सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 हटाने के फ़ैसले को सही माना है. यानी कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म करने का फ़ैसला बरकरार रखा है. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से यह फ़ैसला सुनाया.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जल्द चुनाव कराने का सुझाव देते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा जितनी जल्दी बहाल किया जा सके, कर देना चाहिए. चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा, ”राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की ओर से लिए गए केंद्र के फ़ैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती है. अनुच्छेद 370 युद्ध जैसी स्थिति में एक अंतरिम प्रावधान था. इसके टेक्स्ट को देखें तो भी पता चलता है कि यह अस्थायी प्रावधान था.”
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने और न्यायमूर्ति बीआर गवई एवं न्यायमूर्ति सूर्यकांत की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए सोमवार को कहा कि अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि राज्य में युद्ध जैसे हालात की वजह से अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी और संविधान के अनुच्छेद एक और 370 से ये स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है.
बता दें, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ कुल 23 याचिकाएं दायर की गई थीं. याचिकाकर्ताओं में नागरिक समाज संगठन, वकील, राजनेता, पत्रकार और कार्यकर्ता शामिल हैं. याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँटने को रद्द करने की मांग की थी. उनका यह तर्क था कि यह लोगों की इच्छा के ख़िलाफ़ जाने के लिए किया गया एक राजनीतिक कृत्य था.
16 दिनों तक चली जिरह के बाद इस संविधान पीठ ने इसी साल पांच सितंबर को अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.
महबूबा मुफ़्ती क्या बोलीं?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 370 अस्थायी था, इसी कारण इसे हटाया गया. यह न केवल हमारी हार है, बल्कि भारत की अवधारणा की भी विफलता है.
यह भारत की परिकल्पना, (महात्मा) गांधी के भारत की विफलता है, जिसके साथ जम्मू कश्मीर के मुसलमानों ने पाकिस्तान को खारिज कर हिंदू, बौद्ध, सिख और ईसाई धर्मावलम्बियों वाले महात्मा गांधी के देश के साथ हाथ मिलाया था आज भारत की अवधारणा विफल हो गई.’
पूर्व मुख्यमंत्री ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों से आग्रह किया कि वे शीर्ष न्यायालय के फैसले से निराश न हों. उन्होंने कहा, ‘निराश न हों, उम्मीद न छोड़ें. जम्मू कश्मीर ने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं.
न्यायालय का फैसला महज एक पड़ाव है, यह हमारा गंतव्य नहीं है. इसे अंत मानने की गलती न करें. हमारे विरोधी चाहते हैं कि हम उम्मीद खो दें और हार स्वीकार कर लें. लेकिन ऐसा नहीं होगा’
मुफ्ती ने एक्स पर वीडियो पोस्ट करते हुए अपना बयान जारी किया है. वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें.
पीएम मोदी ने फ़ैसले को बताया ऐतिहासिक
आर्टिकल 370 हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय ऐतिहासिक है, जो 5 अगस्त, 2019 को संसद में लिए गए फैसले पर संवैधानिक मुहर लगाता है। इसमें जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहनों के लिए उम्मीद, उन्नति और एकता का एक सशक्त संदेश है। माननीय कोर्ट के इस फैसले ने हमारी…
— Narendra Modi (@narendramodi) December 11, 2023
वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले को ऐतिहासिक बताया है. उन्होंने कोर्ट के फैसले के बाद ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘‘अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर उच्चतम न्यायालय का आज का फैसला ऐतिहासिक है और संवैधानिक रूप से 5 अगस्त 2019 को भारत की संसद द्वारा लिए गए निर्णय को बरकरार रखने वाला है.’’ इस पोस्ट के साथ उन्होंने हैशटैग ‘नया जम्मू कश्मीर’ लिखा.
उन्होंने कहा, ‘‘यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाइयों के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक शानदार घोषणा है. न्यायालय ने अपने गहन विवेक से एकता के उस सार को मजबूत किया है जिसे हम भारतीय होने के नाते सबसे ऊपर मानते हैं.”
प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि उनके सपनों को पूरा करने की उनकी सरकार की प्रतिबद्धता अटूट है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ हैं कि प्रगति का फल न केवल आप तक पहुंचे, बल्कि हमारे समाज के सबसे कमजोर और हाशिए वाले वर्गों तक भी उनका लाभ पहुंचे, जो अनुच्छेद 370 के कारण पीड़ित थे.’’
Last Updated on December 11, 2023 4:44 pm