‘सखी साइयाँ तोह खूब ही कमात हैं, महंगाई डायन खाए जात है’. फिल्म पीपली लाइव का ये गाना इन दिनों हर भारतीय की जबान पर चढ़ा हुआ हैं. हो भी क्यों ना पिछले कुछ महीनों से मंहगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है. खाने से लेकर, कपड़े, डीजल पेट्रोल सिलेंडर सबके दामों में भारी उछाल देखने को मिला है.
सरकार रही नाकाम
सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद महंगाई को काबू करने में नाकाम साबित हो रही हैं. पिछले कुछ दिनों से खुदरा मुद्रास्फीति दर आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई. सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में थोक महंगाई दर 15.08 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गई है जो पिछले महीने मार्च में 14.55 फीसदी थी.
थोक महंगाई में हुए इस बड़े इजाफे पर वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का कहना है कि अप्रैल 2022 में मुद्रास्फीति की उच्च दर का मुख्य कारण खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, खाद्य पदार्थों, गैर-खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों और रसायनों और रासायनिक उत्पादों की कीमतों में बढ़ोत्तरी है.
2014 के बाद सबसे ज्यादा खुदरा महंगाई
वहीं सरकार ने पिछले हफ्ते खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए थे. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई की दर 7.8 फीसदी रही, जो मई 2014 के बाद सबसे ज्यादा थी.
मई 2014 में महंगाई 8.32% थी. ईंधन व बिजली बास्केट में थोक महंगाई की दर मार्च के 34.52 फीसदी की तुलना में बढ़कर 38.66 फीसदी पर पहुंच गई. मैन्यूफैक्चर्ड चीजों के मामले में महंगाई की दर थोड़ी बढ़ी है.
यह मार्च में 10.71 फीसदी रही थी, जो अप्रैल में 10.85 फीसदी पर पहुंच गई. रिजर्व बैंक का कहना है कि आने वाले दिनों में आम आदमी को ऐसे ही मंहगाई की मार झेलनी पड़ सकती है.
बता दें कि दिसंबर 1998 के बाद पहली बार थोक महंगाई दर 15% के पार पहुंची है. दिसंबर 1998 में ये 15.32% पर थी. इससे पहले ये मार्च 2022 में ये 14.55% पर, जबकि फरवरी में 13.11% पर थी. अप्रैल 2021 से थोक महंगाई डबल डिजिट में बनी हुई है.
Last Updated on May 17, 2022 11:16 am