दिल्ली में आबकारी नीति में धांधली (delhi excise policy case) के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ED ने दिल्ली समेत हरियाणा, तेलंगाना, महाराष्ट्र समेत कई जगहों पर छापेमारी की है. यह जांच धन शोधन के मामले में की जा रही है. अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है. साथ ही मामले में नामजद लोगों के खिलाफ भी छापेमारी की गई है.
आबकारी नीति को वापस लिया
आबकारी नीति को लेकर आप सरकार पर अनियमितता बरतने का आरोप है. इसको लेकर दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत 14 लोग नामजद है. फिलहाल इस आबकारी नीति को वापस ले लिया गया है.
CBI भी कर चुकी है मामले की जांच
ED से पहले यह केस CBI के हाथों में था. इस सिलसिले में 19 अगस्त को CBI ने मनीष सिसोदिया IAS अधिकारी एवं दिल्ली के पूर्व आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्णा के घर पर छापेमारी की थी. इस छापेमारी के बाद ED ने भी सिसोदिया केस की फाइल CBI से ली थी. तभी से कयास सगाए जा रहे थे कि मामले में ED की जल्द एंट्री होने वाली है.
मनीष सिसोदिया ने कहा
मंगलवार को हुई छापेमारी के बीच दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा “पहले इन्होंने सीबीआई के छापे मारे, इसमें कुछ नहीं मिला. अभी ईडी छापे मारेगी, इसमें कुछ नहीं निकलेगा. ये लोग अरविंद केजरीवाल जी को शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे काम कने से रोक नहीं पाएंगें. चाहे जितनी ईडी सीबीआई लगा लें.
क्या है आबकारी नीति 2021-22
बता दें कि दिल्ली सरकार पिछले साल 17 नवंबर में आबकारी नीति लेकर आई थी. इसके तहत निजी बोलीदाताओं को शहरभर में 32 क्षेत्रों में 849 दुकानों के लिए खुदरा लाइसेंस जारी किए गए थे दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग की जिम्मेदारी है.
इस नीति को लेकर भारी अनियमितता पाई गई थी जिसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने आबकारी नीति 2021-22 के जांच कराने की सिफारिश की थी.
मनीष सिसोदिया ने की थी जांच की मांग!
दिल्ली के मुख्य सचिव की जुलाई में दी गई रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम 1991, कार्यकरण नियम (टीओबीआर)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियमावली-2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाए जाने की बात कही गई थी. उन्होंने इस मामले में 11 आबकारी अधिकारियों को निलंबित भी किया है.
लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित लाभ!
रिपोर्ट में पाया गया था कि निविदा जारी करने के बाद ‘‘शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित लाभ’’ पहुंचाने के लिए ‘‘जानबूझकर और घोर प्रक्रियात्मक चूक’’ की गई. आरोप है कि राजकोष को नुकसान पहुंचाकर निविदाएं जारी की गईं और इसके बाद शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित वित्तीय लाभ पहुंचाया गया
सूत्रों ने दावा किया कि आबकारी विभाग ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के नाम पर लाइसेंसधारियों को निविदा लाइसेंस शुल्क पर 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी. उन्होंने बताया कि लाइसेंस के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले को 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि भी तब वापस कर दी गई, जब वह हवाई अड्डा अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में विफल रहा था.
Last Updated on September 6, 2022 12:15 pm