साल 2020 में लगे शुरुआती लॉकडाउन में मजदूर तबके को कई मुसीबत का सामना करना पड़ा. रोज कमाने और खाने वाले इन लोगों के सामने जो सबसे बड़ा संकट था वो था रोजी रोटी का.
बसें, ट्रेन बंद होने के चलते मजदूर और परेशान नजर आए. ऐसे में हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल से पलायन करने वाले यूपी और बिहार के मजदूरों ने पैदल या साइकिल से अपने शहर पहुंचने का फैसला किया.
प्रशासन ने लोगों को रोका!
घरों से निकलें इन मजदूरों की परेशानी बाहर आकर कम होने की बजाए और बढ़ गई. कई जगहों पर इन मजदूरों को महामारी नियमों का उल्लंघन करने की सजा भुकतनी पड़ी. हरियाणा, पंजाब उत्तराखंड से आए इन लोगों को सहारनपुर प्रशासन ने रोक लिए.
प्रशासन ने इन पैदल जा रहे मजदूरों के लिए बस की व्यवस्था कि जिसके कारण इन लोगों को अपनी साइकिल वहीं छोड़कर जानी पड़ी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन साइकिल की गद्दियों पर लिखे नंबर का टोकन उन मजदूरों को दिया गया था, जिससे वे बाद में आकर अपनी साइकिल ले जा सके.
मजदूरों की साइकिल नीलाम की
अब खबर है कि मजदूरों से जब्त की गई इन साइकिलों को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर पुलिस ने 21 लाख रुपये में नीलाम कर दी है. जिला प्रशासन ने मजदूरों की 5400 जब्त ऐसी साइकिलों की नीलामी कर दी, जिसे मजदूर लेने नहीं आ पाए.
25 हजार मजदूरों ने अपनी साइकिल छोड़ी
दैनिक भास्कर लिखता है कि करीब 25 हजार मजदूर अपनी साइकिल छोड़ गए थे और एक टोकन लेकर गए थे. जिनमें से 14,600 मजदूर अपनी साइकिल ले गए. मगर, 5400 कामगार मजदूर अपनी साइकिल लेने नहीं पहुंचे. प्रशासन ने दो साल के इंतजार के बाद 21.20 लाख रुपए में उन साइकिलों को नीलाम कर दिया.
नीलामी के लिए जिला प्रसासन ने बकायदा सूचना निकाली थी. इसके लिए 250 ठेकेदारों ने बोली लगाई. यह नीलामी की प्रक्रिया 15 लाख रुपए से शुरू होकर 21 लाख रुपये में जाकर रुकी. यानि एक साइकिल की कीमत हुई 392 रुपए.
साइकिल खरीदार को हुआ घाटा!
वहीं एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक सहारनपुर के ठेकेदार जीतेंद्र ने सभी साइकिलें नीलामी में खरीदी हैं. जितेंद्र का कहना है कि प्रशासन ने 5400 साइकिल को नीलाम करने की घोषणा की थी. उन्होंने 21 लाख रुपये में इनको खरीदा.
बाद में जब साइकिलों की गिनती की तो पता चला कि सिर्फ 4000 साइकिल ही हैं. उनके मुताबिक नीलामी में इन साइकिलों को खरीदने में उन्हें घाटा हुआ है.
Last Updated on June 6, 2022 6:44 am