Jimikand farming: जिमीकंद से करोड़ों रुपये की कमाई की जा सकती है. सबसे अच्छी बात यह है कि जिमीकंद की खेती में लागत भी कम लगती है और देखरेख की भी ज़्यादा ज़रूरत नहीं होती है. यह कहना है छत्तीसगढ़ की महिला किसान और सामाजिक कार्यकर्ता फूलबासन बाई यादव का. पिछले सप्ताह ग्राम घासीटोला एवं लमती से पद्मश्री फूलबासन यादव ने इस अभियान की शुरुआत की है.
उनका कहना है कि ‘जिमीकंद बिना लागत और देखरेख के हो जाता है. यह अभियान देश का पहला अभियान है जो जिमीकंद रोपण कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम में लगा है. जिमीकंद अनेक गुणों से परिपूर्ण है. स्वादिष्ट तो है ही साथ ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी है. इससे पहले 32 लाख से अधिक जिमीकंद बीज का रोपण किया गया था. जिसका लाभ महिलाओं को मिल रहा है.’
उन्होंने महिलाओं से अपील करते हुए कहा की देशी जिमीकंद सभी के पास उपलब्ध है. बस उसे बढ़ाने की आवश्यकता है. फूलबासन ने कहा कि पहले भी जिमीकंद अभियान के लिए पदयात्रा, सम्मेलन, सम्मान समारोह किया गया था. जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी उपस्थित हुए थे. साथ ही सम्मानित लोगों को 1 लाख रुपये तक का पुरस्कार वितरण किया गया था.
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जिमीकंद लगाओ पैसा कमाओ अभियान के प्रमुख शिव कुमार देवांगन ने बताया की देशी जिमीकंद बीज रोपण के तहत, शुरुआत में 200 गांवों में 20 लाख बीज रोपण का लक्ष्य रखा है. इससे पहले जिन महिलाओं ने जिमीकंद लगाए थे, उससे उन्हें करोड़ों का लाभ हो रहा है.
शिव कुमार देवांगन के मुताबिक जिमीकंद बीज 2 वर्ष में 1.5 किलो होता है. इसकी क़ीमत 30 रुपये प्रति किलो है. महिलाएं कम से कम 300 बीज लगाने के लिए प्रेरित की जा रही हैं. इससे 2 वर्षो में 13,500 रुपये तक का लाभ होगा. लेकिन 20 लाख जिमीकंद लगाते है तो 2 वर्ष में 9 करोड़ रुपये का लाभ होगा.
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इससे पहले भी दो सालों में 14 करोड़ लोगों को कुल 23 करोड़ रुपये का लाभ मिल चुका है. 99 प्रतिशत जिमीकंद बीज रोपण सफल होते हैं. इसको देखते हुए लगातार महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है.
5 अक्टूबर शनिवार को अभियान की शुरूआत के दौरान फूलबासन यादव, अभियान प्रमुख शिव कुमार देवांगन के अलावा हरियाली बहिनी जनीया साहू, चंद्रकला, जयश्री, तीहारू राम, देवकुमार ग्राम के वरिष्ट एवं महिला स्व सहायता समूह भी उपस्थित रहे.
Last Updated on October 14, 2024 5:46 pm