Delhi Excise Policy: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब घोटाले मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए एक बार फिर समन भेजा है. ED ने उन्हें दिल्ली आबकारी नीति मामले में जांच को लेकर 21 दिसंबर को पेश होने को कहा है. ED ने इससे पहले अक्टूबर महीने में भी केजरीवाल को समन भेजा था, जिसमें उन्हें 2 नवंबर को पेश होने के लिए कहा गया था. लेकिन उन्होंने इसे गैरकानूनी बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की थी और ED के समक्ष पेश नहीं हुए थे. इन्हीं दिनों वे विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए मध्य प्रदेश रवाना हो गए थे. इस बार भी केजरीवाल, ED के सामने पेश होंगे या नहीं, इसको लेकर संदेह है. क्योंकि केजरीवाल 19 दिसंबर को 10 दिनों के लिए विपश्यना के लिए रवाना होंगे. रिपोर्ट्स के मुताबिक केजरीवाल प्रत्येक साल 10 दिनों के लिए विपश्यना का कोर्स पूरा करने जाते हैं. इस साल भी वह 19 से 30 दिसंबर तक विपश्यना में रहेंगे.
क्या है विपश्यना?
वैसे पाठक जो विपश्यना कोर्स के बारे में नहीं जानते हैं, उनके लिए बता दूं कि यह पूरी तरह से मेडिटेशन यानी कि ध्यान करने का समय होता है. इसमें शख़्स एक तरह से उस दुनिया में चला जाता है, जहां बाहरी दुनिया के लिए कोई जगह नहीं होती. मोबाइल, टीवी-अखबार, इंटरनेट-ईमेल सबसे दूर कर दिया जाता है. कैंपस के भीतर भी ढेर सारी पाबंदियां होती हैं. किसी से बात तक करने की इजाजत नहीं होती.
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ख़ैर, अब आते हैं ED के समन पर. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री विपश्यना में रहने की वजह से इस बार भी ED के सामने पेश नहीं हो सकते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोई व्यक्ति ED जैसे केंद्रीय जांच एजेंसी के समन को नजरअंदाज कर सकता है?
ED ने किस कानून के तहत केजरीवाल को समन किया?
धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) 2002 की धारा 50 के तहत, जिस किसी को भी समन किया जाता है, उसे जांचकर्ताओं के समक्ष व्यक्तिगत रूप से या उनके अधिकृत एजेंटों के माध्यम से उपस्थित होना होता है.
ED ने जनवरी 2022 में दिल्ली की एक अदालत में दाखिल अपनी प्रारंभिक शिकायत (जो आरोपपत्र के समान है) में दावा किया था कि केजरीवाल ने एक आरोपी समीर महेंद्रू के साथ वीडियो कॉल पर बात की थी और उसे एक सह-आरोपी और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता विजय नायर के साथ काम करते रहने के लिए कहा था. जिसे केजरीवाल ने कथित रूप से “अपना आदमी” बताया था. ED ने यह भी दावा किया है कि महेंद्रू ने नायर के हवाले से बताया था कि “नई आबकारी नीति असल में केजरीवाल का तैयार किया मॉडल था.”
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केजरीवाल ने जांच में शामिल होने से इनकार क्यों किया?
पहले मौके पर, केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि समन भारतीय जनता पार्टी (BJP) के इशारे पर जारी किए गए है. ED जो भी सवाल पूछ रही है, उसका असल विषय से कोई संबंध नहीं है.
केजरीवाल का कहना था कि यह स्पष्ट नहीं है कि ED ने उन्हें “गवाह या संदिग्ध के रूप में समन भेजा है या व्यक्तिगत रूप से या दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर या AAP के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में.”
उन्होंने जांच अधिकारी से “अस्पष्ट और प्रेरित समन” वापस लेने के लिए कहा था, जिसे उन्होंने “कानून में टिकाऊ नहीं” बताया था.
AAP राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, “नए नोटिस के बारे में कानूनी राय ली गई है. यह पहले से ही मालूम है कि अरविंद केजरीवाल जी को विपश्यना के लिए जाना है. ये चीजें महीनों पहले तय की जाती हैं. एक वकील नोटिस की समीक्षा कर रहा है और जल्द ही निर्णय लिया जाएगा.”
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प्रवर्तन निदेशालय क्या कर सकता है?
ED केजरीवाल को तीसरी नोटिस जारी कर सकती है. सैद्धांतिक रूप से ED तब तक नोटिस जारी कर सकती है जब तक कि सीएम केजरीवाल अनुपालन नहीं करते. हालांकि, अगर वह अभी भी जांच में शामिल नहीं होते हैं, तो एजेंसी दो विकल्पों में से किसी भी एक विकल्प का प्रयोग कर सकती है.
पहला, वे अदालत के समक्ष आवेदन दायर कर सकते हैं और मुख्यमंत्री के खिलाफ गैर-जमानती वारंट मांग सकते हैं. दूसरा, जांचकर्ता उनके आवास पर जाकर उनसे वहां पूछताछ कर सकते हैं. इसके बाद, अगर उनके पास ठोस सबूत हैं, तो वे उन्हें गिरफ्तार कर सकते हैं.
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नई शराब नीति क्या थी?
नई शराब नीति के तहत सभी शराब की दुकानें निजी हाथों में चली गई थी. सीधे-सीधे कहें तो शराब कारोबार, सरकार के हाथों से बाहर निकल गई थी. दिल्ली सरकार का मानना था कि नई शराब नीति के आने से माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू (आय) में बढ़ोतरी होगी. मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को इसे लाने का ऐलान किया और 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई. शुरू से ही विवादों में रहने वाली नई शराब नीति को बवाल बढ़ने के बाद 28 जुलाई 2022 को रद्द कर दिया गया था.
Last Updated on December 20, 2023 10:11 am