भारतीय रिजर्व बैंक RBI ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है. पहले इसके 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान था. इसके साथ ही RBI ने नीतिगत ब्याज दर में 50 बेसिस अंक की बढ़ोतरी की है.
लगातार चौथी बार बढ़ोतरी
इस साल में ये चौथी बार है जब RBI ने रेपो रेट में इजाफा किया है. अगस्त में भी रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी. मई से अबतक रेपो रेट में तकरीबन 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी की जा चुकी है.
रेपो रेट में वृद्धि का मतलब है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा हो जाएगा.
सकल घरेलू उत्पाद कम रहा
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा इस वर्ष की पहली तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि उम्मीद से कम रही, फिर भी यह 13.5% थी और शायद प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक थी.
वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ने और दुनिया के विभिन्न देशों में मौद्रिक नीति को आक्रामक रूप से कड़ा किये जाने के कारण यह कदम उठाया गया है.
उन्होंने कहा कि एमपीसी के छह सदस्यों में पांच ने नीतिगत दर में वृद्धि का समर्थन किया. साथ ही समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देते रहने का भी फैसला किया है.
दास ने कहा, ‘हम कोविड महामारी संकट, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर में आक्रामक वृद्धि के कारण उत्पन्न नये ‘तूफान’ का सामना कर रहे हैं.’
Last Updated on September 30, 2022 12:38 pm