Riya Prajapati kills self: आप औरंगज़ेब की कब्र खोदने में व्यस्त थे. उधर 9वीं क्लास में पढ़ने वाली रिया ने अपनी जान दे दी. उस समाज के लिए जो साल में दो बार कंजक पूजा करती है यह बताने के लिए उनके दिल में बेटियों के लिए कितनी श्रद्धा है. उसी देश में एक बेटी को स्कूल अपमानित कर परीक्षा से बाहर निकाल देता है. क्योंकि उसके मां-बाप किसी कारण से स्कूल फ़ीस नहीं भर पाए. उस नन्हें बालमन में यह अपमान नासूर बन गया. उसका मन कचोटता रहा. आख़िरकार उस छोटी सी बच्ची पर यह अपमान इतना भारी पड़ा कि उसे अपना अनमोल जीवन बहुत छोटा लगने लगा. उसने तय किया कि वह आत्महत्या कर ले और इस तरह उसने विश्वगुरु भारत से रुख़सत होने का फ़ैसला किया.
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में 9वीं कक्षा की छात्रा रिया प्रजापति अब कभी स्कूल नहीं जाएगी. इस तरह विश्वगुरु भारत के इस स्कूल को भी सभी परेशानियों से मुक्ति मिल गई. अब दोबारा कोई रिया प्रजापति बिना फ़ीस के स्कूल में घुसने की हिम्मत नहीं करेगी. भले ही बेटी पढ़ाओ का नारा गढ़ कर विश्व कीर्तिमान हासिल करने वाले देश में बेटियां अनपढ़ रह जाए. शायद रिया समझ नहीं पाई होगी कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ भी एक जुमला था. नासमझी बेटी की है तो जान भी उसी की जाएगी.
पुलिस ने बताया कि उसकी मां पूनम देवी ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई है. इसके अनुसार, कमला शरण यादव इंटर कॉलेज की छात्रा रिया प्रजापति (17) को 800 रुपये की बकाया फीस के कारण उसका एडमिट कार्ड नहीं दिया गया था. इसके बावजूद बेटी परीक्षा देने चली गई. यह बात कॉलेज को अच्छी नहीं लगी. आरोप है कि प्रबंधक संतोष कुमार यादव, प्रिंसिपल राजकुमार यादव, स्टाफ सदस्य दीपक सरोज, चपरासी धनीराम और एक शिक्षक (जिसकी पहचान अभी नहीं हो पाई है) ने बेटी को अपमानित किया और वापस लौटा दिया.
कॉलेज से बेइज्जत होकर लौटी छात्रा जब घर पहुंची तो फांसी लगा ली. इस समय लड़की की मां खेत में काम करने गई थी. वह खेत से लौटी तो उसे लड़की का शव पंखे से लटकता हुआ मिला. आरोप है कि कॉलेज के कर्मचारियों ने उसकी बेटी का भविष्य बर्बाद करने की धमकी दी थी, जिसके कारण उसने आत्महत्या कर ली. मामले की छानबीन जारी है.
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@Info_4Education नाम से एक यूजर ने एक्स हैंडल पर लिखा- रिया ने इसलिए अपनी जान दे दी क्योंकि उसके स्कूल ने फीस बकाया होने पर उसे परीक्षा से बाहर कर दिया और अपमानित किया. क्या यही है हमारी “नई शिक्षा नीति”?
क्या यही है वो “समावेशी भारत”, जहां हर बच्चा पढ़ने का अधिकार लेकर पैदा होता है? आज हम चांद पर जा रहे हैं, AI में तरक्की कर रहे हैं, डिजिटल इंडिया बना रहे हैं. लेकिन क्या हमारी संवेदनाएं मर चुकी हैं? क्या शिक्षा अब सिर्फ पैसे वालों की जागीर बनकर रह गई है?
“रिया अब कभी स्कूल नहीं जाएगी…”😥
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में 9वीं कक्षा की छात्रा रिया प्रजापति ने इसलिए अपनी जान दे दी क्योंकि उसके स्कूल ने फीस बकाया होने पर उसे परीक्षा से बाहर कर दिया और अपमानित किया।
क्या यही है हमारी “नई शिक्षा नीति”?
क्या यही है वो “समावेशी… pic.twitter.com/mfyTtG62S9— बेसिक शिक्षा सूचना केंद्र (@Info_4Education) April 6, 2025
प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा को कारोबार बना डाला है. मनमानी फीस, बिल्डिंग चार्ज, यूनिफॉर्म और बुक्स सेंटर के नाम पर लूट और गरीब बच्चों के आत्मसम्मान को रौंदते शिक्षक और प्रबंधन…
रिया तो चली गई. पर सवाल छोड़ गई- कौन जिम्मेदार है उसकी मौत का?
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रिया जैसी हजारों बच्चे बच्चियां कहीं चुप हैं, कहीं टूट रहे हैं. कृपया आवाज़ उठाइये. क्योंकि अगली रिया आपके घर की भी हो सकती है.
Last Updated on April 7, 2025 12:21 pm