उत्तर प्रदेश के गोला गोकर्णनाथ क्षेत्र के मुरा अस्सी गांव में एक दर्दनाक घटना घटी, जब एक बाघ ने एक युवक की जान ले ली. इस घटना ने पूरे गांव को सदमे में डाल दिया है और परिवार के सदस्यों को असीम पीड़ा में छोड़ दिया.
मानव-वन्यजीव संघर्ष शोधकर्ता कैप्टन मनोज कुमार सिंह, ने गहरा दुख व्यक्त किया और एक भावनात्मक पत्र जारी करते हुए सभी को चेतावनी दी कि यह संघर्ष केवल एक व्यक्ति या एक गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी समस्या है. जो किसी भी क्षण अन्य घरों तक पहुंच सकती है. उन्होंने सरकार और प्रशासन पर आरोप लगाया कि वे इस समस्या को हल्के में ले रहे हैं. जबकि यह एक गंभीर संकट है, जिसे तुरंत सुलझाने की आवश्यकता है.
कैप्टन सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह समस्या अब केवल सरकारी स्तर पर हल होने वाली नहीं है. यह एक युद्ध के समान है और इसे पूरी तत्परता, साहस और सहयोग के साथ लड़ा जाना चाहिए.
उन्होंने प्रशासन से इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की मांग की है और जोर देकर कहा कि अब देरी की कोई गुंजाइश नहीं है.
कुछ दिनों पहले ही कैप्टन मनोज कुमार सिंह मुरा अस्सी गांव गए थे, जहां उन्होंने स्थानीय लोगों से मुलाकात की थी.
उन्होंने मानवाधिकार आयोग को 5 सितंबर को एक लिखित ज्ञापन भी सौंपा था, जिसमें बाघ-मानव संघर्ष को लेकर प्रशासन की धीमी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाया था. उनके अनुसार यह संघर्ष अब मानवता का प्रश्न है, जिसे हल करने के लिए त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है.
कैप्टन सिंह ने यह भी कहा, “हमारा सिस्टम इस समस्या को हल करने में विफल हो रहा है और इसकी कीमत लोगों की जान से चुकानी पड़ रही है. अगर हमने अब कदम नहीं उठाए, तो हम अपनी मानवता भी खो देंगे.”
उन्होंने सभी लोगों से इस लड़ाई में साथ आने की अपील की है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके.
यह घटना प्रशासन के लिए एक चेतावनी के रूप में खड़ी है. अगर तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो ऐसी घटनाएं लगातार होती रहेंगी और गांवों के लोग असुरक्षित होते जाएंगे.
*सरकारी तंत्र को जिम्मेदारी उठानी होगी*
गोला गोकर्णनाथ और उसके आसपास के क्षेत्र बाघ-मानव संघर्ष के लिए प्रमुख हॉटस्पॉट बनते जा रहे हैं. बाघों के बढ़ते हमले और ग्रामीणों की असुरक्षा को देखते हुए, प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है.
Last Updated on September 12, 2024 10:52 am