अमर जवान ज्योति की लौ अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शिफ्ट, विपक्ष का सरकार पर निशाना

लगभग 50 सालो से इंडिया गेट( India gate) पर जलने वाली अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) अब जलती नहीं दिखाई देगी. साल 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध के 50 साल पूरे होने के मौके पर अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) में विलय कर दिया गया है. इस राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अभी तक के युद्ध और सभी सैन्य ऑपरेशन्स में शहीद हुए करीब 22600 जवानों के नाम अंकित हैं.

अमर जवान ज्योति की स्थापना दिसंबर 1971 में राजपथ पर इंडिया गेट के पास की गई थी, और 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (prime minister Indira Gandhi) ने इसक उद्घाटन किया था. अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी जो 1971 के भारत-पाक युद्ध (Indo-Pakistan war) में वीरगति को प्राप्त हुए थे. इस जंग में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश (Bangladesh) का गठन हुआ था.

वहीं राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 25 फ़रवरी 2019 को किया था. ये स्मारक इंडिया गेट से लगभग 400 मीटर दूर है. ये युद्ध स्मारक 176 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ है. यह स्मारक आजादी के बाद के युद्धों में शहीद होने वाले 22600 से अधिक सैनिकों के सम्मान में बनाया गया है. ये दोनों ही स्थान इंडिया गेट परिसर में आते हैं.

इंडिया गेट साल 1931 में उन भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था जो ब्रिटिश शासनकाल में सेना के साथ जंग लड़ते हुए मारे गए थे. स्मारक में 13,516 से अधिक ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के नाम हैं जो पश्चिमोत्तर सीमांत अफगान युद्ध 1919 में मारे गए थे. इंडिया गेट की आधारशिला उनकी रॉयल हाइनेस, ड्यूक ऑफ कनॉट ने 1921 में रखी थी और इसे एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था. स्मारक को 10 साल बाद तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने राष्ट्र को समर्पित किया था.

विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना

इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति की लौ को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शिफ्ट करने के फैसले का विपक्षी दलों ने विरोध किया है. केंद्र सरकार का कहना है कि अमर जवान ज्योति की लौ बुझाई नहीं जा रही. इसका सिर्फ विलय किया जा रहा है.

कांग्रेस पार्टी ने एक ट्वीट कर लिखा- “अमर जवान ज्योति को बुझाना, उन वीरों के साहस और बलिदान का अपमान है, जिन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के दो टुकड़े किए थे. वीरता के इतिहास को मिटाने की भाजपाई साजिश को कोई देशभक्त बर्दाश्त नहीं करेगा. शहीदों के अपमान का मोदी सरकार का ये रवैया बहुत घृणित है.”

Last Updated on January 21, 2022 12:27 pm

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