26 जनवरी के तीन दिन बाद होने वाली ‘बीटिंग द रिट्रीट’ (Beating retreat) में अबाइड विद मी (Abide With Me) धुन नहीं सुनाई देगी. इस ‘बीटिंग द रिट्रीट’कार्यक्रम में कई गानों की धुन बजती हैं. ये परंपरा साल 1950 से चली आ रही है. ‘बीटिंग द रिट्रीट’कार्यक्रम के आखिर में Abide With Me गाने की धुन बजाई जाती है. इस धुन को महात्मा गांधी की पंसदीदा धुनों में एक माना जाता है. ये एक पारंपरिक ईसाई गान है.
‘अबाइड विद मी’ गीत 1847 में स्कॉटिश लेखक एंग्लिकन हेनरी फ्रांसिस लाइट ने लिखा था. गीत की धुन वीलियम हेनरी मोंक ने तैयार की थी. यह गाना, महात्मा गांधी के पसंदीदा गानों में से एक था. वैष्णव जन तो, रघुपति राघव राजा राम के साथ ही यह भी उनकी पसंदीदा धुन थी. बताया जाता है कि गांधी ने सबसे पहले मैसूर पैलेस बैंड से यह धुन सुनी थी. वो इस गाने को नहीं भूल सके. माना जाता है कि महात्मा गांधी की वजह से भी इसे सेना में गाया जाता है.
शनिवार को भारतीय सेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि 29 जनवरी को होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह से इस गाने को हटा दिया गया है. विवरण पुस्तिका में कहा गया है कि इस साल के समारोह का समापन ‘सारे जहां से अच्छा’ की धुन के साथ होगा. यह पहली बार नहीं है जब इस गाने को ‘बीटिंग द रिट्रीट’से हटाने का फैसला किया गया है.
साल 2020 में भी इस गाने को समारोह से हटा दिया गया था लेकिन विरोध के बाद इसे साल 2021 में फिर से समारोह का हिस्सा बनाया गया. इस बार इस धुन की जगह कवि प्रदीप के गीत ‘ ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुन को शामिल किया गया है.
दरअसल, हर साल 26 जनवरी की परेड (26 January Parade) के तीन दिन बाद ‘बीटिंग द रिट्रीट’ (Beating The Retreat) समारोह का आयोजन होता है. यह कार्यक्रम 29 जनवरी की शाम, विजय चौक पर आयोजित होता है. इसमें नौसेना, वायु सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के पारम्परिक बैंड अलग अलग धुन बजाकर देश के शहीदों को याद करते हैं. इस दौरान ‘अबाइड विद मी’ धुन के साथ ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह को समाप्त किया जाता है.
साल 2014 के बाद कौन सी चीजे है जो बदली गई हैं?
कांग्रेस कई बार मोदी सरकार पर आरोप लगाती रही है कि ये सरकार इतिहास मिटाने पर आमादा है. अबाइड विद मी की धुन हटाने से एक दिन पहले इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल में शिफ्ट किया गया है. इस पर विपक्ष ने सरकार को घेरा. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो यहां तक कह डाला की उनकी सरकार बनते ही इसे फिर से जलाया जाएगा.
इससे पहले केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड CBSE ने स्कूली कोर्स में तीस फीसदी कटौती की घोषणा की थी. बोर्ड ने स्कूली पाठ्यक्रम से लोकतांत्रिक अधिकार, फूड सिक्योरिटी, संघवाद, नागरिकता और निरपेक्षवाद जैसे चैप्टर हटा दिएथे. विपक्षी नेताओं ने इसको लेकर सरकार की तीखी आलोचना की. जबकि सरकार ने अपने बचाव में कहा कि बच्चों का बोझ कम करने की वजह से उन्होंने ऐसा फैसला लिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा (Cental Vista) का सेंट्रल एवेन्यू लगभग 80 फीसदी बनकर तैयार हो चुका है. यह अब नए संसद भवन पुराने संसद भवन की जगह लेगा. इसके अलावा प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति भी यहीं रहेंगे. इसको लेकर भी सरकार विपक्ष के निशाने पर रही. विपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपना सपना पूरा करने के लिए आम जन का पैसा पानी की तरह बहा रहे है. इस प्रोजेक्ट को लेकर इतना विवाद बढ़ा कि दिल्ली हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिका तक दायर की गई.
यही नहीं साल 1950 में स्थापित किए गए योजना आयोग (Planning Commission) का मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही नाम बदल दिया गया. पहले इसे योजना आयोग के नाम से जाना जाता था जिसे बदलकर नीति आयोग (Neeti Ayog) कर दिया. इसका नाम बदले जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि जनोन्मुखी, सक्रिय और भागीदारी वाले विकास का एजेंडा नीति आयोग के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत होगा. यूपी सरकार ने इलाहाबाद और मुगलसराय जैसे जिलों का नाम बदल दिया. राजनीतिक विरोधियों का कहना है कि मोदी सरकार ने कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को हटाकर लोगों के मन मस्तिष्क पर बीजेपी की छाप छोड़ने के लिए ज्यादातर फैसले लिए हैं. उनके पास देश के लिए अपनी कोई नई नीति नहीं है.
Last Updated on January 23, 2022 3:49 pm