नरेंद्र विक्रमादित्य यादव (Professor John Camm), जिन पर आरोप है कि उन्होंने खुद को यूके-स्थित एक हृदय रोग विशेषज्ञ (Cardiologist) के रूप में पेश किया, अब जांच के घेरे में हैं. आरोप है कि मध्य प्रदेश के दमोह स्थित मिशन अस्पताल में उनके इलाज के दौरान कम से कम सात मरीजों की मौत हो गई.
The Indian Express की रिपोर्ट में पता चला कि 1990 के दशक में उन्होंने अपना नाम बदलने की कोशिश की थी और एक नकली परिवार तक बना लिया था. यादव पर आरोप है कि उन्होंने छत्तीसगढ़ के एक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष का इलाज किया था, जिनकी 2006 में सर्जरी के बाद मौत हो गई थी — इसकी भी जांच की जा रही है.
पुलिस के अनुसार, पूछताछ के दौरान यादव ने कबूल किया कि उन्होंने एक पश्चिम बंगाल स्थित यूनिवर्सिटी से MBBS की डिग्री ली थी, लेकिन पुदुचेरी स्थित एक यूनिवर्सिटी से MD की डिग्री फर्जी तरीके से बनाई थी.
उन्हें इस सप्ताह गिरफ्तार किया गया. आरोप है कि नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने फर्जी डॉक्टरी डिग्री के आधार पर दमोह के मिशन अस्पताल में नौकरी पाई.
दमोह में लंदन का डॉक्टर बनकर 7 हार्ट पेशेंट की सर्जरी की. सभी की मौत हो गई. खुद को ‘डॉ. जॉन कैम’ बताने वाले नरेंद्र विक्रमादित्य यादव पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है. #MadhyaPradesh #damoh #HeartSurgery #HeartSpecialist pic.twitter.com/5oeK4Ildxt
— News Muni (@newswalemuni) April 7, 2025
जांचकर्ताओं के मुताबिक, उन्होंने अपना नाम “डॉ. नरेंद्र जॉन कैम” रखा और यूके के कार्डियोलॉजिस्ट व प्रोफेसर John Camm की पहचान चुराई.
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यह मामला भारत में मेडिकल क्षेत्र में फर्जीवाड़े और पहचान की चोरी का एक गंभीर उदाहरण बन गया है.
🗣️ पुलिस अधीक्षक का बयान:
“उसने दावा किया कि वह 1999 में लंदन गया था और एक मेडिकल कोर्स किया, लेकिन वह कोर्स भारत में प्रैक्टिस के लिए मान्य नहीं था. इसलिए उसने एक फर्जी एमडी. डिग्री बना ली. वह 1999 से ही अपना नाम बदलकर यूके के प्रोफेसर जॉन कैम रखने की कोशिश कर रहा था. उसने कानपुर में संबंधित अधिकारियों को नाम बदलने के लिए दस्तावेज भी जमा किए थे, लेकिन प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया.”
— श्रुत कीर्ति सोमवंशी, SP, दमोह
🧑⚕️ असल डॉ. जॉन कैम का बयान (UK)
“पहली बार मुझे अपनी पहचान की चोरी के बारे में करीब 5 साल पहले पता चला. यह बहुत ही परेशान करने वाला अनुभव था.”
— डॉ. जॉन कैम, कार्डियोलॉजिस्ट, यूनाइटेड किंगडम
(The Indian Express, मंगलवार)
🧑✈️ पुलिस अधीक्षक सोमवंशी का बयान
“आरोपी ने एक अंग्रेज़ी जैसा नाम और ईसाई पहचान अपनाने की कोशिश की ताकि भारतीय समुदाय में ज्यादा सम्मान और बेहतर नौकरी के अवसर मिल सकें.”
— श्रुत कीर्ति सोमवंशी, SP, दमोह
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🌍 विदेश यात्राओं और गतिविधियों की टाइमलाइन
वर्ष – स्थान – गतिविधि / दावा
1999 – लंदन – मेडिकल कोर्स (भारत में अप्रमाणित)
2004 – भारत वापसी – दिल्ली के कई अस्पतालों में काम
2006 (के आसपास) – शिकागो, USA – एक मेडिकल कोर्स किया
2006-2010 – हैदराबाद – प्रैक्टिस की
2010 – न्यूरेंबर्ग, जर्मनी – एक और कोर्स किया
2013 – भारत वापसी – कथित तौर पर फिर से प्रैक्टिस शुरू की
⚠️ महत्वपूर्ण संकेत
आरोपी की गतिविधियां लगातार अलग-अलग शहरों और देशों में फैली हुई थीं. उसका मकसद था खुद को एक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ के रूप में प्रस्तुत करना. पहचान चोरी, डिग्री फर्जीवाड़ा, और नौकरी पाने के लिए धोखाधड़ी— ये सभी गंभीर आपराधिक श्रेणियों में आते हैं.
ये मामला अब साफ़ तौर पर सिर्फ पहचान की चोरी या फर्जी डिग्रियों तक सीमित नहीं है — नरेंद्र विक्रमादित्य यादव का रिकॉर्ड दिखाता है कि यह एक लंबे समय से चल रही धोखाधड़ी की रणनीति थी, जिसमें सोशल मीडिया, झूठे बयान, और संस्थाओं को गुमराह करने के प्रयास भी शामिल थे.
🧾 नई जानकारियां: पहचान की चोरी से सोशल मीडिया तक
❌ IMA (Indian Medical Association) से प्रतिबंधित
यादव को नोएडा में IT Act के तहत केस दर्ज होने के बाद IMA ने प्रतिबंधित कर दिया.
पुलिस के अनुसार, इस अवधि के आसपास उसने अपनी पहचान बदलने का पुराना सपना फिर से अपनाया।
🏢 कंपनी खोलने की कोशिश
प्रतिबंध लगने के बाद उसने अपनी खुद की मेडिकल कंपनी शुरू करने की कोशिश की, लेकिन कंपनी असफल रही.
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🐦 सोशल मीडिया पहचान: ट्विटर पर ‘Dr. John Camm’
उसने ट्विटर पर ‘John Camm’ नाम से अकाउंट बनाया. यहीं से उसने विवादास्पद ट्वीट भी किए.
🗨️ एक ट्वीट में उसने लिखा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फ्रांस में दंगे नियंत्रित करने भेजा जाना चाहिए. यह ट्वीट तब वायरल हो गया जब CM योगी आदित्यनाथ के आधिकारिक अकाउंट ने इसे रीट्वीट कर दिया.
🏃♂️ शहर-दर-शहर धोखाधड़ी
पुलिस ने बताया कि यादव हर कुछ महीनों में अस्पताल बदलता था. एक जगह पकड़ में आने से पहले वह नए शहर में चला जाता और फिर नई पहचान से काम शुरू करता.
👮♂️ 2019 में गिरफ्तारी (चेन्नई)
चेन्नई के पास उसे 2019 में गिरफ्तार किया गया था.
उस पर आरोप था कि एक प्राइवेट अस्पताल के 100+ कर्मचारियों की सैलरी रोक ली थी.
Last Updated on April 10, 2025 5:07 pm