लखनऊ की रहने वाली एक लड़की वाराणसी में परीक्षा देने गई थी. परीक्षा देकर लखनऊ वापस लौटी तो रात का करीब 1:30 बज रहे थे. वो आलमबाग बस अड्डे पर उतरी, वहां से चिनहट आना था. सिंपल है. एक ऑटो करो और घर पहुंच जाओ. लेकिन लड़कियों के लिए इतना सिंपल भी नहीं है. उसने एक ऑटो बुक किया और घर की तरफ चल दी.
बीच में ऑटो वाला दूसरे रास्ते पर ले जाने लगा. लड़की ने टोका तो जवाब मिला कि वो रोड खराब है इसलिए दूसरी तरफ से चल रहे हैं. लड़की को फिर भी शक हुआ. उसने अपने भाई को फोन लगाया. उसे पूरी बात बताई और अपनी लाइव लोकेशन भेज दी.
लेकिन बीच में ही लोकेशन दिखना बंद हो गया. भाई परेशान हो गया. तुरंत पुलिस से संपर्क किया. पुलिस ने खोजा तो मलिहाबाद के पास वो खेतों में पड़ी मिली. तुरंत अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. आरोप लगे कि उसका रेप करने की कोशिश के बाद गला घोंटकर उसे मार दिया.
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(घटना कुछ दिन पहले की है लेकिन अब लिख रहे हैं क्योंकि कहना जरूरी है)
फिर क्या होना था. लड़की चली गई. उसका आरोपी अजय कुमार, जिसकी तस्वीर ऊपर लगी है, पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया.
एनकाउंटर, हमारे संविधान के हिसाब से सही चीज नहीं है. हम भी यही मानते हैं. लेकिन ऐसी घटनाओं में मेरे अंदर की स्त्री कई बार खुद को संविधान और न्याय के तौर तरीके नहीं समझा पाती.
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उस लड़की ने क्या झेला होगा. या इन चीजों से गुजर चुकी लाखों लड़कियों पर क्या बीतती होगी ये हम में से कोई सोच भी नहीं सकता.
एक निजी हिंदी डिजिटल न्यूज़ और फीचर प्लेटफ़ॉर्म के लिए काम कर रही पत्रकार Raksha के एक्स हैंडल (@raksha_s27) से.
Last Updated on April 13, 2025 8:38 am