“प्रयागराज के इसौटा गांव में 13 अप्रैल की सुबह एक अधजली लाश मिली. 35 साल का एक दलित युवक… नाम था देवी शंकर. एक दलित मज़दूर, जो हर रोज़ खेतों में काम करता था… लेकिन उस रात, वो खेत उसकी कब्रगाह बन गया. गांव से कुछ ही दूरी पर उसका जला हुआ शव पड़ा था. लेकिन ये सिर्फ़ एक मौत नहीं थी… ये एक सदियों पुरानी साजिश की एक और कड़ी थी…”
मृतक परिवार का आरोप है कि हत्या ठाकुर समुदाय के लोगों ने की, क्योंकि मृतक देवी शंकर ने उनके खेतों में मजदूरी करने से इनकार किया था. मृतक की मां कलावती और पिता अशोक कुमार का कहना है कि देवी शंकर थकान के कारण ठाकुरों के खेतों में काम करने नहीं जाना चाहते थे, पर दबाव में आकर रात में चले गए और फिर कभी लौटकर नहीं आए.
सुबह उनकी अधजली लाश मिली. परिवार की तहरीर पर हत्या और एससी-एसटी एक्ट के तहत आठ लोगों की गिरफ़्तारी हुई है. हालांकि पुलिस प्रेम-संबंध के विवाद को हत्या का कारण बता रही है. वहीं परिवार इस दावे को सिरे से खारिज कर रहा है. मृतक की बेटी काजल ने लाश की पहचान की और बताया कि शव के कपड़े तक जल चुके थे. पोस्टमार्टम में गला घोंटने की पुष्टि हुई है.
मृतक की साठ साल की मां कलावती के मुताबिक़, “मेरे बेटे ने दिलीप सिंह के गेहूं के खेत में काम करने से इनकार किया था, इसलिए उसको मार डाला.”
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कलावती के अनुसार देवी शंकर ने 12 अप्रैल को दिन भर अपने खेत में गेहूं की कटाई की थी, जिससे हुई थकान के कारण वह दिलीप सिंह के खेतों में गेहूं उठाने नहीं जाना चाहते थे.
#Horrific A Tribal girl has been kidnapped by goons and is being sexually abused for 3 months. When her father and mother went to the police station to file an FIR, they were abused and chased away. This shameful incident is from Uttar Pradesh. pic.twitter.com/8A9oyF1958
— The Dalit Voice (@ambedkariteIND) April 15, 2025
इस मामले में मृतक के बुज़ुर्ग पिता अशोक कुमार की तहरीर पर दिलीप सिंह उर्फ़ छोट्टन, अजय सिंह, विनय सिंह, मनोज सिंह, सोनू सिंह उर्फ़ संजय, शेखर सिंह, मोहित और अन्य अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ भारतीय न्याय संहिता की हत्या की धारा सहित दलित एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज हुआ है.
इस मामले में मृतक के बुज़ुर्ग पिता अशोक कुमार की तहरीर पर दिलीप सिंह उर्फ़ छोट्टन, अजय सिंह, विनय सिंह, मनोज सिंह, सोनू सिंह उर्फ़ संजय, शेखर सिंह, मोहित और अन्य अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ भारतीय न्याय संहिता की हत्या की धारा सहित दलित एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज हुआ है.
“इसौटा गांव की एक महिला, मृतक देवी शंकर और मामले के एक अभियुक्त से बात किया करती थी. इसी वजह से दोनों लोगों में मनमुटाव बढ़ गया. जो देवी शंकर की हत्या का कारण बना. जिन लोगों पर आरोप लगाया गया है उनमें मुख्य अभियुक्त दिलीप सिंह उर्फ़ छोट्टन सहित आठ अन्य अभियुक्तों को रिमांड पर लेने के बाद जेल भेज दिया गया है.”- वरुण कुमार, करछना के सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी)
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क्या देवी शंकर की हत्या इस वजह से हुई कि उसने गेहूं के खेत में काम करने से इंकार किया? इसके जवाब में एसीपी वरुण कुमार कहते हैं, “ले तो गए थे इसी बहाने से, लेकिन वहां पहले सभी ने शराब पी, उसके बाद महिला को लेकर उनके बीच बहस हुई, इसी के बाद उन लोगों ने देवी शंकर हत्या कर दी.”
हालांकि देवी शंकर का परिवार, महिला के चलते मनमुटाव की बात से इंकार करते हैं. देवी शंकर के पिता अशोक कुमार कहते हैं, “हमारी कभी ऐसी कोई रंजिश तो नहीं थी. हम ठाकुरों के खेतों में काम करते थे, जिससे दो पैसे की आमदनी होती थी.”
हत्या की रात क्या हुआ था?
आरोप है कि दिलीप सिंह 12 अप्रैल को लगातार फोन करके काम करने के लिए देवी शंकर पर दबाव बना रहा था.
मां कलावती कहती हैं, “रात को नौ बजे देवी शंकर जब अपने घर में खाना खाने बैठे तभी दिलीप सिंह ने कॉल करते हुए ज़ोर दिया कि खेत पर ही आ जाओ, यहां तुम सभी के लिए भोजन का इंतज़ाम है. देवी शंकर यह कहते हुए खेतों की तरफ़ चले गए कि दिलीप सिंह इतना बुला रहे हैं तो मैं खेतों पर ही खाना खाऊंगा और उनका काम करके घर वापस आ जाऊंगा.”
वो कहती हैं कि यह उसकी आखिरी बात थी, जो आज भी उनके कानों में गूंजती है. अगली सुबह देवी शंकर के घर वाले, रोज की तरह सुबह 4 बजे महुआ बीनने गए थे. लौटने पर उन्हें खबर मिली कि गांव के बाहर एक युवक की अधजली लाश पड़ी है.
“कपड़े जले हुए थे, चेहरा मुश्किल से पहचान में आ रहा था,” कलावती बताती हैं. उनकी 15 वर्षीय पोती काजल ने शव की पहचान अपने पिता के रूप में की.
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पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला घोंटने की पुष्टि
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि देवी शंकर की मौत गला घोंटने से हुई थी, और जलाने की कोशिश मौत के बाद की गई थी.
कलावती बताती हैं, “जब पुलिस शव को ले जा रही थी, तब मेरे बेटे के बदन पर कपड़े नहीं थे. मैं दौड़कर घर से उसकी नई धोती लेकर आई, लेकिन वो भी उसे नसीब नहीं हुई.”
घर में अब कोई कमाने वाला नहीं
देवी शंकर के तीन नाबालिग़ बच्चे हैं – काजल, सूरज और आकाश. मां का साया वे पहले ही खो चुके हैं, और अब पिता की हत्या ने उन्हें पूरी तरह अनाथ कर दिया है.
उनकी दादी कलावती कहती हैं, “पति की आंखों की रोशनी कम है, और बेटा ही मजदूरी करके घर चलाता था. अब कोई कर्ज़ भी नहीं देगा, क्योंकि सबको पता है– कमाने वाला कोई नहीं बचा.”
बेटे की मौत के सदमे में डूबे अशोक कुमार कहते हैं, “सरकार को बच्चों के पालन-पोषण के लिए मुआवज़ा देना चाहिए, नहीं तो इनका भविष्य अंधकारमय है.”
प्रशासन की तरफ़ से आश्वासन
स्थानीय एसडीएम तपन मिश्रा के अनुसार, परिवार को पारिवारिक सहायता योजना के तहत ₹45,000 की आर्थिक सहायता दी जा रही है. वृद्ध दादा-दादी को वृद्धावस्था पेंशन मिलेगी. परिवार को आवासीय पट्टा और कृषि भूमि भी दी जाएगी. हालांकि कृषि भूमि कितनी दी जाएगी, इस पर उन्होंने कहा, “ग्राम सभा में उपलब्ध ज़मीन के अनुसार तय किया जाएगा.”
गांव में गुस्सा, आरोपियों के घर पर ताले
इसौटा गांव में करीब 200 दलित और 7 ठाकुर परिवार रहते हैं. देवी शंकर की हत्या के बाद ठाकुर समुदाय के सभी घरों में ताले लगे हुए हैं, और आरोपी परिवार फरार हैं.
घटना के बाद गांव में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला. ग्रामीणों ने शव का पोस्टमॉर्टम करवाने से इंकार कर दिया और पुलिस से पहले मुआवज़ा और गिरफ़्तारी की मांग की.
देवी शंकर के पिता आरोप लगाते हैं कि पुलिस ने रात में ही शव का अंतिम संस्कार जबरन करवा दिया. “हम सुबह करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने सुनी नहीं.”
दलित एक्ट के तहत मामला दर्ज
एसीपी वरुण कुमार ने बताया, “मृतक दलित समाज से हैं, इसलिए आरोपियों के खिलाफ़ हत्या के साथ एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.”
लेकिन देवी शंकर के परिवार का आरोप है कि मुख्य आरोपी दिलीप सिंह अब भी फरार है, और पुलिस की कार्रवाई से वे संतुष्ट नहीं हैं.
“दिलीप सिंह को फांसी होनी चाहिए, उसके घर पर भी बुलडोज़र चलना चाहिए,” अशोक कुमार ने कहा.
“दलितों के साथ अत्याचार बढ़ा है”: एसआर दारापुरी
उत्तर प्रदेश में दलित अधिकारों के लिए काम करने वाले रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी का कहना है, “भाजपा के शासन में सवर्ण जातियों का मनोबल बढ़ा है. उन्हें लगता है कि उन्हें छूट मिली हुई है. इसलिए दलित उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं.”
वह एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहते हैं कि 2022 तक दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़ते गए हैं, जबकि इसके बाद के आंकड़े आना बंद हो गए.
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“दलित जवाब नहीं देते, क्योंकि संसाधन नहीं हैं”
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर विक्रम हरिजन कहते हैं, “दलित समुदाय शांतिपूर्ण प्रदर्शन या ज्ञापन देने जैसे संवैधानिक रास्तों को चुनते हैं. उनके पास राजनीतिक ताकत और आर्थिक साधन नहीं हैं, जिससे वे जवाबी आंदोलन खड़ा कर सकें.”
राजनीति भी गर्माई, लेकिन मुद्दा कमजोर पड़ सकता है
घटना के बाद कांग्रेस और बसपा के प्रदेश अध्यक्ष पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे, जबकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया के ज़रिए प्रतिक्रिया दी.
हालांकि प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार अमित शरण कहते हैं, “चूंकि पुलिस इसे व्यक्तिगत दुश्मनी बता रही है, इसलिए मामला बड़ा राजनीतिक मुद्दा नहीं बन पा रहा है.”
Last Updated on April 16, 2025 10:02 am