Student Suicide Rates: भारत एक कृषि प्रधान देश है. कर्ज़ से परेशान होकर किसान ने की आत्महत्या. भारत एक युवा देश. किसानों से ज़्यादा छात्र कर रहे आत्महत्या. पिछले कुछ दशकों में कैसे पूरा नैरेटिव ही बदल गया. एक ज़माने में जो हाल किसानी का था, अब उसी रास्ते पर पढ़ाई निकल चुकी है. तो क्या पकौड़ा तलना रोज़गार है कहना, संयोग नहीं प्रयोग था. क्या अब लोगों से कहा जा रहा है कि पढ़ाई छोड़ो और पकौड़े तलो?
यह सारी बातें एक रिपोर्ट की वजह से उठ रही है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार भारत में कुल आत्महत्या दर में सालाना 2% की वृद्धि हुई है. वहीं छात्र आत्महत्या की दर में 4% की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट की मानें तो यह आंकड़ा कम हो सकता है. यानी असल संख्या इससे भी ज़्यादा हो सकती है. ये रिपोर्ट IC3 की सालाना कॉन्फ्रेंस में साझा की गई है.
IC-3 इंस्टीट्यूट की अटैच रिपोर्ट में कहा गया, “पिछले दो दशकों में, छात्र आत्महत्या की घटनाओं में चार प्रतिशत की खतरनाक सालाना दर से वृद्धि हुई है, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है. साल 2022 में, कुल छात्र आत्महत्या के मामलों में 53 प्रतिशत पुरुष छात्रों ने खुदकुशी की. 2021 और 2022 के बीच, छात्रों की आत्महत्या में छह प्रतिशत की कमी आई जबकि छात्राओं की आत्महत्या में सात प्रतिशत की वृद्धि हुई.”
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रिपोर्ट के मुताबिक, “छात्र आत्महत्या की घटनाएं जनसंख्या वृद्धि दर और कुल आत्महत्या ट्रेंड दोनों को पार करती जा रही हैं. पिछले दशक में, जबकि 0-24 साल की आयुवर्ग आबादी 58.2 करोड़ से घटकर 58.1 करोड़ हो गई, वहीं छात्र आत्महत्याओं की संख्या 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गई.”
रिपोर्ट की मानें तो 2021 में 13,089 छात्रों ने आत्महत्या की थी. 2022 में 13,044 छात्रों ने आत्महत्या की. 2021 की तुलना में 2022 में आत्महत्या के मामलों में 4% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2021 में 1.64 लाख लोगों ने आत्महत्या की थी, जबकि 2022 में 1.70 लाख से ज्यादा लोगों ने खुदकुशी की. आत्महत्या करने वालों में से 7.6% छात्र थे. जबकि, खेती-बाड़ी से जुड़े लोगों की संख्या 6.6% थी. यानी अब किसानों की तुलना में छात्र ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा छात्रों के सुसाइड के मामले सामने आएं हैं. यह कुल आंकड़ें का एक तिहाई है. जबकि दक्षिणी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन आंकड़ों में 29 प्रतिशत का योगदान देते हैं. इस लिस्ट में राजस्थान 10वें स्थान है. कोटा इसी राज्य में आता है.
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बता दें कि NCRB के आंकड़े FIR पर आधारित हैं. वहीं IC-3 एक एक स्वयंसेवी संगठन है जो गाइडेंस और ट्रेनिंग रिसोर्सेज के माध्यम से हायर एजुकेशनल इंस्टिट्यूट की मदद करता है.
Last Updated on August 31, 2024 11:58 am