉक्सी वॉर चलाने में. वो नील भी बनाती है, सिनेमा-पेट्रोल पम्प भी चलाती है, कॉर्पोरेट फार्मिंग करती है, रियल स्टेट का सबसे बड़ा वेंचर है. ऐसा कोई सेक्टर नहीं जिसमें मिलेट्री की दखल ना हो.
पाक आर्मी यह काम इंस्टिट्यूशनल लेवल पर भी करती है और प्राइवेट लेवल पर भी. फौजी फाउंडेशन, आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट, शाहीन फाउंडेशन और बहरिया फाउंडेशन जैसे फ्रंट हैं जिन्हें पाक मिलेट्री प्राइवेट कॉन्ट्रेक्टर की तरह इस्तेमाल करती है. पाकिस्तानी आर्मी की अपनी इकॉनमी इतनी बड़ी है कि इसके बिना पाकिस्तान में कुछ भी संभव नहीं. इसलिए इसे पाकिस्तानी आर्मी की जगह पाकिस्तानी इस्टेब्लिशमेंट कहा जाता है.
पाकिस्तानी आर्मी पहले से कंस्ट्रक्शन और कॉरपरेट फार्मिंग के धंधे में है तो जाहिर तौर पर चोलिस्तान कनाल प्रोजेक्ट किसके हिस्से में जाएगा. पाक आर्मी ने इस प्रोजेक्ट के लिए ग्रीन कॉर्पोरेट इनिशिएटिव नाम से एक प्राइवेट कंपनी बनाई है. जिसे चोलीस्तन डेजर्ट की 485,623 हेक्टेयर जमीन को कॉर्पोरेट फार्मिंग के लायक बनाना है.
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यह एक भारी-भरकम प्रोजेक्ट है. लेकिन इसके लिए पानी कहां से आएगा? कहा जा रहा था कि सतलज में बाढ़ के पानी का इस्तेमाल चोलिस्तान को आबाद करने के लिए किया जाएगा. इसके अलावा सिन्धु नदी का पानी छह नहरों के जरिए चोलिस्तान पहुंचाया जाएगा.
पाकिस्तान में इस इस प्रोजेक्ट का जबरदस्त विरोध हो रहा है. पहले से ही वहां पानी की भयंकर कमी है. पंजाब को सिंचाई का पानी देने के चक्कर में सिन्धु का डेल्टा पहले से सूखा पड़ा है. अब सिंध के लोगों को लग रहा है कि उनको जो थोड़ा-बहुत पानी मिलता भी था वो भी छीना जा रहा है. फिलहाल यह पाकिस्तान की एक बड़ी फ़ॉल्टलाइन बनी हुई है.
भारत द्वारा इंडस वाटर ट्रीटी को सस्पेंड करना दरअसल इसी फाल्टलाइन को भुनाने की कोशिश है. यह एक बेहतरीन रणनीतिक कदम है. पाकिस्तान की इकॉनमी का 25 फीसदी कृषि क्षेत्र से आता है जोकि पूरी तरह से सिन्धु के पानी पर निर्भर है. ‘
लेकिन क्या हम चाहकर भी पाकिस्तान को मिलने वाला पानी रोक सकते हैं? आइये थोड़ा समझते हैं.
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इंडस वाटर ट्रीटी (Indus Water Treaty) के तहत भारत से नकलने वाली तीन नदियों चेनाब, झेलम और सिन्धु नदी का पानी पाकिस्तान को दिया गया था.
चेनाब पर हमारे पास तीन बड़े डेम हैं. बगलीहार,सलाल और दुलहस्ती हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट. इं बांधों के जरिए हम बिजली तो बना रहे हैं लेकिन वाटर स्टोरेज की क्षमता ना के बराबर है.
झेलम पर हमारे पास उरी और किशनगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट हैं. लेकिन पानी को रोकने के लिए हमारे पास कोई इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है.
इस ट्रीटी की सबसे बड़ी नदी सिन्धु भारत के लद्दाख में बहती है. वहां की भौगोलिक परिस्थियों और IWT (Indus Water Treaty) की पाबंदियों के चलते हमारे पास इस नदी पर कोई बड़ा बांध नहीं है.
IWT के सस्पेंशन का मतलब है कि अब हम इन नदियों का पानी रोकने के लिए नए इंफ्रास्ट्रक्चर बना पाएंगे. लेकिन पाकिस्तान हमारे इस कदम को इंटरनेशनल कोर्ट में चैलेंज करेगा. साथ ही पानी को रोकने के इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाने में भी वक्त लगेगा.
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कुल जमा मामला यह है कि IWT को सस्पेंड कर देने से पाकिस्तान का पानी तुरंत नहीं रुक जाएगा. इसमें लम्बा वक्त लगेगा.
पत्रकार-रिपोर्टर vinay sultan के एक्स पेज (@vinay_sultan) से…
Last Updated on April 24, 2025 6:27 pm