मई के महीने में चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ो (Heat wave) ने उत्तर भारत के लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. वहीं बढ़ती गर्मी के कारण बिजली (electricity) की मांग भी लगातार बढ़ रही है. इसी बीच देश भर में बिजली संकट गहरा गया है. इस संकट के पीछे की वजह कोयले की कमी (coal shortage) को बताया जा रहा है.
देश में गहराया बिजली संकट
कोयले की कमी की वजह से देश में बिजली संकट गहराने के बीच व्यस्त समय में बिजली कमी भी बढ़ी है. पिछले सोमवार को बिजली की कमी जहां 5.24 गीगावॉट थी, वही बृहस्पतिवार को यह बढ़कर 10.77 गीगावॉट हो गई है.
राष्ट्रीय ग्रिड परिचालक, पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन (पीओएसओसीओ) के ताजा आंकड़ें बताते हैं कि रविवार को व्यस्त समय में बिजली की कमी सिर्फ 2.64 गीगावॉट थी, जो सोमवार को 5.24 गीगावॉट, मंगलवार को 8.22 गीगावॉट, बुधवार को 10.29 गीगावॉट और बृहस्पतिवार को बढ़कर 10.77 गीगावॉट हो गई.
रिकॉर्ड स्तर पर बिजली की मांग
देशभर में तेज गर्मी के बीच इस सप्ताह में बिजली की आपूर्ति तीन बार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इन आंकड़ों से स्पष्ट पता चलता है कि बिजली की मांग में तेजी आई है और कुछ ही दिनों में इसकी वजह से देश में बिजली संकट गहरा गया है.
केंद्र और राज्य सरकारों के नेतृत्व में सभी हितधारकों को ताप बिजलीघरों में कम कोयले के भंडार, परियोजनाओं पर रैक को तेजी से खाली करने और इनकी उपलब्धता बढ़ाने पर ध्यान देना होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी की शुरुआत में जब यह हाल है, तो मई और जून की स्थिति का अंदाजा ही लगाया जा सकता है.
कोयले का भंडार नौ वर्षों में सबसे कम
वहीं बिजली मंत्रालय ने कहा था कि मई-जून 2022 में बिजली की मांग लगभग 215-220 गीगावॉट तक पहुंच सकती है. बता दें कि देश में कोयले से 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन होता है. सरकार दावा कर रही है कि मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला उपलब्ध है, लेकिन बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार नौ वर्षों में सबसे कम हैं.
इन दिनों देश भर में उपभोक्ताओं को दो घंटे से आठ घंटे तक की बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. बिजली कटौती से कारखाने सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. कारखाना मालिकों का कहना है कि यही हालात रहे तो उन्हें अपना काम तक बंद करना पड़ सकता है.
Last Updated on May 2, 2022 9:45 am