क्या सरकार की ‘कल्याणकारी योजनाओं’ से बढ़ रहा है राजकोषीय घाटा?

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का मानना है कि नरेंद्र मोदी सरकार कल्याण योजनाओं पर भारी खर्च कर रही है. जिसकी वजह से राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ रहा है. राजकोषीय घाटा असामान्य रूप से काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है.

‘राजकोष की स्थिति ढांवाडोल है’

सिन्हा ने मीडिया को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि यह हैरानी की बात है कि किसी को भी सरकार की राजकोषीय स्थिति की चिंता नहीं है, खुद सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सिन्हा ने कहा, ‘मोदी सरकार मुफ्त अनाज सहित अन्य कल्याण योजनाओं पर भारी-भरकम राशि खर्च कर रही है.

सरकार की राजकोष की स्थिति ढांवाडोल है. राजकोषीय घाटा असामान्य रूप से काफी ऊंचे स्तर पर है. यह सरकार के उन आंकड़ों से भी अधिक है, जिन्हें ‘भरोसेमंद’ नहीं माना जाता.

जीडीपी 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान

देश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. पहले इसके 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान था. सिन्हा ने आरोप लगाया, ‘आज सरकार की आर्थिक नीतियां इस आधार पर तय होती हैं कि क्या इनसे उसे चुनाव जीतने में मदद मिलेगी या नहीं. इससे एक तरफ गरीबों के लिए ‘कल्याण’ चल रहा है, दूसरी ओर चुनिंदा कॉरपोरेट अत्याशित लाभ कमा रहे हैं. यह कुछ ऐसा हो रहा है जिसको लेकर देश में किसी को चिंता नहीं है.’

सिन्हा ने कहा कि यह मजबूत राजकोषीय नीतियों और मजबूत आर्थिक नीतियों के बीच स्पष्ट रूप से असंतुलन की स्थिति है. यही आज की सचाई है. सिन्हा का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मुद्रास्फीति और वृद्धि की चुनौतियों से जूझना होगा. चालू वित्त वर्ष में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

निजी क्षेत्र से निवेश की जरूरत

सिन्हा आगे कहते है कि अर्थव्यवस्था को सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र से निवेश की जरूरत है. लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. सरकारी निवेश नहीं बढ़ रहा है. निजी निवेश भी कमजोर है. उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी की वजह से निवेश कमजोर है. ‘निवेश के अभाव में भारतीय अर्थव्यवस्था प्रगति नहीं कर पाएगी.’

भारतीय अर्थव्यवस्था पर रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव पर बात करते हुए सिन्हा ने कहा, ‘हमारी अर्थव्यवस्था काफी हद तक आयातित कच्चे तेल पर टिकी है. ऐसे में मुद्रास्फीति के मोर्चे पर अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी.’

बता दें कि खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में 6.07 प्रतिशत के आठ माह के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से कई गुना ज्यादा है. थोक मुद्रास्फीति भी 13.11 प्रतिशत पर पहुंच गई है.

यशवंत सिन्हा प्रधानमंत्री मोदी के बड़े आलोचकों में गिने जाते है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल थे. नेतृत्व के साथ मतभेदों की वजह से उन्होंने 21 साल भाजपा में रहने के बाद साल 2018 में पार्टी का दामन छोड़ दिया.

Last Updated on March 21, 2022 9:43 am

Related Posts