कोविड महामारी (Covid pandemic) के इस दौर में विकासशील देशों को भयानक मानवीय संकट से गुजरना पड़ा है. खाने पीने के सामान से लेकर दवाईयां तक ने सरकार के सामने कई तरह की चुनौतियां ला खड़ी कर दी हैं. इस दौरान कई लोगों को अपनी नौकरियों से तक हाथ धोना पड़ा है. तो वहीं कुछ लोगों की सैलरी में कटौती तक की खबरें देखने को मिली है.
कोरोना (Corona) के कारण लगने वाला लॉकडाउन (lockdown) के कारण कई लोग भुखमरी की कगार पर आ पहुंचे हैं. तो हाल ही में आर्थिक असमानता पर आई ऑक्सफैम (Oxfam report) की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी बयां करती है. रिपोर्ट की माने तो कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के अरबपतियों (Billionaires) की कुल संपत्ति बढ़कर दोगुने से अधिक हो गई है. अध्ययन के मुताबिक इस दौरान भारत में अरबपतियों की संख्या 39 प्रतिशत बढ़कर 142 हो गई है.
आर्थिक असमानता पर ऑक्सफैम की रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 142 भारतीय अरबपतियों के पास कुल 719 अरब अमेरिकी डॉलर यानि (53 लाख करोड़ रुपये से अधिक) की संपत्ति है. देश के सबसे अमीर 98 लोगों की कुल संपत्ति, सबसे गरीब 55.5 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति के बराबर है.
यह रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच के दावोस शिखर सम्मेलन के पहले दिन जारी की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 की शुरुआत एक स्वास्थ्य संकट के रूप में हुई थी, लेकिन अब यह एक आर्थिक संकट बन गया है. महामारी के दौरान सबसे धनी 10 प्रतिशत लोगों ने राष्ट्रीय संपत्ति का 45 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया, जबकि नीचे की 50 प्रतिशत आबादी के हिस्से सिर्फ छह प्रतिशत राशि आई.
बढ़ती आय असमानता चिंता का विषय
यही नहीं अध्ययन में सरकार से राजस्व सृजन के अपने प्राथमिक स्रोतों पर फिर से विचार करने और कराधान के अधिक प्रगतिशील तरीकों को अपनाने का आग्रह किया गया. भारत में बढ़ती आय असमानता चिंता का विषय है. हाल के कुछ सालों मे इसमें इजाफा देखने को मिला है तो वहीं कोरोना महामारी ने इसमें भारी बढ़ोत्तरी हुई है.
रिपोर्ट में भारतीयों की बढ़ी आय को लेकर कहा गया है कि कोविड-19 की शुरुआत एक स्वास्थ्य संकट के रूप में हुई थी, लेकिन अब यह एक आर्थिक संकट बन गया है. रिपोर्ट की मानें तो 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 25 साल तक देश के हर बच्चे को स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा देने के लिए पर्याप्त है. सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगा दिया जाए, तो देश को लगभग 17.7 लाख अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर मिल सकते हैं.
इन भारतीयों की आय में हुई बढ़ोत्तरी
रिपोर्ट के मुताबिक मुकेश अंबानी, गौतम अडाणी (Gautam Adani), शिव नादर, सायरस पूनावाला, उदय कोटक, अजीम प्रेमजी, सुनील मित्तल, राधाकृष्ण दमानी, कुमार मंगलम बिरला और लक्ष्मी मित्तल जैसे अरबपतियों की संपत्ति मार्च 2020 के बाद महामारी और लॉकडाउन के दौरान तेजी से बढ़ी. दूसरी ओर अप्रैल 2020 में प्रति घंटे 1.7 लाख लोग बेरोजगार हो रहे थे. कोरोना महामारी के दौरान पिछले सौ वर्षों का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट देखने को मिला है और इसके चलते 1930 की महामंदी के बाद सबसे बड़ा आर्थिक संकट पैदा हुआ.
गौतम अडानी की संपत्ति में 8 गुना बढ़ोत्तरी हुई है. 2020 में जहां उनके पास 8.9 अरब डॉलर की संपत्ति थी वो 2021 में 50.5 अरब डॉलर की हो गयी है। गौतम अडानी आज दुनिया में अमीरों की सूची में 24वें स्थान पर विराजमान हो चुके हैं. मुकेश अंबानी की संपत्ति की बात करें तो इसमें भी दोगुनी से ज़्यादा बढ़ोत्तरी दर्ज़ हुई है। 2020 में जहां उनके पास कुल संपत्ति 36.8 अरब डॉलर थी वह 2021 में 85.5 अरब डॉलर पहुँच गयी है
ऑक्सफैम द्वारा किए गए सर्वे में 79 देशों के 295 अर्थशास्त्रियों ने अपनी राय दी, जिसमें जेफरी डेविड, जयति घोष और गेब्रियल ज़ुक्मैन सहित 87 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने महामारी के चलते अपने देश में आय असमानता में बड़ी या बहुत बड़ी बढ़ोतरी का अनुमान जताया है.
आय असमानता क्या है
जनसंख्या में आय के असमान या असमान वितरण होने पर आय असमानता उत्पन्न होती है. समान वितरण जितना कम होगा, आय असमानता उतनी ही अधिक होगी. आय असमानता धन असमानता से जुड़ी है, जो धन का असमान वितरण है. वर्ल्ड इनैक्वैलिटी लैब के अध्ययन के अनुसार भारत में आर्थिक असमानता काफी व्यापक है और यह 1980 के दशक से लगातार बढ़ रही है.
Last Updated on January 19, 2022 2:03 pm