रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच न्यूज चैनलों पर आप हमले की कई तस्वीरें देख रहे होंगे. इसमें यूक्रेन की स्थिति बयां की जा रही होगी. जिसमें बताया जा रहा होगा कि सड़कों पर अब गाड़िया नहीं, टैंक दौड़ रहे हैं. कई चैनलों की तरफ से पत्रकारों को युद्ध की कवरेज के लिए भी भेजा गया है. लेकिन क्या आपने नोटिस किया है कि उसमें ज्यादातर क्या दिखाया जा रहा है? नहीं किया है तो ध्यान दीजिए.
क्रिकेट मैच की तरह हर वो चीज दिखाई जा रही है जिससे आप दर्शकों का रोमांच बरकरार रहे. आपको दिखाया जा रहा होगा कि कैसे आसमान में दीवाली की तरह आतिशबाजी हो रही है. कैसे टैंक लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं. कैसे लोग भाग रहे हैं. बिल्कुल वीडियो गेम की तरह. वहां फंसे इंसानों की तकलीफ क्या है, वह सड़कों पर क्यों भाग रहे हैं? ये कौन लोग हैं, यूक्रेन किस सपने को लेकर आए थे और अब किस हालात में जी रहे हैं? इसको लेकर रिपोर्टिंग बहुत कम जगहों पर ही की जा रही है.
क्योंकि अब कोई नागरिक तो नहीं रह गया है. सब फिलॉसफर बन गए हैं या पार्टी बन गए हैं. जहां वह रूस का समर्थक है या यूक्रेन का. इंसान या उसके जीवन का कोई समर्थक नहीं है. यूक्रेन में पढ़ाई करने गए भारतीय छात्रों को सोशल मीडिया पर ट्रोल करने वाले कौन हैं, मुझे नहीं पता. लेकिन उनके लिए एक खबर है. खारकीव में रूसी सेना ने रॉकेट से हमला किया है, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई है. मरने वालों में एक भारतीय छात्र भी है. आप तय कीजिए कि इस खबर पर आपको जश्न मनाना है या दुखी होना है?
यूक्रेन में फंसे लोगों की बात बाद में करते हैं. पहले रूस के सैनिकों की बात करते हैं. जो कथित तौर पर यूक्रेन को मसल रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के बीच एक इमरजेंसी बैठक बुलाई. इसमें यूक्रेन के राजदूत सर्गेई किस्लिट्स्या ने एक रूसी जवान की मौत से कुछ देर पहले का मोबाइल संदेश सुनाया जो उसने अपनी मां से बात करते हुए कही थी.
मां हम शहरों और नागरिकों को निशाना बना रहे हैं…
‘मां, मैं यूक्रेन में हूं. यहां एक रीयल वॉर चल रही है. मुझे बहुत डर लग रहा है. हम सभी शहरों पर बमबारी कर रहे हैं … यहां तक कि नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं.’
मां से बातचीत के इस स्क्रीन शॉट को पढ़ते हुए सर्गेई कहते हैं कि सैनिक की मां पूछती है कि क्या तुम ट्रेनिंग सेशन में हो? पापा कह रहे हैं कि वो एक पार्सल भेजना चाहते हैं.
सैनिक कहता है, मां पार्सल कहां भेजोगी? मैं यूक्रेन में हूं.
सैनिक मां को बता रहा है कि यहां बड़ा युद्ध चल रहा है. हमें कहा गया था कि हमारा यहां स्वागत किया जाएगा. लेकिन यहां का नजारा बहुत ही अलग है. यूक्रेन के नागरिक हमारी गाड़ियों के आगे आ रहे हैं और हमें आगे नहीं जाने दे रहे हैं…
‘मां वो हमें फासिस्ट बुला रहे हैं.’
‘मां ये बहुत कठिन समय है….’
यह कहने के कुछ देर बाद ही वह सैनिक मारा गया.
‘ट्रेन, बस या किसी भी साधन से आज ही छोड़ें कीव’ : MEA
वहीं कोरोना जैसे महामारी के समय भी पूरी दुनिया का पथ प्रदर्शक बनने वाला भारत, रूस-यूक्रेन युद्ध के छठे दिन छात्रों सहित सभी भारतीयों को ट्रेन या किसी अन्य माध्यम से आज ही कीव छोड़ने का सुझाव दिया है. यानी कि बुधवार को क्या होगा. इसकी कोई गारंटी नहीं.
दूतावास ने ट्वीट किया, ‘कीव में भारतीयों के लिये परामर्श…छात्रों सहित सभी भारतीयों को सलाह दी जाती है कि वे आज तत्काल कीव छोड़ दें. उपलब्ध ट्रेन या किसी अन्य माध्यम के जरिये.’
यूके रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि रूसी सेनाओं ने कीव के उत्तर में और खार्किव और चेर्निहाइव के आस-पास तोप के अपने उपयोग में वृद्धि की है. घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में भारी तोप के इस्तेमाल से नागरिकों के हताहत होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है.
सोचिए कि हालात बिगड़ने से एक महीने पहले से ही यूक्रेन में रह रहे छात्र लगातार ट्विटर पर भारत सरकार से सलाह मांग रहे थे. लेकिन विश्वगुरु भारत जो पूरे विश्व को राह दिखाता है, अपने छात्रों को ना तो पहले राह दिखा पाया और ना अब दिखा पा रहा है. अगर मंगलवार को ये छात्र कीव नहीं छोड़ पाए तो छात्रों की ही गलती है, सरकार क्या कर सकती है.
छात्र अगर वापस आ गए तो सरकार, भारत के झंडे के नीचे उनका स्वागत करेगी. केंद्रीय मंत्री हवाई जहाज में उनका स्वागत करने पहुंच जाएंगे.. इवेंट बनाने से ज्यादा सरकार कर ही क्या सकती है. बाकी आपके पास समझदार मीडिया है ही जो आपको बता देता है कि क्या सही है और क्या गलत?
Last Updated on March 1, 2022 11:36 am