भारत के टेलीकॉम सेक्टर में रिलायंस Jio ने जिस तरह से अपना प्रभुत्व बढ़ाया, वह किसी भी व्यावसायिक सफलता से कहीं अधिक राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से सवाल उठाता है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस सफलता के पीछे सरकारी कंपनियों, खासकर BSNL (भारत संचार निगम लिमिटेड), का शोषण हुआ है? क्या सरकारी खजाने को बचाने की बजाय इसे निजी कंपनियों के हाथों में खेलते हुए, सरकारी संस्थाओं को नष्ट होने दिया गया? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या BSNL को Jio से जितनी राशि मिलनी चाहिए थी, वह कभी प्राप्त हो पाई?
समझौते की शर्तें और BSNL का ढांचा
2016 में, जब Jio ने भारत में अपना नेटवर्क शुरू किया, तो उसे अपनी सर्विसेस के विस्तार के लिए एक ठोस इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता थी. इस स्थिति में BSNL का इंफ्रास्ट्रक्चर, जो पहले से ही एक विशाल नेटवर्क के रूप में मौजूद था, एक महत्वपूर्ण समाधान साबित हुआ. इसके तहत BSNL के टावरों का इस्तेमाल Jio ने अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए किया.
समझौते के अनुसार, Jio BSNL को भुगतान करता था, ताकि BSNL के टावरों से उसका नेटवर्क चलता रहे. लेकिन यहां एक बड़ा सवाल यह है कि इस समझौते के तहत BSNL को Jio से कितनी रकम मिलनी चाहिए थी और क्या उसे वह रकम सही तरीके से मिल पाई? इसके जवाब में सामने आए आंकड़े चौंकाने वाले हैं.
CAG ने क्या कहा?
बीएसएनएल ने रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड (RJIL) के साथ मास्टर सर्विस एग्रीमेंट (MSA) को सही से लागू नहीं किया और बीएसएनएल के साझीदार इंफ्रास्ट्रक्चर पर उपयोग की गई अतिरिक्त तकनीक के लिए बिल नहीं किया, जिसके कारण मई 2014 से मार्च 2024 तक सरकार को ₹1,757.76 करोड़ का नुकसान हुआ और उस पर पेनल ब्याज भी लगा.
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BSNL को कितना पैसा मिलना चाहिए था?
अर्थशास्त्रियों और वित्तीय विशेषज्ञों के मुताबिक, BSNL को Jio से लगभग 1755 करोड़ रुपये तक की राशि मिलनी चाहिए थी, जो Jio के द्वारा BSNL के टावरों के इस्तेमाल के बदले अदायगी के रूप में तय की गई थी. यह राशि धीरे-धीरे बढ़ती गई क्योंकि Jio के ग्राहकों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ उसे BSNL के ढांचे का ज्यादा इस्तेमाल करना पड़ा.
वास्तविक स्थिति: भुगतान में देरी और अनिश्चितता
सवाल यह है कि क्या BSNL को यह रकम पूरी तरह से और समय पर मिल पाई? जवाब है – नहीं. दरअसल, BSNL ने कभी भी Jio से अपने बिलों की सही तरीके से वसूली नहीं की. न सिर्फ यह कि BSNL ने कभी भी Jio से कितना पैसा लेना है, इसकी सही गणना नहीं की, बल्कि कई बार तो BSNL को यह भी नहीं पता था कि उसे Jio से कितनी राशि प्राप्त करनी चाहिए थी. इस चूक का बड़ा कारण सरकारी ढांचे की जटिलताएं और अनियमितताएं रही हैं.
राजस्व में कमी और BSNL की स्थिति
इस अदायगी की अनिश्चितता ने BSNL की वित्तीय स्थिति पर गंभीर असर डाला. सरकारी कंपनी होने के नाते, BSNL को वित्तीय मदद के लिए सरकार की ओर देखना पड़ा, लेकिन सरकार की तरफ से उसे कोई ठोस मदद नहीं मिली. Jio के साथ इस समझौते के चलते, BSNL को अपनी सेवाओं का विस्तार करने के बजाय, सिर्फ अपनी टावरों के उपयोग के बदले चुकाई गई रकम पर निर्भर रहना पड़ा. इसके परिणामस्वरूप BSNL का राजस्व लगातार घटता गया और कंपनी भारी घाटे में चली गई.
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सरकारी कंपनी की असफलता और निजी कंपनी का फायदा
दूसरी तरफ, Jio ने अपनी सेवाओं का विस्तार और ग्राहकों की संख्या में वृद्धि के बाद लाभ की स्थिति में पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी. वहीं, BSNL को इस खामियाजा का सामना करना पड़ा, क्योंकि सरकार की तरफ से उसे वित्तीय समर्थन या प्रोत्साहन नहीं मिला. यह स्थिति इस बात का उदाहरण बन गई कि कैसे एक सरकारी कंपनी का ढांचा एक निजी कंपनी के फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया, जबकि सरकारी खजाने को कोई ठोस फायदा नहीं हुआ.
क्यों हुई यह गड़बड़ी?
यह पूरी स्थिति सिर्फ वित्तीय चूक नहीं है, बल्कि सरकारी व्यवस्था की अनियमितताओं का परिणाम भी है. BSNL जैसे सरकारी संस्थान को अपनी गतिविधियों में पारदर्शिता और समय पर निर्णय लेने की आवश्यकता थी, लेकिन बिना किसी ठोस नीति और प्रबंधन के, यह समझौता पूरी तरह से निजी कंपनी के पक्ष में गया. इससे न केवल BSNL का पतन हुआ, बल्कि सरकारी कंपनी को किसी भी तरह की सहायता और दिशा-निर्देश नहीं मिले.
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आज, जब हम BSNL और Jio के इस समझौते की समीक्षा करते हैं, तो यह साफ हो जाता है कि सरकारी और निजी कंपनियों के बीच के रिश्ते में न केवल वित्तीय मुद्दे बल्कि प्रशासनिक चूक भी मुख्य कारण हैं, जिनके कारण BSNL को नुकसान उठाना पड़ा. यह एक बड़ा उदाहरण है कि कैसे सरकारी कंपनियों का शोषण किया गया और सरकार के पैसे को निजी हितों के लिए खर्च किया गया. आने वाले समय में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए सरकारी प्रबंधन और नीति निर्माण में सुधार की जरूरत है, ताकि सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग ना हो और देश की कंपनियां नष्ट होने से बच सकें.
Last Updated on April 12, 2025 9:25 am