यूपी चुनाव को लेकर प्रचार जोर-शोर से जारी है. आमतौर पर विरोधियों पर प्रहार करने वाले गृह मंत्री अमित शाह इस बार अखिलेश पर तो प्रहार कर रहे हैं, लेकिन जयंत चौधरी को लेकर सॉफ्ट दिख रहे हैं. इससे सवाल उठता है कि क्या वाकई पश्चिमी यूपी में बीजेपी की स्थिति उतनी मजबूत नहीं है, जितना टीवी पर दिखाया जा रहा है. गुरुवार को अमित शाह (Amit Shah) ने गाजियाबाद के लोनी में एक जनसभा को संबोधित किया. उन्होंने मंच से सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर तो हमला किया लेकिन जयंत चौधरी को नसीहत दी.
अखिलेश यादव पर हमलावर गृहमंत्री
गृहमंत्री ने कहा कि अखिलेश अपने चाचा, पिता की नहीं सुनते तो आपकी क्या सुनेंगे. अमित शाह बार-बार जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रहे हैं.
बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सपा और आरएलडी ने गठबंधन किया है. अखिलेश यादव और जयंत चौधरी मिलकर जनसभाएं भी कर रहे हैं. पहले और दूसरे चरण में पश्चिमी यूपी में ही चुनाव होना है. कुछ दिनों पहले अमित शाह ने सौ से अधिक जाट नेताओं से मिलकर उनसे बीजेपी की झोली वोट से भरने की अपील की थी.
इतना ही नहीं बैठक के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे जयंत चौधरी की आरएलडी को इशारों में बीजेपी गठबंधन में शामिल होने का ऑफर दे दिया. यही नहीं बीजेपी ने जयंत चौधरी को ‘चुनाव बाद भी दरवाज़े खुले’ होने का ऑफ़र तक दे दिया. जिसके जवाब में जयंत चौधरी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘न्योता मुझे नहीं, उन 700 किसान परिवारों को दो जिनके घर आपने उजाड़ दिए है.
पहले चरण के समीकरण
पहले चरण के लिए 10 फरवरी को 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान होना है. पश्चिमी यूपी की इन ज्यादातर सीटों पर जाट समुदाय की पकड़ है और किसान आंदोलन यहां बड़ा मुद्दा है. पश्चिमी यूपी के ज़्यादातर जाट किसानी करते हैं.
यही वजह रही कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला किया. माना गया कि जाटों की नाराज़गी दूर करने के लिए बीजेपी ने ये क़दम उठाया है.
CDS के आंकड़ों के मुताबिक पश्चिमी यूपी में मुसलमान का संख्या 32 फ़ीसदी तो वहीं दलित तकरीबन 18 फ़ीसदी हैं. यहां जाट 17 फ़ीसदी और ओबीसी 30 फ़ीसदी हैं. जाटों की बात करें तो पूरे यूपी में जाट समुदाय की आबादी 4 से 6 फीसद के बीच है. लेकिन पश्चिमी यूपी के कुल वोटों में इनकी हिस्सेदारी 17 फीसदी तक है. यूपी की 120 सीटों पर इनका असर है और 45-50 सीटों पर जाट हार-जीत तय करते हैं.
आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने पश्चिमी यूपी की 17 सीटों पर जाट उम्मीदवारों को खड़ा किया है. तो आरएलडी ने 9 जाट और सपा ने अपने खाते से 3 जाट प्रत्याशियों पर दांव चला है. इसके अलावा बसपा ने भी 10 जाट उम्मीदवारों को टिकट दिया है.
पश्चिमी यूपी के 26 जिलों में कुल 136 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से पिछली बार यानी 2017 में बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं, जबकि समाजवादी पार्टी को सिर्फ 21 सीटें मिली थीं. पश्चिमी यूपी की इन बंपर सीटों की वजह से बीजेपी को 300 से ज्यादा सीटें मिलीं. दरअसल, इस क्षेत्र में 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद समीकरण बदल गए. मुसलमानों और जाटों के बीच गहरी खाई हो गई. जिसका राजनीतिक फायदा बीजेपी ने उठाया.
Last Updated on February 3, 2022 3:08 pm