भारत रत्न (Bharat Ratna) से सम्मानित स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का 92 साल की उम्र में निधन हो गया. वे काफी समय से बीमार चल रही थीं. मुंबई के मशहूर ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. बीते महीने 8 जनवरी को उन्हें कोरोना के लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.
रविवार शाम मुंबई के छत्रपति शिवाजी पार्क में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अतिंम संस्कार किया गया. भाई ने नम आंखों से स्वर कोकिला को मुखाग्नि दी.
उनके निधन पर दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है. लता दीदी को अंतिम समय में श्रद्धाजलि देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र के सीएम उद्वव ठाकरे, शाहरुख खान , सचिन तेंदुलकर समेत कई दिग्गज लोग पहुंचे.
36 भारतीय भाषाओं में गाए गीत
स्वर कोकिला के रूप से जानी जाने वाली लता मंगेशकर ने पांच साल की उम्र से संगीत का प्रशिक्षण लेना शुरू किया था. उन्होंने 1942 में एक गायिका के रूप में अपना करियर शुरू किया था और सात दशकों से अधिक समय तक हिंदी, मराठी, तमिल, कन्नड़ और बंगाली समेत 36 भारतीय भाषाओं में लगभग 25,000 गीत गाए.
उन्होंने ऐ मेरे वतन के लोगो, लग जा गले, मोहे पनघट पे, चलते चलते सत्यम शिवम सुंदरम, अजीब दास्तां है जैसे कई गीतों को अपनी सुरीली आवाज देकर यादगार बना दिया. भारतीय सिनेमा के सबसे महान पार्श्व गायकों में से एक मानी जाने वाली लता मंगेशकर को कई फिल्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.
उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और कई अन्य भारतीय फिल्म पुरस्कारों से नवाजा गया. उन्हें 2001 में भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत रत्न भी मिला था.
पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी शोक की लहर
भारत ही नहीं विदेश से भी लोग लता दीदी को श्रद्धांजलि दे रहा है. पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने रविवार को महान गायिका लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने दशकों तक संगीत की दुनिया पर राज किया है और उनकी आवाज का जादू हमेशा बरकरार रहेगा.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देते हुए उर्दू में शोक संदेश ट्वीट किया, ‘लता मंगेशकर के निधन से संगीत के एक युग का अंत हो गया. लता ने दशकों तक संगीत की दुनिया पर राज किया और उनकी आवाज का जादू हमेशा बरकार रहेगा.
क्रिकेट की दीवानी थी लता दीदी
लता मंगेशकर को क्रिकेट में काफी दिलचस्पी थी. अपने इक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि विश्वकप 2011 में पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में भारतीय टीम की जीत के लिये उन्होंने निर्जल व्रत रखा था. उन्होंने कहा था , जब भारतीय टीम खेलती है तो मेरे घर में सभी का कुछ न कुछ टोटका होता है.
विश्वकप 1983 फाइनल को याद करते हुए उन्होंने कहा था ,‘मैं उस समय लंदन में ही थी और मैंने कपिल देव और उनकी टीम को इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल से पहले डिनर के लिये बुलाया था . मैंने उन्हें शुभकामनायें दी. सचिन तेंदुलकर को वह अपना बेटा मानती थी और वह भी उन्हें मां सरस्वती कहते थे.
Last Updated on February 6, 2022 2:15 pm