अरुणाचल प्रदेश के 15 जगहों के चीन ने बदले नाम, पीएम मौन क्यों?: कांग्रेस

 

कांग्रेस ने चीन (China) द्वारा अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के 15 जगहों के नाम बदले जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi) पर निशाना साधा है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मोदी सरकार को ‘कमजोर’ बताया और प्रधानमंत्री मोदी पर भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए चीनी ‘खतरों’ पर ‘‘चुप्पी’’ साधने का आरोप लगाया.

सुरजेवाला ने ट्विटर पर कहा, ‘चीन अरुणाचल प्रदेश पर भारतीय संप्रभुता को चुनौती देने का दुस्साहस करेगा. चीन डेपसांग प्लेंज़ व गोगरा हॉट स्प्रिंग्स पर भारत की सरज़मीं पर क़ब्ज़ा कर लेगा. चीन अरुणाचल में गांव बसा लेगा। पर मि॰56 इंच ‘चीन’ शब्द भी नहीं बोलेंगे! कमजोर सरकार, मौन पीएम।’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ट्विटर पर लिखा, ‘अभी कुछ दिनों पहले हम 1971 के युद्ध में भारत की गौरवपूर्ण जीत को याद कर रहे थे. देश की सुरक्षा और विजय के लिए सूझबूझ और मजबूत फैसलों की जरूरत होती है. खोखले जुमलों से जीत नहीं मिलती!’

बता दें कि चीन ने 15 जगहों के नाम बदलकर इसे चीनी, तिब्बती और रोमन वर्णमाला में अंकित किया है. अरुणाचल प्रदेश के 15 जगहों के नाम बदले जाने की खबर को चीन के अंग्रेजी अखबार ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने लिखते हुए कहा है, चीन ने जिन जगहों के नाम बदले है उसमें आठ स्थान, चार पहाड़, दो नदियां और एक पहाड़ी दर्रा शामिल है.

चीन द्वारा की गई इस हिमायत पर भारत के विदेश मंत्रालय (External Affairs Ministry) ने सख्त आपत्ति जताई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने एक बयान जारी कर कहा ”ये पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश में किसी जगह का नाम बदलने की कोशिश की है. इससे पहले चीन ने अप्रैल 2017 में भी ऐसे नाम रखना चाहा था.”

साथ ही बागची ने कहा कि “अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और आगे भी रहेगा. अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदलने से तथ्य नहीं बदल जाते.”

अरुणाचल पर चीन का दावा नया नहीं

यह पहली बार नहीं जब अरुणाचल प्रदेश को लेकर इस प्रकार का दावा हुआ हो. इससे पहले भी चीन अरुाणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत कहता रहा है. इससे पहले चीन ने अक्टूबर महीने में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर आपत्ति जताई थी. वहीं साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अरुणाचल जाने का भी विरोध किया था.

बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश में 90 हज़ार वर्ग किलोमीटर ज़मीन पर अपना दावा करता रहा है, जबकि भारत कहना है कि चीन ने पश्चिम में अक्साई चीन के 38 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध क़ब्ज़ा कर रखा है. दोनों देशों के बीच 3,500 किलोमीटर यानि (2,174 मील) लंबी सीमा है. जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी-LAC) कहा जाता है.

दरअसल, चीन की नीति हमेशा से विस्तारवाद की रही है. इसी नीति के चलते चीन ने 1950 में तिब्बत पर हमला कर उसे अपने नियंत्रण में ले लिया था. यही नहीं चीन अपनी सीमा से सटे भूटान और नेपाल के कई हिस्सों पर भी अपना दावा करता रहा है.

Last Updated on January 1, 2022 1:28 pm

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