आम आदमी पर और बढ़ेगा मंहगाई का बोझ… पेट्रोल, डीजल के बाद अब खाने के तेल के बढ़ेंगे दाम!

देश में लागातर पेट्रोल और डीजल के दामों में लगातार इजाफा हो रहा है. लेकिन आने वाले दिनों में खाने के लिए इस्तेमाल होने वाले तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है. देश में पहले से ही खाने के तेल (Cooking Oil) के दाम अबतक के सबसे ऊंचे स्तर पर हैं.

दरअसल, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने पाम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. इसका उद्देश्य खाद्य तेल के बढ़ते दाम को काबू में लाना है. घरेलू बाजार में करीब 40 से 50 प्रतिशत महंगे हो गये हैं. इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा पाम तेल उत्पादक है और भारत की सालाना करीब 50 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करता है.

इंडोनेशिया में लगातार बढ़ती मंहगाई के कारण सरकार ने ये फैसला लिया है. पाल ऑयल इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता है. मलेशिया के कुल निर्यात का 4.5 फीसद हिस्सा केवल पाम ऑयल है. यह प्रतिबंध अगले हफ्ते से लागू हो जाएंगे और कब तक लागू रहेंगे इसकी समय सीमा नहीं बताई गई है.

खाने वाले तेलों की बात करें तो भारत के आयात का दो तिहाई हिस्सा केवल पाम ऑयल है. फिलहाल भारत करीब 90 लाख टन पाम ऑयल आयात करता है. इसमें से 70 फीसदी पाम ऑयल इंडोनेशिया से आता है, जबकि 30 फीसदी मलेशिया से आता है. इसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में खाने वाले तेलों के दाम बढ़ सकते है.

वहीं खाद्य तेल उद्योग के संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ऑफ इंडिया ने इंडोनेशिया के प्रस्तावित पाम तेल निर्यात पर 28 अप्रैल से पाबंदी को लेकर सरकार के स्तर पर तुरंत बातचीत का सुझाव दिया है. संगठन का कहना है कि इसका भारत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

एसईए के महानिदेशक बी वी मेहता ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हमने अपनी सरकार को सुझाव दिया है कि वह खाद्य तेल के निर्यात पर पाबंदी को लेकर इंडोनेशिया सरकार के साथ उच्च राजनयिक स्तर पर बातचीत करे. इसका हमारे घरेलू बाजार पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि पाम तेल के कुल आयात का आधा हिस्सा इंडोनेशिया से आयात होता है और इस कमी को कोई भी पूरा नहीं कर सकता है.’

उन्होंने कहा कि एसईए इस मामले में केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के संपर्क में है . उद्योग को प्रतिबंध की उम्मीद नहीं थी। सोमवार से ही घरेलू बाजार में कीमतों पर तत्काल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि प्रतिबंध की खबर ने धारणा को बुरी तरह से प्रभावित किया है.’

खाद्य तेल रिफाइनरी कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से सूरजमुखी और सोयाबीन तेल पर पहले से दबाव है. आयात लगभग आधा हो गया है. इसकी कमी को दूसरे खाद्य तेलों के जरिये पूरा किया जा रहा है. लेकिन अगर इंडोनेशियाई तेल पर पाबंदी से जल्दी नहीं निपटा गया, इसका व्यापक प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

Last Updated on April 25, 2022 1:33 pm

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