मुकेश चंद्राकर समेत इन पत्रकारों ने भ्रष्ट सिस्टम को किया बेनक़ाब, बदले में मिली मौत!

पत्रकार सेलिब्रेटी नहीं होता. वो सिर्फ अपना काम करता है- पत्रकारिता. कोई भी सरकार नहीं चाहती है कि उसका भ्रष्ट सिस्टम सबके सामने आए. इसलिए ईमानदारी से काम करने वाले पत्रकारों पर कभी गाड़ियां चढ़वा दी जाती हैं, तो कभी सीधे सिर में गोली.

Mukesh-Chandrakar
Mukesh-Chandrakar
Mukesh-Chandrakar Murder Case: ये कुछ पत्रकारों के नाम हैं, जिन्हें बीते सालों में सिर्फ और सिर्फ अपना काम करने के कारण मार दिया गया. सिर्फ काम. आपमें से ज्यादातर लोग इनका नाम नहीं जानते होंगे, क्योंकि ये सेलिब्रेटी नहीं थे. पत्रकार सेलिब्रेटी नहीं होता. वो सिर्फ अपना काम करता है- पत्रकारिता. कोई भी सरकार नहीं चाहती है कि उसका भ्रष्ट सिस्टम सबके सामने आए. इसलिए ईमानदारी से काम करने वाले पत्रकारों पर कभी गाड़ियां चढ़वा दी जाती हैं, तो कभी सीधे सिर में गोली.
शशिकांत वारिशे (महाराष्ट्र)
सुभाष कुमार (बिहार)
अविनाश झा (बिहार)
रमन कश्यप (यूपी)
सुलभ श्रीवास्तव (यूपी)
चेन्ना केसेवुलु (आंध्र प्रदेश)
शुभम मणि त्रिपाठी (यूपी)
राकेश सिंह (यूपी)
संदीप शर्मा (MP)
शुजात बुखारी (कश्मीर)
चंदन तिवारी (झारखंड)
सुदीप दत्ता (त्रिपुरा)
शांतनु भौमिक (त्रिपुरा)
गौरी लंकेश (कर्नाटक)
किशोर दवे (गुजरात)
राजदेव रंजन (बिहार)
जगेन्द्र सिंह (यूपी)
लिस्ट बहुत लंबी है. बहुत ऐसे मामले हैं जो सामने ही नहीं आ पाए. कई मामलों में मौत की वजह सामने नहीं आ पाई. सरकारें हमेशा से ऐसा करती आई हैं. ये दरअसल एक के जरिए कइयों की आवाज एक साथ दबाने की कोशिश होती है.
जब पत्रकारों का एक बड़ा तबका सरकार के चरणों में दंडवत लेटा हुआ है, उस वक्त ग्राउंड पर रहने वाले रही कुछ लोग असल काम कर रहे होते हैं. फिर भी सरकारें चाहती हैं कि वे कुछ भी ना करें, सवाल न उठाएं, और सिर्फ कॉन्टेंट बनाएं. सरकार इनाम भी देगी.
अलविदा मुकेश. आपका काम हम जारी रखेंगे.
खोजी पत्रकार साकेत आनंद के फ़ेसबुक पेज से…

Last Updated on January 6, 2025 2:39 pm

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