रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (RBI Governor Raghuram Rajan) का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था (Economy) फिलहाल संकट के दौर से गुजर रही है. सरकार अर्थव्यवस्था में पूरी तरह से रिकवरी चाहती है तो इसके लिए कई बड़े फैसले लेने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने कहा कि ‘भारतीय अर्थव्यवस्था में चमकीले स्थानों के साथ कुछ काले धब्बे’ भी हैं. ऐसे में सरकार को अपने खर्च को सावधानी से ‘लक्षित’ करने की जरूरत है, ताकि राजकोषीय घाटे को बहुत ऊंचाई पर पहुंचने से रोका जा सके.
अपने एक इंटरव्यू के दौरान रघुराम राजन ने ये सभी बाते कहीं. उन्होंने कहा ‘अर्थव्यवस्था के बारे में मेरी सबसे बड़ी चिंता मध्यम वर्ग, लघु एवं मझोले क्षेत्र और हमारे बच्चों को लेकर है. सरकार को अर्थव्यवस्था के ‘के’ आकार (K-shaped) के नवीनीकरण को रोकने के लिए और उपाय करने की जरूरत है.
रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कहा कि बजट एक फ्यूचर का दस्तावेज होता है, जो प्लान को दर्शाता है. मैं बजट में भारत के लिए 5 या 10 साल का दृष्टिकोण या सोच देखना चाहता हूं. लोगों को बजट से काफी उम्मीदें होती हैं. लेकिन सरकार के पास सीमित संसाधन है, यही वजह है कि वित्त मंत्री अब खुले हाथ से खर्च नहीं कर सकतीं.
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में हमेशा चमकदार स्थानों के साथ गहरे काले धब्बे होते हैं. चमकदार क्षेत्रों की बात की जाए, तो इसमें स्वास्थ्य सेवा कंपनियां आती हैं. इनके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और आईटी-संबद्ध क्षेत्र जबर्दस्त कारोबार कर रहे हैं. कई क्षेत्रों में यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन) बने हैं और वित्तीय क्षेत्र के कुछ हिस्से भी मजबूत हैं.
इसके अलावा काले धब्बों में ऋण की सुस्त वृद्धि और हमारे स्कूलों की पढ़ाई भी आती है. मुद्रास्फीति के बारे में राजन ने कहा कि आज दुनिया के सभी देशों के लिए ‘महंगाई’ चिंता का विषय है और भारत इसका अपवाद नहीं हो सकता.
ओमीक्रोन को लेकर चेताया
रघुराम राजन ने कहा कि कोरोना वायरस का नया स्वरूप ओमीक्रोन चिकित्सकीय और आर्थिक गतिविधियों दोनों के लिए झटका है. उन्होंने सरकार को K-आकार के पुनरुद्धार के प्रति आगाह किया. चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर नौ प्रतिशत रहने का अनुमान है. बीते वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी. वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को राजकोषीय मजबूती के लिए कदम उठाने चाहिए या प्रोत्साहन उपायों को जारी रखना चाहिए, राजन ने कहा कि महामारी के आने तक भी भारत की राजकोषीय स्थिति अच्छी नहीं थी. यही वजह है कि वित्त मंत्री अब खुले हाथ से खर्च नहीं कर सकतीं. उन्होंने कहा कि जहां जरूरत है सरकार वहीं खर्च करे.
रघुराम राजन फिलहाल शिकॉगो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर हैं. रघुराम राजन अपने विचारों को स्पष्ट तरीके से रखने के लिए जाने जाते हैं.
Last Updated on January 23, 2022 6:15 pm