भारत सरकार ने कुछ दिन पहले गेंहू के निर्यात (india ban wheat export) पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार का कहना था कि घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ऐसा किया गया है. ये रोक ऐसे समय में लगाई गई हैं जब भारत समेत दुनियाभर में गेंहू के दामों में वृद्धि देखने को मिल रही है.
निर्यात पर रोक लगाने के पीछे सरकार का तर्क है कि पिछले एक साल में गेहूं और आटे की कीमतों में 14 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है, निर्यात पर रोक से कीमतों में काबू आने की उम्मीद है. वहीं भारत दुनिया के सबसे बड़े गेहूं उत्पादकों में से एक है.
सरकार के फैसले का विरोध
वहीं सरकार के इस फैसले का विरोध देश-विदेश में शुरू हो गया है. G-7 देशों के समूह ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है तो वहीं जर्मनी के कृषि मंत्री केम ओजडेमिर ने कहा है कि भारत के इस कदम से दुनियाभर में खाद्यान्न संकट और बढ़ेगा.
वहीं कभी मोदी सरकार के सहयोगी रहे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने इस फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि सरकार के फैसले से गेहूं की मांग में कमी आएगी और किसानों को नुकसान होगा.
कांग्रेस ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे ‘किसान विरोधी’ बताया है. पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस ने सरकार पर किसानों से गेंहू नहीं खरीदने का आरोप लगाया है.
दुनियाभर में गेहूं की सप्लाई बाधित
बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनियाभर में गेहूं की सप्लाई बाधित है. रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक रहे हैं. ऐसे में IMF, वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाजेशन (WTO) जैसी संस्थाओं ने सरकारों से गेहूं के निर्यात पर रोक ना लगाने की अपील तक की थी.
दुनियाभर में गेंहू की मांग के कारण 2021-22 में भारत का निर्यात बढ़कर 70 लाख टन यानी 2.05 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया हैं. डीजीएफटी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में कुल गेहूं निर्यात में से लगभग 50 प्रतिशत खेप बांग्लादेश भेजी गई थी. पिछले साल इसी अवधि में 1,30,000 टन के मुकाबले देश ने इस साल लगभग 9,63,000 टन गेहूं का निर्यात किया है.
भारत को 2022-23 में एक करोड़ टन गेहूं का निर्यात करने की उम्मीद थी. जिसके लिए भारत सरकार ने गेंहू के निर्यात को बढ़ाने का लक्ष्य रखा था. गेंहू के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने एक प्रतिनिधिमंडल भी गठित किया था. जो नौ देशों-मोरक्को, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, वियतनाम, तुर्की, अल्जीरिया और लेबनान में गेंहू के निर्यात को बढ़ावा देने का काम करता.
भारत में इस साल गेहूं खरीद घटकर 44 प्रतिशत घटकर 1.62 लाख टन रह गई है. सरकार ने एक साल पहले की अवधि में 2.88 लाख टन गेहूं की खरीद की थी.
Last Updated on May 16, 2022 7:24 am