लोगों को महंगाई का सामना करना ही होगा. जानकारी के मुताबिक रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले उत्पादों के दाम 10 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं. गेहूं, पाम ऑयल और पैकेजिंग सामान के दामों में उछाल आया है. बताया जा रहा है कि इस वजह से एफएमसीजी कंपनियां अपने उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी की तैयारी कर रही हैं. यानी कि उपभोक्ताओं को अब दैनिक इस्तेमाल के उत्पादों के लिए अपनी जेब अधिक ढीली करनी पड़ सकती है.
इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध को भी महंगाई बढ़ने की एक बड़ी वजह माना जा रहा है. एफएमसीजी कंपनियों का मानना है कि इसके चलते, गेहूं, खाद्य तेल और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आएगा. डाबर और पारले जैसी कंपनियां, मुद्रास्फीतिक के दबाव से निपटने के लिए सोच-विचार कर कदम उठाएंगी.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि हिंदुस्तान यूनिलीवर और नेस्ले ने पिछले सप्ताह अपने खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ा दिए हैं.
एडलवाइस फाइनेंशियल सर्विसेज के कार्यकारी उपाध्यक्ष अबनीश रॉय ने कहा कि एफएमसीजी कंपनियां मुद्रास्फीति का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल रही हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हिंदुस्तान यूनिलीवर और नेस्ले के पास ऊंचा मूल्य तय करने की ताकत है. वे कॉफी और पैकेजिंग सामान की मूल्यवृद्धि का बोझ ग्राहकों पर डाल रही हैं. हमारा अनुमान है कि सभी एफएमसीजी कंपनियां 2022-23 की पहली तिमाही में कीमतों में तीन से पांच प्रतिशत की वृद्धि करेंगी.’’
पारले प्रोडक्ट्स के प्रमुख मयंक शाह ने कहा, ‘‘हम उद्योग द्वारा कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव है. ऐसे में अभी तक कहना मुश्किल है कि मूल्यवृद्धि कितनी होगी. पाम ऑयल का दाम 180 रुपये लीटर तक चला गया था. अब यह 150 रुपये लीटर पर आ गया है. इसी तरह कच्चे तेल का दाम 140 डॉलर प्रति बैरल पर जाने के बाद 100 डॉलर से नीचे आ गया है.
शाह ने कहा कि हालांकि, कीमतें अब भी पहले की तुलना में ऊंची हैं. पिछली बार एफएमसीजी कंपनियों ने पूरी तरह जिस कीमतों में वृद्धि का बोझ ग्राहकों पर नहीं डाला था. शाह ने कहा, ‘‘अब सभी 10-15 प्रतिशत वृद्धि की बात कर रहे हैं. हालांकि, उत्पादन की लागत कहीं अधिक बढ़ी है.’’
उन्होंने कहा कि अभी पारले के पास पर्याप्त स्टॉक है. कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला एक या दो महीने में लिया जाएगा.
डाबर इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी अंकुश जैन ने कहा कि मुद्रास्फीति लगातार ऊंची बनी हुई है और यह लगातार दूसरे साल चिंता की वजह है.
उन्होंने कहा, ‘‘मुद्रास्फीतिक दबाव की वजह से उपभोक्ताओं ने अपना खर्च कम किया है. वे छोटे पैक खरीद रहे हैं. हमारी स्थिति पर नजर है और सोच-विचार के बाद मुद्रास्फीतिक दबाव से बचाव के उपाय करेंगे.’’
Last Updated on March 20, 2022 4:38 pm